-विश्व विटिलिगो दिवस पर ‘सेहत टाइम्स‘ ने की डॉ गौरांग गुप्ता से खास बातचीत
सेहत टाइम्स
लखनऊ। शरीर में जो सेल्स पिगमेंट बनाते हैं, उनमें जब किसी कारणवश गड़बड़ी हो जाती है तो सफेद दाग हो जाते हैं। इसे ही विटिलिगो कहते हैं, इसका इलाज होम्योपैथी में किया जा सकता है, गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) में हुई शोध में यह पाया गया है कि होम्योपैथिक दवाओं से करीब 50 प्रतिशत लोगों के पूर्णत: या काफी हद तक सफेद दाग समाप्त हो गये।
यह जानकारी वर्ल्ड विटिलिगो डे (25 जून) के अवसर पर एक भेंटवार्ता में देते हुए जीसीसीएचआर के कन्सल्टेंट डॉ गौरांग गुप्ता ने बताया कि मोटे तौर पर विटिलिगो vitiligo दो प्रकार का होता है। पहला focal या segmental यानि शरीर के किसी एक हिस्से में होना। दूसरा प्रकार generalized या universal जो पूरे शरीर में फैलता है। लोगों में भ्रांति है कि अगर शरीर के एक हिस्से में विटिलिगो है तो पूरे शरीर में न फैल जाए। उन्होने स्पष्ट किया कि focal/segmental विटिलिगो generalized/universal में परिवर्तित नहीं होता है। इसलिए जिन लोगों को शरीर के एक हिस्से में विटिलिगो है उन्हें यह समझना चाहिए कि उनका विटिलिगो फैलने वाला नहीं है।
डॉ गौरांग ने कहा कि होम्योपैथिक दवाओं से विटिलिगो के इलाज को लेकर उनके सेंटर जीसीसीएचआर पर स्टडी की जा चुकी है। स्टडी के अनुसार 1995 से 2016 तक विटिलिगो के कुल 817 मरीजों का इलाज किया गया जिनमें 94 लोग पूरी तरह से ठीक हो गये, जबकि 303 लोगों में काफी हद तक सुधार हुआ (इनमें वे लोग भी हैं जिनमें एक छोटी सी बिंदी जैसी भी रह गयी थी)। इसी प्रकार 305 लोगों को दवाओं से कोई फर्क नहीं पड़ा, यानी कि न तो उनके दाग घटे और न ही बढ़े, जबकि 115 लोग ऐसे थे जिन्हें दवा से लाभ नहीं हुआ। इस तरह अगर पूरी तरह से ठीक और काफी हद तक ठीक श्रेणी को जोड़ लिया जाये तो करीब 50 प्रतिशत रोगियों को होम्योपैथिक दवाओं से लाभ होना देखा गया है। उन्होंने बताया कि विटिलिगो के इलाज को लेकर पूर्व में की गयी एक स्टडी द होम्योपैथिक हैरिटेज वॉल्यूम 27, नम्बर 5, 2002 में ‘एैफीकेसी ऑफ होम्योपैथिक ड्रग्स इन केसेज ऑफ ल्यूकोडर्मा : ए क्लीनिकल स्टडी’ शीर्षक से छप चुकी है।
डॉ गौरांग ने बताया कि सेंटर पर विटिलिगो के मरीजों का ट्रीटमेंट लगातार चल रहा है, उन्होंने कहा कि प्राय: इसका ट्रीटमेंट लम्बी अवधि तक चलता है। उन्होंने कहा कि देखा गया है कि मन:स्थिति में बदलाव सफेद दाग होने का बड़ा कारण है। एक केस का उदाहरण देते हुए डॉ गौरांग ने बताया कि एक युवक जिसका अभी भी यहां इलाज चल रहा है, वह 17 अगस्त, 2018 को पहली बार क्लीनिक पर आया था, उस समय उसकी उम्र 17 वर्ष थी तथा उसके हाथ, पैर, पेट, सीने और पीठ पर सफेद दाग थे। उन्होंने बताया कि मरीज की जब हिस्ट्री ली गयी तो पता चला कि मरीज की उम्र जब 15 वर्ष थी, उस समय उसके दादाजी का निधन हो गया था। घरवालों ने बताया कि पहले तो हम लोगों ने कोई खास ध्यान नहीं दिया, जब ध्यान दिया तो मरीज को लेकर जीसीसीएचआर पहुंचे। डॉ गौरांग ने बताया कि शारीरिक और मन:स्थिति, घटित हो चुकी परिस्थितियों आदि की हिस्ट्री को ध्यान में रखते हुए दवा का चयन करके इलाज शुरू किया गया था, जो कि अभी जारी है। लाभ के बारे में उन्होंने बताया कि हर बार फोटो खींचकर प्रगति का रिकॉर्ड रखा जाता है। उन्होंने बताया कि इस समय उसके हाथ के सफेद दाग बिल्कुल समाप्त हो गये हैं जबकि पैर में सिर्फ एक छोटी सा गोल निशान भर का सफेद दाग रह गया है।