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योगी ने कहा, जिस मॉडल से 40 साल से हो रही हजारों मौतें रुकीं, उस पर स्टडी पेपर न लिखा जाना अफसोसनाक

-मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान के चौथे स्थापना दिवस पर दी डॉक्टरों को सीख

-संस्थान के कुछ भवनों का लोकार्पण, उत्कृष्ट कार्य करने वाले दस चिकित्सकों को किया गया सम्मानित

सेहत टाइम्स

लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मरीजों के इलाज की स्टडी किये जाने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा है कि आज इंसेफेलाइटिस को पूरी तरह से समाप्त कर दिया गया है, लेकिन अफसोस है कि अब तक इस पर कोई स्टडी पेपर नहीं लिखा गया, जबकि यह सफलता का मॉडल है। कोविड-19 पर काबू पाने में इसी अनुभव का लाभ प्राप्त हुआ। हमने देखा जब वर्ष 2020 में कोविड-19 महामारी आई तो टीम 11 का गठन कर इस पर काबू पाया गया। यह इंसेफेलाइटिस के सफलतापूर्वक समाधान के बाद प्राप्त हुए अनुभव से संभव हुआ।

मुख्यमंत्री ने यह उद्गार आज 13 सितम्बर को इंदिरागांधी प्रतिष्ठान में आयोजित डॉ राम मनोहर लोहिया संस्थान के चौथे स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होते हुए व्यक्त किये। उन्होंने इस मौके पर संस्थान के नवनिर्मित भवनों इमरजेन्सी ट्रायज एरिया, बहुमंजिला टाईप-4 आवास एवं बहुमंजिला बॉयज हॉस्टल का लोकार्पण भी किया। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में इंसेफेलाइटिस को लेकर इस बार भी दो बार सर्वे कराया गया, जिसमें सामने आया कि एक भी बच्चे की मौत नहीं हुई है। आज पूर्वी उत्तर प्रदेश खुशहाल है। यह सब बेहतर समन्वय और संवाद से हो पाया।

उन्होंने कहा कि पांच वर्ष पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश इंसेफेलाइटिस से ग्रस्त था। वहां 15 जुलाई से 15 नवंबर के बीच 1200 से 1500 मौतें होती थीं। अकेले गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 500 से 700 मौतें होती थीं। यह क्रम पिछले 40 वर्ष से चल रहा था। इस दौरान 50 हजार बच्चों की मौतें हुईं, लेकिन पिछली सरकारों का इससे कोई लेना-देना नहीं था। जब इसे रोकने के लिए सुविधा देनी होती थी तो वह भ्रष्टाचार में लिप्त हो जाते थे। यह सिस्टम की नाकामी थी। मैंने सांसद रहते हुए सड़क से लेकर सदन तक मुद्​दा उठाया, जिसके बाद काम शुरू हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इंफेसेलाइटिस पर लगाम लगाने के लिए गोरखपुर को एम्स दिया। वहीं 2017 में मुख्यमंत्री बनने पर इसे खत्म करने की जिम्मेदारी मेरी हो गयी। इस पर काम शुरू किया गया और वर्ष 2019 में इस पर नियंत्रण पा लिया गया। उसी का परिणाम है कि आज पूर्वी उत्तर प्रदेश इंसेफेलाइटिस से मुक्त हुआ है। आज यहां पर मौत जीरो हो गयी हैं। यह दृढ़ संकल्प और आप सभी के सहयोग से हो पाया है, जबकि इसके खात्मे के बारे में पहले कोई सोच नहीं सकता था।

