Wednesday , October 11 2023

टीबी से संक्रमित हैं 52 करोड़, लेकिन टीबी रोगी सिर्फ 27 लाख

-75 वर्ष का हो गया केजीएमयू का रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग

-राज्‍यपाल ने की प्‍लैटिनम जुबिली समारोहों की श्रृंखला की शुरुआत

-22 और टीबी ग्रस्‍त बच्‍चों को गोद लिया रेस्पिरेटरी विभाग ने

राज्‍यपाल ने गोद लिये टीबी ग्रस्‍त बच्‍चों के लिए बांटी किट्स

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो  

लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍वविद्यालय (केजीएमयू) के रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग की स्‍थापना को 75 वर्ष पूरे हो गये। विभाग की प्‍लैटिनम जुबिली पर समारोहों की श्रृंखला की शुरुआत आज 19 मार्च को की गयी। इस कार्यक्रम में मुख्‍य अतिथि के रूप में उत्‍तर प्रदेश की राज्‍यपाल व कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल शामिल हुईं। उन्‍होंने रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग द्वारा आज गोद लिये गये 22 और बच्‍चों को स्टेशनरी, फल, पोषक आहार की किट प्रदान की। इससे पूर्व भी विभाग द्वारा 30 बच्‍चों को गोद लिया गया था, जो कि अब टीबी मुक्‍त हो गये हैं और स्‍वस्‍थ हैं। आपको बता दें कि बच्‍चों को गोद लेने का अर्थ होता है बच्‍चे के टीबी रोग से मुक्‍त होने तक उसको दवा के साथ ही उसके पोषणयुक्‍त आहार की व्‍यवस्‍था की जाती है, जिससे उसे रोगमुक्‍त होने में आसानी हो। आज के समारोह में टीबी पर एक संगोष्‍ठी का भी आयोजन किया गया।

राज्‍यपाल ने कहा, बच्‍चों को खिलायें केमिकल फ्री गुड़, चना, मूंगफली

राज्यपाल  ने अपने उद्बोधन में कहा कि हमें अपने प्रधानमंत्री के सपने“2025 तक टीबी मुक्त भारत“को साकार करने के लिए समाज के हर वर्ग को साथ आना चाहिए। उन्होनें बताया कि जब वह मध्यप्रदेश की राज्यपाल के पद कार्यरत थीं तब उन्होंने प्रदेश में 25 टीबी के मरीजों के देखभाल का निर्णय लिया और कुछ ही समय बाद लगभग 7 से 8 हजार लोगों को गोद लिया गया,  जिनमें से अधिकतर लोग ठीक हो गये। उन्‍होंने कहा कि उ0प्र0 में केमिकल रहित गुड़ का उत्पादन अधिक होता है। इसलिये लोगों को गुड़, चना और मूंगफली जैसे शुद्ध पोषक पदार्थ बच्चों को खिलाने की अपील की। साथ ही साथ उन्होनें अभिभावकों को बच्चों की उचित देखभाल, खान-पान व बेहतर शिक्षा देने के लिए उत्साहित किया।

सभी मेडिकल कॉलेज-अस्‍पतालों को भी किया प्रेरित

राज्यपाल ने “वसुधैवकुट्म्बकम“ की बात करते हुये समाज को अपने साथ मिलाकर टीबी ग्रसित मरीजों को प्रदेश के सभी विश्वविद्यालय, जिला चिकित्सालय, प्राइवेट चिकित्सालय व उच्च अधिकारी तथा समाजसेवी संस्थाओं को कम से कम 50 टीबी ग्रसित मरीजों की देखभाल का जिम्मा लेने तथा इनके उपचार के बाद पुनः यह प्रक्रिया दोहराते रहने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकार समाज को साथ लेकर टीबी मुक्त भारत अभियान को सफल बनाकर हम अपने समाज का सहयोग कर सकते हैं।

एक संस्‍था एक गांव को ले गोद, पांच चीजों पर दे जोर

उन्होंने कहा कि एक संस्था एक गांव को गोद ले और मुख्यतः 5 चीजों पर जोर दे –टीबी ग्रसित लोगों का उपचार, 3 वर्ष के बच्चे आंगनबाडी में जायें, गर्भवती महिलाओं का प्रसव अस्पताल में हो, आठवीं कक्षा पास करने के बाद लड़कियां नौवीं में प्रवेश लेकर उच्च शिक्षा प्राप्त करें। उन्होंने समाज से आंगनबाड़ियों को भी गोद लेने का आह्वान किया तथा यह बताया कि उनकी देख रेख में अब तक 80 आंगनबाड़ियों को गोद लिया जा चुका है।

