Tuesday , March 19 2024

छह वर्षीय बच्‍चे के दो पेसमेकर लगाकर सामान्‍य कर दी दिल की धड़कन

-चाइल्‍ड पीजीआई नोएडा में एक और सफल जटिल ऑपरेशन

-आरबीएसके योजना के तहत फ्री में सर्जरी कर जन्‍मजात दोष किया गया समाप्‍त

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। नोएडा स्थित चाइल्‍ड पीजीआई में 6 साल के बच्चे को जन्‍म के समय से दिल की बीमारी congenital heart defect होने के चलते सफलतापूर्वक डबल पेस मेकर लगाया गया, 28 मार्च को हुई सर्जरी के बाद बच्‍चा बिल्‍कुल ठीक है, उसे आज अस्‍पताल से छुट्टी दे दी गयी। खास बात यह है कि जहां इतनी कम उम्र के बच्‍चे को उसकी जरूरत के अनुसार दो पेस मेकर लगाकर सफल सर्जरी की गयी वहीं बच्‍चे की यह जटिल सर्जरी पूरी तरह फ्री ऑफ कॉस्‍ट की गयी है। आपको बता दें कि हृदय की संरचना से जुड़ा यह जन्मजात हृदय दोष जन्म दोष का सबसे आम प्रकार है। इसके तहत प्रभावित होने वाली जगहों में हृदय की दीवारें, हृदय के वॉल्व और हृदय के पास की धमनियां और नसें शामिल हो सकती हैं। वे हृदय के माध्यम से रक्त के सामान्य प्रवाह को बाधित कर सकते हैं। इसके तहत रक्त प्रवाह धीमा हो सकता है, गलत दिशा में या गलत जगह पर जा सकता है, या पूरी तरह से अवरुद्ध भी हो सकता है।

संस्‍थान की सफलता से गदगद चाइल्‍ड पीजीआई नोएडा के निदेशक प्रो अजय सिंह ने बताया कि बच्‍चे को उन्‍नाव से उनके संस्‍थान में रेफर किया गया था। पीजीआई चाइल्‍ड की कार्डियोलॉजी टीम ने बच्चे का मूल्यांकन किया और प्रबंधन शुरू किया। कार्डियोलॉजी के विभागाध्‍यक्ष डॉ मुकेश कुमावत, कार्डियक सर्जरी टीम के डॉ धीरज शर्मा और डॉ अंकित ठुकराल ने राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम (आरबीएसके) योजना के माध्यम से हृदय दोष के लिए बच्चे का ऑपरेशन किया।

उन्‍होंने कहा कि आरबीएसके योजना के तहत सर्जरी मुफ्त थी लेकिन बच्चे को बचाने और उसे सामान्य हृदय गति के साथ स्वस्थ जीवन देने के लिए एक और अतिरिक्त फेस मेकर की आवश्यकता थी, जो‍ कि योजना के तहत शामिल नहीं था। उन्‍होंने बताया कि सवा लाख रुपये के पेसमेकर के लिए पैसे की क्‍लाउड फंडिंग के साथ ही संस्‍थान के डॉक्‍टरों व महाकाल महाराज सेवा मंदिर ट्रस्ट द्वारा दान दिया गया था।  

निदेशक प्रोफेसर अजय सिंह के अनुसार यह सर्जरी हमारे संस्‍थान के साथ ही इस क्षेत्र में स्थित अस्‍पतालों में की जाने वाली खास प्रक्रियाओं में से एक है। निदेशक ने उम्मीद जतायी कि आने वाले महीनों में इस तरह की और प्रक्रियाएं की जाएंगी क्योंकि पीजीआई चाइल्‍ड नोएडा के बाल चिकित्सा हृदय विज्ञान विभाग में कई मरीज आ रहे हैं। उन्‍होंने बताया कि बच्चा डिस्चार्ज हो रहा है और फॉलोअप पर अच्छा कर रहा है।

क्‍या है आरबीएसके योजना

भारत सरकार की राष्‍ट्रीय बाल स्‍वास्‍थ्‍य कार्यक्रम (आरबीएसके) योजना के तहत जन्‍म से 18 वर्ष की आयु तक के बच्‍चों को जन्‍मजात दोषों का इलाज करने की सुविधा है। इसमें चार डी (Defects at birth, Deficiencies, Diseases, Development delays including disability) राष्ट्रीय यानी जन्‍म के समय से दोष होना, कोई कमी होना, कोई बीमारी होना तथा दिव्‍यांगता व बच्‍चे के विकास में देरी होना शामिल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.