-दुनिया का सबसे बड़ा हत्यारा है हृदय रोग : डॉ आईएम तब्बाब

सेहत टाइम्स
लखनऊ। हृदय रोग (सीवीडी) दुनिया का सबसे बड़ा हत्यारा है, जो एक वर्ष में 17.3 मिलियन लोगों की जान लेता है। सीवीडी से होने वाली दुनिया की 80% से अधिक मौतें निम्न और मध्यम आय वाले देशों में होती हैं। भारत में प्रति एक लाख जनसंख्या पर 306.3 मौतों का आंकड़ा है। यह न केवल व्यक्ति को प्रभावित करता है बल्कि इसके कारण होने वाली अक्षमताओं और अक्षमताओं के कारण देश के आर्थिक उत्पादन को भी प्रभावित करता है।
यह जानकारी हर्बल अड्डा वेलनेस सेंटर उन्नाव के फाउंडर यूनानी विधा के चिकित्सक डॉ आईएम तब्बाब ने देते हुए बताया कि जैसे कि आजकल कड़ाके की ठंड पड़ रही है, इस मौसम में हृदय रोग बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीवीडी से दुनिया में हो रही मौतों से निपटने के लिए जोखिम कारक संशोधन आज तक का सबसे अच्छा तरीका है। जैसा कि हिप्पोक्रेट्स ने कहा है “अपने स्वास्थ्य को खोने से पहले उसका खयाल रखें”। इस प्रकार, यूनानी चिकित्सकों द्वारा बताए गए तदबीर (नियमों) का पालन करते हुए, किसी को सीवीडी की गंभीर जटिलताओं से प्रभावित होने से बचाया जा सकता है।
उन्होंने बताया कि यूनानी चिकित्सा से सीवीडी के इलाज के कई तरीके है इनमें 1. इलाज बिल गिजा 2. इलाज बिल तदबीर तथा 3. इलाज बिल दवा । डॉ तब्बाब ने बताया कि ऐसी गिजा खानी चाहिए जिससे शरीर को ऊर्जा भी मिलती रहे और खून गाढ़ा भी न हो इसके लिए संतुलित आहार लेना चाहिए इसके साथ कुछ तदबीर यानी (रेजिमेंटल थैरेपी) भी करनी चहिए इनमें 1. दालक (मालिश): कुंजुद और बनफ्शा के तेल से मालिश करने से तनाव कम होता है और यह तनाव से संबंधित हार्मोन के स्तर को कम करने के लिए दिखाया गया है। तनाव हार्मोन के स्तर को कम करने से कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और इसलिए हृदय रोग के जोखिम को कम करता है।
उन्होंने बताया कि इसी प्रकार 2.रियाज़त (व्यायाम): दैनिक हल्के व्यायाम जैसे कि सुबह या शाम की सैर शरीर से रद्दी फ़ज़लत (अपशिष्ट) को तहलिल कर सकती है और पसीने के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल सकती है। इसी प्रकार 3. हम्माम : steam bath यह त्वचा के छिद्रों को फैलाता है, तहलील करता है या शरीर के फुजला अपशिष्ट को नुजुज (पका) देता है और उन्हें पसीने के माध्यम से शरीर से बाहर निकाल देता है। 4. दवा (ड्रग्स): मुफ़राह वा मुक़क़ावी क़ल्ब, मुफ़तह सुदूद, मुसफ़ी दम जैसी दवाओं का हमारे यूनानी चिकित्सकों द्वारा सीवीडी की अलग-अलग रेंज की रोकथाम और प्रबंधन के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग किया गया है।
डॉ तब्बाब का कहना है कि इस अवधारणा का उद्देश्य क़ल्ब (हृदय) और अन्य अज़ाए रायसा (महत्वपूर्ण अंगों) की जीवन शक्ति को बनाए रखना है, उन्हें अप्रिय उत्तेजनाओं से बचाकर और क़ल्ब और अन्य अज़ाए रायसा को प्रभावित करने वाले कारकों से निपटने के लिए उन्हें मजबूत करना है।, जिसमें एंटीऑक्सिडेंट, गुण होते हैं, लेकिन समान रूप से कार्डियोटोनिक के रूप में कार्य करना चाहिए। उन्होंने बताया कि यूनानी चिकित्सा पद्धति में इस प्रकार की दवाओं की एक लंबी सूची है। उनमें से कुछ हैं- बंडाराजोबोया, अब्रेशम, लहसुन, अर्जुन, उशना, रेहान, दारूनजे अकरबी, दारचीनी, हलीला काबुली आदि। सीवीडी से बचने के लिए बहुत सारे शोध किए गए हैं और अभी भी रोकथाम में यूनानी दवाओं की प्रभावकारिता को साबित करने के लिए शोध चल रहे हैं।
 
 

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