-नरसंहार के दिन को उत्सव के रूप में मनाना उनके प्रति अन्याय होगा
-संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश और भारतीय मजदूर संघ ने लिया विश्वकर्मा जयंती को श्रमिक दिवस मनाने का फैसला

सेहत टाइम्स
लखनऊ। संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश और भारतीय मजदूर संघ ने 1 मई को श्रमिक दिवस मनाए जाने की परंपरा को अस्वीकार करते हुए 17 सितम्बर को विश्वकर्मा जयन्ती के रूप में श्रमिक दिवस मनाने का निर्णय लिया है। यह निर्णय श्रमिकों के सम्मान, उनके योगदान और उनके अधिकारों की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
यह जानकारी देते हुए संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश के प्रदेश महामंत्री योगेश कुमार उपाध्याय ने इस फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि 1 मई का श्रमिक दिवस इतिहास में एक ऐसे दिन के रूप में दर्ज है जब 1886 में शिकागो में श्रमिकों के नरसंहार की दुखद घटना घटी। यह दिन श्रमिकों के संघर्ष और बलिदान का प्रतीक बन गया है। भारतीय मजदूर संघ और संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश का मानना है कि 1 मई को मनाए जाने वाले श्रमिक दिवस को उत्सव के रूप में मनाना श्रमिकों के संघर्ष और बलिदान के साथ अन्याय है। यह दिन श्रमिकों के सम्मान में होना चाहिए, न कि उनके दर्दनाक इतिहास के उत्सव के रूप में।
श्री उपाध्याय ने बताया कि 01 मई के बजाय, भारतीय मजदूर संघ ने 17 सितम्बर को विश्वकर्मा जयन्ती के रूप में श्रमिक दिवस मनाने का निर्णय लिया है। यह दिन श्रमिकों के योगदान को पहचानने और उनके कार्यों के प्रति सम्मान व्यक्त करने का अवसर है। विश्वकर्मा, जिन्हें श्रमिकों के संरक्षक और निर्माण कार्यों के रक्षक के रूप में पूजा जाता है, के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का यह सही समय है। इस दिन हम श्रमिकों की मेहनत, उनकी सशक्तता और उनके समाज में योगदान को मान्यता देते हैं।


संयुक्त राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ उत्तर प्रदेश और भारतीय मजदूर संघ का उद्देश्य श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना और उनके सम्मान में वृद्धि करना है। यह कदम श्रमिकों के प्रति समाज में सही सम्मान और पहचान सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। इस दिन को मनाने का मकसद श्रमिकों की मेहनत और उनके सामाजिक योगदान को सम्मानित करना है, ताकि वे समाज में अपनी उचित पहचान प्राप्त कर सकें।
