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महिला का उत्‍पीड़न व उसके स्‍वास्‍थ्‍य की अनदेखी की वजह महिला नहीं

महिला सशक्तिकरण एवं उनसे जुड़े स्वास्थ्य पर चर्चा में कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने रखे विचार

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। समाज में काफी लंबे समय से यह चर्चा का विषय रहा है कि एक महिला ही महिला के खिलाफ उत्पीड़न करने में सहायक होती है और दहेज प्रथा एवं अन्य मामलों में पुरुषों का समर्थन करती हैं, जोकि पूरी तरह से गलत है।

यह विचार किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो एमएलबी भट्ट ने अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में इंटरनल क्वालिटी एशुरेंस सेल, केजीएमयू द्वारा  “Women Empowerment in Healthcare” के विषय पर महिला सशक्तिकरण एवं उनसे जुड़े स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए कार्यशाला में व्‍यक्‍त किये।  उन्होंने कहा कि महिला उत्पीड़न एवं उनके स्वास्थ्य की अनदेखी किया जाना समाज में जागरूकता एवं शिक्षा की कमी की वजह से है।

कुलपति ने कहा कि समाज से ऐसे त्रुटियों को खत्म करने की आवश्यकता है और इन्हें समाप्त किए बिना एक स्‍वस्‍थ समाज की स्थापना नामुमकिन है। उन्होंने कहा कि देश की 50 फीसदी आबादी को देश के विकास में योगदान दिए जाने का अब समय आ गया है। इसके साथ ही उन्होंने भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की सराहना करते हुए कहा कि एक बेटे को पढ़ाने से सिर्फ एक लड़का ही शिक्षित होता है लेकिन एक बेटी को पढ़ाने से पूरा समाज शिक्षित होता है।

किसी भी मसले पर चर्चा स्‍त्री व पुरुष मिलकर सहमति से करें

इस अवसर पर मुख्य वक्ता वरिष्ट गायनकोलॉजिस्ट डॉ रुख्साना खान ने स्त्री और पुरुष दोनों को प्रकृति द्वारा बराबर के साझेदार बताते हुए कहा कि किसी भी आपसी मसले को चाहे वह महिला अधिकारों से जुड़े मामले हो या फिर स्वास्थ्य संबंधित दोनों को मिलजुल कर आपसी सहमति पर शांत वातावरण में चर्चा करनी चाहिए। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा को महिला सशक्तिकरण के लिए महत्वपूर्ण बताया।

पुरुष चिकित्‍सकों से महिला का इलाज क्‍यों नहीं

इस कार्यक्रम में चिकित्सा विश्वविद्यालय की प्रति कुलपति प्रो0 मधुमति गोयल ने महिलाओं के स्वास्थ्य पर चर्चा करते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों में शिक्षा के अभाव में आज भी पुरुष चिकित्सकों से महिला मरीजों का इलाज करवाने को सही नहीं माना जाता है फिर चाहे इस वजह से महिला मरीज की जान ही क्यों न चली जाए। इसके साथ ही उन्होंने शिक्षा के माध्यम से समाज के अशिक्षित वर्ग को जागरूक किए जाने का अनुरोध किया।

इस अवसर पर महिलाओं के लिए काम करने वाली संस्था इनरव्‍हील क्लब की अध्यक्ष रीता भार्गव ने कहा कि उनकी संस्था समाज के निशक्त, असहाय और निर्धन लोगों को शिक्षित करने के साथ ही उनके स्वास्थ्य की दिशा में किए जाने वाले अपने कार्य के प्रति पूरी तरह से समर्पित हैं और उन्हें मुख्य धारा से जोड़ने का कार्य करती रहेगी।

जिम्‍मेदारी के चलते अपने स्‍वास्‍थ्‍य का ध्‍यान नहीं रख पातीं

डीन, क्वालिटी एंड प्लानिंग, डिपार्टमेंट ऑफ ओरल एंड मेक्सिलोफेशियल डॉ दिव्या मेहरोत्रा ने कहा कि महिलाओं के ऊपर पूरे परिवार को स्वस्थ रखने की जिम्मेदारी होती है और इसके बावजूद वह स्वयं के स्वास्थ्य की देखरेख नहीं कर पाती। उन्होंने इस कार्यक्रम के आयोजन का उद्देश्य बताता हुए कहा कि आज के कार्यक्रम में महिलाओं के इन्हीं पहलुओं का हल ढूंढ़ना है और उन्हें स्वयं के स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते हुए समाज के विकास में उनके योगदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए प्रेरित करना है।

इस कार्यक्रम में दिल्ली के डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की डॉ अनीता अग्रवाल ने बताया कि महिला सशक्तिकरण को लेकर सरकार द्वारा रिसर्च के माध्यम से जिन महिलाओं को गर्भावस्था तथा अन्य कारणों से नौकरी छोड़नी पड़ी उन्हें पुनः नौकरी व अन्य सहायता उपलब्ध कराई जाती है।

हेल्थ केयर सेक्टर स्किल काउंसिल, लखनऊ की डॉ जैनब जैदी ने स्वस्थ नारी स्वस्थ समाज का नारा देते हुए भारत सरकार की योजना कौशल विकास के बारे में जानकारी दी और बताया कि किस प्रकार से महिलाएं कौशल विकास के माध्यम से देश के विकास में अह्म भूमिका निभा सकती हैं।

इस अवसर पर केजीएमयू पर आधारित एक डॉक्युमेंट्री फिल्म का प्रस्तुतिकरण किया गया जिसका उद्घाटन कुलपति द्वारा किया गया। कार्यशाला के समापन प्रो अनीता रानी ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों को धन्यवाद प्रस्ताव प्रेषित कर किया। कार्यक्रम में चिकित्सा विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त शिक्षक, वर्तमान चिकित्सा शिक्षक, एमबीबीएस, बीडीएस एवं पैरामेडिकल के छात्र-छात्राएं एवं कर्मचारी उपस्थिति रहे।