मरीजों के उपचार की स्टडी पर जोर

मुख्यमंत्री ने कहा कि देश, प्रकृति और काल के अनुसार मरीज को दवाएं लाभ देती हैं, जरूरी नहीं है कि एक दवा सभी रोगियों को लाभ करें, इसके लिए एक समग्र स्टडी की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि मेरा यह मानना है कि फैकल्टी के लिए यह आवश्यक हो कि मरीज की पूरी हिस्ट्री रखें और हर महीने उसकी समीक्षा करें और देखें कि किस मरीज को किस प्रकार की दवा देने से क्या फायदा हुआ, इसके पेपर तैयार करें, इस पर रिसर्च करें, और फिर उसे राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित करवायें। मरीजों को बतायें कि दवा ही सबकुछ नहीं है, अपनी दिनचर्या भी ठीक रखें। उन्होंने कहा कि बिना जरूरत के दवा लेना और देना ठीक नहीं है, क्योंकि जरूरत भर दवा लेंगे तो लाभ करेगी लेकिन बिना जरूरत लेंगे तो नुकसान करने का दावा करेगी। उन्होंने कहा कि जब मैं सांसद था तब मैंने देखा था कि फ्री में मिलने पर बिना जरूरत दवा लेने में भी कोई गुरेज नहीं करते हैं, उन्हें लगता है कि यह टॉनिक की तरह फायदा करेगी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि हमारी ऋषि परम्परा में कहा गया है कि बीज का वृक्ष बन जाना हमारी संस्कृति है और बीज का सड़कर नष्ट हो जाना विकृति है। डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान संस्कृति है, जो हॉस्पिटल के रूप में शुरू होने के बाद आज इंस्टीट्यूट बन चुका है। इसके स्थापना दिवस पर संस्थान से जुड़े सभी लोगों को बहुत बधाई। उन्होंने कहा कि आपका कार्य आपकी पहचान बननी चाहिये।

केजीएमयू, एसजीपीजीआई, लोहिया में मरीजों की भीड़ इस तरह हो सकती है कम

मुख्यमंत्री ने कहा कि जब मैं केजीएमयू, लोहिया संस्थान, एसजीपीजीआई में आने वाली मरीजों की भीड़ देखते हैं तो सोचता हूं कि इन्हें नीचे के स्तर के अस्पतालों में इलाज क्यों नहीं मिल पाता है। इन संस्थानों में वे ही मरीज आयें जिनका इलाज सीएचसी, जिला अस्पतालों, टेली मेडिसिन विधि से नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रति सप्ताह जिला अस्पतालों से टीम शिविर लगाकर उपचार कर रही है, क्या इसका विस्तार नहीं हो सकता है। यूपी में 5.11 करोड़ लोगों को आयुष्मान कार्ड जारी कर चुका है। इसके अलावा अभी परसों ही निर्णय लिया गया है कि 70 वर्ष के प्रत्येक नागरिक को आयुष्मान भारत कार्ड के जरिये साल में पांच लाख रुपये का इलाज नि:शुल्क उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री राहत कोष में बिना किसी भेदभाव के जिलाधिकारी की रिपोर्ट पर इलाज दिया जा रहा है।

एसजीपीजीआई के बाद लोहिया संस्थान मरीजों की दूसरी पसंद

उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा कि केजीएमयू बहुत पुराना संस्थान है, वहां से निकले चिकित्सक देश और दुनिया में नाम रौशन कर रहे हैं, संस्थान मरीजों को भी उच्च कोटि की चिकित्सा व्यवस्था उपलब्ध करा रहा है। एसजीपीजीआई की अपने स्थापना काल से उच्च कोटि के उपचार करने वाले संस्थान की भूमिका रही है, इसलिए मैं कह सकता हूं कि आज एसजीपीजीआई से बेहतर कोई संस्थान नहीं है लेकिन मरीजों की भारी संख्या को देखते हुए लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने बहुत अच्छा काम किया है। आज कोई पीड़त मरीज का रिश्तेदार हमारे पास आता है, उसकी जान बचाने की जरूरत होती है तो उसकी पहली प्राथमिकता एसजीपीजीआई होती है जबकि दूसरी प्राथमिकता डॉ राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान होती है, यह कहने में मुझे फक्र महसूस हो रहा है कि इंस्टीट्यूट बनने के चार साल में संस्थान ने इस तरह की पहचान बना ली है। उन्होंने कहा कि हमें मरीजों को भगवान मानकर उनकी सेवा करनी है। उन्होंने बताया कि शासन आपकी जरूरतें पूरी करने में संस्थान के साथ खड़ा है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही संस्थान के बगल स्थित दूरदर्शन की खाली पड़ी जमीन संस्थान को लीज पर मिलने की कार्यवाही पूरी होगी, जिससे संस्थान की सेवाओं में और विस्तार हो सकेगा।

लोहिया संस्थान ने अल्पावधि में कर ली है केजीएमयू-एसजीपीजीआई की बराबरी

विभागीय राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय और संजय गांधी पीजीआई पुराने संस्थान हैं लेकिन मुझे यह कहते हुए कोई गुरेज नहीं है कि लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान ने इतने कम समय में इन संस्थानों की बराबरी कर ली है। उन्होंने कहा कि इतने कम समय में 100 साल के संस्थान के करीब पहुंचना एक बड़ी उपलब्धि है।