राज्‍यपाल ने मंच पर बगल में बैठे डॉ सूर्यकांत से ली विशेष जानकारी

भारत में टीबी से प्रतिदिन होती हैं 1000 मौतें : कुलपति

इस कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये कुलपति ले. जनरल डा0 बिपिन पुरी ने स्वागत भाषण में कहा कि टी.बी. दुनिया की दस मुख्य बीमारियों में से एक है। उन्होंने कहा कि 2019 में सम्पूर्ण विश्व में लगभग 1 करोड़ लोगों को टी.बी. हुई। जिनमें से 56 लाख पुरुष, 32 लाख महिलायें और 12 लाख बच्चे थे। विश्व में प्रतिवर्ष 14 लाख मौतें टी.बी. से होती हैं, उनमें से एक चौथाई से अधिक मौतें अकेले भारत में होती हैं। हमारे देश में लगभग 1000 लोगों की मृत्यु प्रतिदिन टी.बी. के कारण हो जाती है। उन्होंने बताया कि टीबी के इलाज और बचाव में केजीएमयू प्रदेश ही नहीं अपितु देश में बड़ा योगदान देता है। ड्रग रजिस्टेन्ट टीबी की जांच करने वाली आधुनिक और अधिक क्षमता वाली सीबी-नॉट मशीन सबसे पहले के0जी0एम0यू0 में लगाई गयी है। उन्होंने आगे कहा कि के0जी0एम0यू0, उ0प्र0 का सबसे बड़ा डॉट्स प्लस सेन्टर है। हमारे यहां से टी.बी. रोग पर सर्वाधिक शोध पत्र प्रकाशित हुए है। कुलपति ने टी.बी. मरीजों के इलाज और रेस्परेटरी मेडिसिन विभाग की हर सम्भव मदद करने का आश्वासन दिया। उन्होंने टीबी के बच्चों को गोद लेने की मुहीम चलाने के लिए राज्यपाल को साधुवाद दिया।

टीबी के बारे में सबसे पुराना वर्णन मिलता है ऋग वेद में : डॉ सूर्यकांत

रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष व उ0प्र0 स्टेट टास्क फोर्स (क्षय उन्मूलन) के चेयरमैन डा0 सूर्यकान्त ने कार्यक्रम का संयोजन करते हुये टी.बी. के इतिहास के बारे में बताते हुये कहा कि टी0बी0 रोग को भारत में वैदिक काल से ही क्षय रोग तथा राज्य यक्ष्मा के रूप में जाना जाता है। ऐसा ही विवरण हिप्पोक्रेट्स (फादर ऑफ माडर्न मेडिसिन) के द्वारा बाद में चीजीपेपेथाइसिस (क्षय) दिया गया है। इण्डियन चेस्ट सोसाइटी के पूर्व अध्यक्ष डा0 सूर्यकान्त ने बताया कि टीबी के जीवाणु की खोज 24 मार्च 1882 को जर्मन चिकित्सक डा0 रॉबर्ट कॉक ने की थी। इसीलिये हर वर्ष 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि देश की 40 प्रतिशत जनसंख्या टीबी के जीवाणुओं से प्रभावित है, लेकिन देश में टीबी रोगियों की संख्या 27 लाख ही है, क्योंकि जिन की इम्यूनिटी एवं पोषण अच्छा होता है, उनको संक्रमण के बाद भी टीबी रोग नही होता है। अतः पोषण और इम्यूनिटी टीबी को रोकने में मददगार सबित होते हैं।

राज्‍यपाल को अपनी लिखी पुस्‍तक ‘टीबी मुक्‍त भारत’ भेंट करते डॉ सूर्यकांत

डॉ सूर्यकांत ने अपनी पुस्‍तक टीबी मुक्‍त भारत राज्‍यपाल को भेंट की

इस मौके पर डॉ सूर्यकांत ने हिन्‍दी में लिखी अपनी पुस्‍तक ‘टीबी मुक्‍त भारत’ राज्‍यपाल को भेंट की। आपको बता दें कि टीबी मुक्‍त भारत के लिए प्रधानमंत्री के आह्वान के मद्देनजर राज्‍यपाल भी इस मुहीम में विशेष रुचि ले रही हैं, टीबी ग्रस्‍त बच्‍चों को गोद लेने की मुहीम राज्‍यपाल की ही पहल पर शुरू हुई है। डॉ सूर्यकांत जब अपना भाषण समाप्‍त कर मंच पर वापस लौटै तो मंचासीन राज्‍यपाल ने डॉ सूर्यकांत से इस विषय में विस्‍तृत जानकारी ली।   

पोषण के लिए तीन साल में दिये 196 करोड़ : डॉ संतोष गुप्‍ता

डा0 संतोष गुप्ता स्टेट टीबी ऑफिसर, उ0प्र0 ने कहा कि विश्व में टीबी का हर चौथा मरीज भारतीय होता है और भारत का हर पांचवां टीबी मरीज उ0प्र0 से होता है। उन्होंने बताया कि ”निःक्षय”पोषण योजना का शुभारम्भ 1 अप्रैल 2018 से हुआ है, आजतक 8 लाख टीबी मरीजों को 196 करोड़ रुपये रोगियों के बैंक खातों में स्थानांतरित किये गये।

डा0 विनीत शर्मा प्रति-कुलपति, के.जी.एम.यू. ने सबको धन्यवाद ज्ञापित किया। डा0 दर्शन कुमार बजाज, एडीशनल प्रोफेसर व के.जी.एम.यू. में टीबी उन्मूलन के नोडल ऑफिसर  और डा0 ज्योति बाजपेई ने कार्यक्रम का संचालन किया। रेस्पिरेटरी मेडिसिन विभाग के समस्त डॉक्टर्स, रेजिडेन्टस,  डॉट्स प्लस की पूरी टीम व ऑफिस स्टाफ तथा केजीएमयू के अन्य विभागों के डॉक्टर्स एवं पदाधिकारी  विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधि, गोद लिये गये बच्चे एवं उनके अभिभावक आदि इस कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।

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