भोजन के प्रकार, समय से लेकर भोजन की थाली रखने तक के हैं नियम
लखनऊ। मोटे व्यक्ति को खाना खाने से पहले पानी पीना चाहिये, दुबले व्यक्ति को खाना खाने के बाद पानी पीना चाहिये तथा मध्यम प्रकार के व्यक्तियों को खाने के बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीना चाहिये। यह जरूर ध्यान रखें पानी नॉर्मल हो, ठंडा नहीं होना चाहिये। ऐसा करने से होगा यह कि मोटा व्यक्ति जब पहले पानी पी लेगा तो खाना कम खायेगा जिससे उसका मोटापा कम होगा, पतला व्यक्ति भोजन के बाद पानी पियेगा तो कफ की वृद्धि होगी जिससे शरीर में बल आयेगा और वह व्यक्ति मोटा होगा, और मध्यम कद-काठी वाले व्यक्ति को खाने के बीच में थोड़ा-थोड़ा पानी पीने की सलाह दी गयी है।
यह जानकारी आज आरोग्य भारती अवध प्रांत द्वारा गोमती नगर में रिटायर्ड सेल्स टैक्स अधिकारियों के लिए आयोजित स्वास्थ्य प्रबोधन कार्यक्रम में आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ अभय नारायण ने स्वस्थ जीवन शैली के बारे में बताते हुए दी। उन्होंने बताया कि व्यक्ति का नित्य का आहार मधुर, अम्ल, लवण, कटु, तिक्त और कसाय छह प्रकार के रस वाला होना चाहिये। उन्होंने कहा कि आजकल लोग इन छह रसों में तीन रस मधुर, अम्ल और लवण (मीठा, खट्टा, चटपटा, नमकीन) तो खाते हैं लेकिन कड़ुवा, तिक्त और कसाय रसों का सेवन नहीं करते हैं। उन्होंने बताया कि तीखा, नीम, काली मिर्च, सौंठ, पिप्पली, करेला, आंवला, जामुन, करौंदा जैसी चीजों का सेवन भी आवश्यक है। इसी वजह से बीमारियां लग जाती हैं क्योंकि इन छहों रसों से युक्त भोजन का सेवन करने से खाने में आवश्यक चीजों की पूर्ति हो जाती है और संतुलन बना रहता है।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार से छह प्रकार के भोजन होते हैं। इनमें भोज्य, भक्ष्य, चब्य, चूस्य, लेह्य, चटनी और पेय यानी प्राकृतिक पेय फलों का रस, मट्ठा का सेवन करना चाहिये। उन्होंने यह भी बताया कि सप्ताहार कल्पना स्वभाव, संयोग, संस्कार, परिमाण, प्रभाव इत्यादि के बारे में बताते हुए कहा कि किस प्रकार के अनाज को किस प्रकार के बर्तन में पकायेंगे, किस प्रकार सेवन करेंगे यहां तक कि भोजन करते समय दाल, चावल, सब्जी, पेय पदार्थ, शुष्क पदार्थ कहां रखें, इसका भी महत्व है।
इसके अलावा डॉ अभय ने बताया कि भोजन कब-कब करना चाहिये। उन्होंने बताया कि सुबह का नाश्ता 8 बजे तक कर लेना चाहिये और रात्रि का भोजन अधिक से अधिक रात्रि 8 बजे के अंदर कर लेना चाहिये, उसके बाद पेट को पचाने के लिए समय देना चाहिये। यानी सुबह 8 बजे से लेकर रात्रि 8 बजे के बीच ही खानपान करना चाहिये। उन्होंने यह भी बताया कि एक प्रहर यानी तीन घंटे के अंदर एक बार ही खाना चाहिये और दो प्रहर यानी 6 घंटे से ज्यादा बिना खाये नहीं रहना चाहिये। इस कार्यक्रम में करीब 100 लोग उपस्थित थे। उपस्थित लोगों ने अपने सवाल पूछकर अपनी जिज्ञासा भी शांत की।