निदेशक ने प्रस्तुत की वार्षिक प्रगति रिपोर्ट

इस मौके पर संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन भी किया गया। निदेशक प्रो सीएम सिंह ने संस्थान की प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि पिछले साल संस्थान की ओ०पी०डी० में लगभग नौ लाख रोगियों से अधिक रोगियों ने परामर्श प्राप्त किया है, जो कि पिछले वर्ष से डेढ़ से दो लाख अधिक है। उन्होंने कहा कि इसी तरह पचास हज़ार से अधिक रोगियों को भर्ती कर चिकित्सा दी गयी, जिनमें बीस हज़ार से अधिक रोगियों का इलाज संस्थान के विभिन्न सर्जिकल डिपार्टमेन्ट द्वारा किया गया।

कार्डियोलाॅजी विभाग में लगभग 6000 मरीजों की एंजियोग्राफी तथा एंजियोप्लास्टी की गयी। न्यूरोसर्जरी विभाग में लगभग 1500 जटिल सर्जरी तथा गैस्ट्रोसर्जरी विभाग में 1200से अधिक जटिल सर्जरी की गयीं, 750 से अधिक कैंसर मरीजों की सर्जरी तथा 12,000 से अधिक मरीजों को कीमोथेरेपी एवं रेडियोथेरेपी दिया गया, लगभग 6,000 प्रसूताओं ने संस्थान में मातृत्व सुख प्राप्त किया, जिनमें से लगभग 3000 शिशुओं का जन्म सीजेरियन सेक्शन द्वारा हुआ।
नेफ्रोलॉजी एवं यूरोलॉजी विभाग ने 200 से ज्यादा किडनी ट्रांसप्लांट किये, और इसी के साथ संस्थान यह उपलब्धि प्राप्त करने वाला एस0जी0पी0जी0आई0 के बाद उत्तर प्रदेश में दूसरा संस्थान बन गया है। संस्थान में बधिर बच्चों के लिये कोक़लियर इम्प्लांट तथा थैलेसीमिया रोगियों के लिए निःशुल्क रक्त एवं दवा उपलब्ध कराये जाते हैं।

विगत वर्ष में संस्थान के डायग्नोस्टिक विभागों द्वारा लगभग 25 लाख जांचें कीगयीं जिसमें लगभग 1000 Advance Molecular जांचें भी शामिल हैं। संस्थान द्वारा PET Scan, MRI, CT Scan और Radiological जांचें अनवरत जारी हैं। संस्थान के अध्यक्ष व मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने अपने संक्षिप्त सम्बोधन में संस्थान के बारे में जानकारी दी।

विशिष्ट कार्य करने के लिए दस चिकित्सकों को किया गया सम्मानि​त

इस अवसर पर कई प्रोफेसर, असिस्टेंट प्रोफेसर और प्रोफेसर को मेडल-सर्टिफिकेट प्रदान कर सम्मानित किया गया। इनमें माइक्रोबायोलॉजी की प्रो ज्योत्सना अग्रवाल, रेडियेशन ऑन्कोलॉजी के प्रो मधुप रस्तोगी, न्यूरो सर्जरी के प्रोफेसर डॉ दीपक कुमार सिंह, बायोकेमिस्ट्री की प्रोफेसर डॉ वंदना तिवारी, जनरल मेडिसिन की प्रोफेसर जूनियर ग्रेड डॉ ऋतु करौली, यूरोलॉजी के प्रोफेसर जूनियर ग्रेड डॉ संजीत कुमार सिंह, फीजियोलॉजी की प्रोफेसर जूनियर ग्रेड डॉ विभा गंगवार, न्यूरोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अब्दुल क़वी, कम्युनिटी मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ सुमीत दीक्षित और पीडियाट्रिक्स की एसोसिएट प्रोफेसर डॉ नेहा राय शामिल हैं।

संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाॅ एके सिंह द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य पार्थसारथी सेन शर्मा ने भी मंच साझा किया। मंच का संचालन डॉ सुजीत राय ने किया। कार्यक्रम के अंत में सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति संस्थान के एमबीबीएस एवं नर्सिंग छात्रों द्वारा दी गई।

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