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केजीएमयू में अब ट्रान्सेंडैंटल मैडिटेशन से दूर होगा डिप्रेशन, मिलेगी मन की शांति

केजीएमयू और महर्षि विश्वविद्यालय के बीच समझौते पर हस्ताक्षर, शोध कार्य का होगा आदान-प्रदान

लखनऊ. ट्रान्सेंडैंटल मैडिटेशन (Transcendental Meditation) यानी भावातीत ध्यान का प्रशिक्षण अब किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों, कर्मचारियों और मरीजों को दिया जायेगा. इसके लिए केजीएमयू और महर्षि विश्वविद्यालय लखनऊ के बीच आज एक समझौते पर हस्ताक्षर किये गए. ट्रान्सेंडैंटल मैडिटेशन एक ऐसी थेरेपी है जो अवसाद यानी डिप्रेशन को दूर करने और मन की शांति के लिए अत्यंत कारगर है. इसे वैज्ञानिक तरीके से प्रमाणित किया गया है.

 

केजीएमयू में आज हुए इस समझौते के तहत दोनों संस्थान अपने होने वाले शोध को एक दूसरे के साथ साझा करेंगे. समझौते पर केजीएमयू के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट तथा महर्षि विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति प्रोफेसर पीके भारती द्वारा हस्ताक्षर किए गए. यह प्रशिक्षण केजीएमयू के कर्मचारियों विद्यार्थियों एवं आम जनता को दिया जाएगा इस समझौते के तहत दोनों संस्थाओं के शोधार्थी सामान्य विषय पर शोध कार्य कर सकेंगे. इस मौके पर चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलसचिव राजेश कुमार राय वित्त अधिकारी मोहम्मद जमा, हिमेटोलॉजी विभाग के मुखिया प्रोफेसर एके त्रिपाठी, प्रोफेसर एके सक्सेना, प्रोफेसर सिद्धार्थ अग्रवाल, प्रोफेसर अरुण कुमार शर्मा एवं महर्षि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीयूष पांडे, कुलसचिव अनूप श्रीवास्तव, हरीश द्विवेदी, विभा सिंह एवं पवन तिवारी उपस्थित रहे.

 

आपको बता दें कि यह मेडिटेशन कई रोगों में लाभकारी है बताया जाता है ट्रान्सेंडैंटल मैडिटेशन यानी भावातीत ध्यान की खोज महर्षि महेश योगी ने की थी. यह बहुत ही सरल और प्राकृतिक ध्यान विधि है. खास बात यह है कि इस विधि में व्यक्ति को कोई विशेष प्रयास नहीं करना पड़ता है, यह ध्यान विधि मंत्र ध्यान से मिलती-जुलती है क्योंकि इसमें भी कुछ खास मंत्रों का प्रयोग किया जाता है, इससे हमारे मन को अत्यंत शांति और शरीर को हल्कापन प्राप्त होता है. बताया जाता है कि भावातीत ध्यान विधि की लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है. यह विदेशों में भी बहुत प्रचलित है तथा वहां पर इस ध्यान विधि को सिखाने के लिए बड़े-बड़े संस्थान खुले हुए हैं. बताया जाता है इस ध्यान को करने में किसी तरह की एकाग्रता की आवश्यकता नहीं पड़ती और न ही अपने मन को काबू में करना पड़ता और ना ही किसी वस्तु पर अपना ध्यान लगाना पड़ता है.

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