केजीएमयू के विशेषज्ञों ने पुलिस लाइन में आयोजित किया प्रशिक्षण शिविर
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के पुलिस महकमे में पहली बार दुर्घटना जैसी आकस्मिक स्थिति में चिकित्सक तक पहुंचने तक मरीज की जान किस तरह बचायी जाये, इसका प्रशिक्षण ‘बेसिक लाइफ सपोर्ट’ (बीएलएस) दिया गया। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय के इंस्टीट्यूट ऑफ स्किल के विशेषज्ञों द्वारा यह प्रशिक्षण गुरुवार को पुलिस लाइन में दिया गया।
यह कार्यक्रम ग्रामीण लखनऊ के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर के अनुरोध पर आयोजित किया गया था। इस कार्यक्रम में पुलिस के 60 जवानों को बीएलएस की बारीकियां समझाते हुए उन्हें हैंड्स ऑन का प्रशिक्षण दिया गया। स्किल इंस्टीट्यूट के प्रभारी डॉ विनोद जैन ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति की हृदय गति रुकने के 3 से 5 मिनट के अंदर उसको सीपीआर नहीं दिया जाएगा तो उस व्यक्ति का मस्तिष्क बेकार हो जाएगा, जिसके परिणामस्वरूप जीवित रहने पर भी उस व्यक्ति का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा। उन्होंने बताया कि यह प्रशिक्षण न केवल चिकित्सकों, नर्सो, पैरामेडिकलकर्मियों को दिया जाना चाहिए बल्कि इसे सभी जनसामान्य व्यक्तियों तक पहुंचाने की आवश्यकता है।
केजीएमयू बीएलएस के चैयरमेन प्रो जीपी सिंह ने बताया कि हृदयगति पुनः प्राप्त करने के लिए छाती को प्रति मिनट 100 से 120 बार दबाना चाहिए तथा प्रत्येक 30 बार छाती दबाने के बाद दो बार मुंह के द्वारा सांस दी जानी चाहिए। उन्होंने बताया कि यह कार्य तब तक किया जाना चाहिए जब तक कोई चिकित्सीय मदद न उपलब्ध हो जाए।
इस कार्यक्रम में अन्य प्रशिक्षकों में डॉ राजेश रमन एवं डॉ पंकज भी शमिल थे। इसके साथ ही हैंड्स ऑन प्रशिक्षण के लिए पुलिस के 60 जवानों को 8 समूह में बांट दिया गया था तथा प्रत्येक समूह की निगरानी बीएलएस प्रशिक्षण प्राप्त स्वास्थ्यकर्मी द्वारा की गई।
इस प्रशिक्षण टीम में क्लींनिकल को-ऑर्डिनेटर शालिनी गुप्ता, केजीएमयू पैरामेडिकल संकाय के शिक्षक राघवेन्द्र शर्मा, बीनू दुबे, शिवांगी श्रीवास्तव, श्यामजी रमन एवं आवृत्ति रस्तोगी शामिल थीं।
इस अवसर पर अपर पुलिस अधीक्षक, लखनऊ अमित कुमार ने इस प्रशिक्षण कार्यक्रम की प्रशंसा करते हुए आग्रह किया कि लखनऊ पुलिस के जवानों के लिए ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम निरंतर चलाए जाने चाहिए।
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