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हमें केजीएमयू को छोड़कर जाना पड़ा लेकिन केजीएमयू ने हमें नहीं छोड़ा

-एमबीबीएस 1998 बैच के पुरातन छात्रों ने मनाया सिल्वर जुबिली समारोह

सेहत टाइम्स

लखनऊ। किंग्स जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के MBBS 1998 बैच के एलुमिनाई का सिल्वर जुबिली रियूनियन, 23 से 25 दिसम्बर को आयोजित किया गया। पुरातन छात्रों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर अपने विद्यालय के दिनों को याद किया।

सिल्वर जुबिली रियूनियन के दौरान, पूरे बैच ने अपने साथी छात्रों और शिक्षकों के साथ साझा किए गए लम्हों को याद किया और आपसी मेल-जोल का आनंद लिया। इस अद्वितीय संगठन में, सभी सदस्यों ने अपने व्यापक ज्ञान, अनुभव और योगदान के माध्यम से एक दूसरे के साथ रिश्तों को मजबूत करने का संकल्प लिया।

इस अवसर पर, केजीएमयू की प्रति कुलपति डॉ अपजीत कौर और डीन एकेडमिक्स डॉ अमिता जैन ने बैच के सभी सदस्यों को सम्मानित किया और उनके योगदान की सराहना की। इस अवसर पर एनाटोमी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ डीआर सिंह, डॉ अशोक चन्द्रा, प्रो संजीव मिश्र, प्रो अब्बास अली मेहदी, प्रो एएम कार, प्रो राजेन्द्र प्रसाद, प्रो सूर्यकान्त, प्रो विजय कुमार, प्रो जीपी सिंह, प्रो आरके गर्ग, डॉ अनूप वर्मा, डॉ संदीप भट्टाचार्य, डॉ अनीता रानी, डॉ राजा रूपानी आदि उपस्थित रहे और सबको आशीर्वाद दिया।रियूनियन के दौरान कई गतिविधियों और कार्यक्रमों ने सभी को साथ ला कर यह मौन संधि को एक नई ऊँचाई प्रदान की है।

इस सार्थक पैलेट मोमेंट को साझा करते हुए, MBBS 1998 बैच के सभी सदस्यों ने आगामी वर्षों में भी ऐसे ही समर्थन और समर्थन का अभाव महसूस करने के लिए प्रतिबद्ध किया। इस अद्वितीय सम्मेलन ने एक परिवार की भावना को बढ़ावा दिया और केजीएमयू एमबीबीएस 1998 बैच के सभी सदस्यों के बीच एक नए संबंध की नींव रखी।

इसमें दुबई से डॉ आकांक्षा गांधी और डॉ अमित गुप्ता, बोस्टन अमेरिका से डॉ गौरव जैन और डॉ सादिया मंजर तथा फ्लोरिडा से डॉ श्वेता श्रीवास्तव आये थे। एसजीपीजीआई के एनेस्थीसिया विभाग के डॉ प्रतीक सिंह और डॉ संजय, केजीएमयू के गैस्ट्रो मेडिसिन के डॉ सुमित रूंगटा, रेस्पाइरेटरी मेडिसिन के प्रो अजय कुमार वर्मा, मेडिसिन के डॉ अजय कुमार पटवा, ऑर्थोपेडिक्स के डॉ धर्मेन्द्र कुमार और रेडियोथेरेपी की डॉ मृणालिनी वर्मा थे।

देहरादून उत्तराखंड से आये गैस्ट्रोएंटरोलॉजिस्ट डॉ अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि पिछले 25 सालों में सब कुछ बदल गया परंतु दोस्त नहीं बदले। वही बातें, वही हँसी मज़ाक करने का अंदाज आज भी उसी तरह ज़िन्दा है। हम लोगों को अपने प्यारे केजीएमयू को छोड़कर तो जाना पड़ा परंतु केजीएमयू ने हमे नहीं छोड़ा। आज का दिन बहुत ही भावुक कर देने वाला दिन है।

डॉ अजय वर्मा ने कहा कि मैंने केजीएमयू में 1998 में एडमिशन लिया था। यहां से एमबीबीएस करने के बाद कई संस्थानों में कार्य किया है परंतु यह संस्थान अपने शिक्षकों एवं क्लिनिकल मेटेरियल की वजह से बेजोड़ है। इस रीयूनियन में हमने अपने पूर्व छात्रों और शिक्षकों के साथ मिलकर पुराने दिनों की मिसाल बनाई। यह प्रोग्राम हमारे जीवन की एक नई मिलन-संजीवनी थी, जिसमें हमने गुजरे वर्षों की सफलता, विकास और साझेदारी का समर्थन किया।

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