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भारत में कोरोना की तीसरी लहर आने की संभावना नहीं, लेकिन…

-एम्‍स निदेशक डॉ रनदीप गुलेरिया ने कहा, लेकिन अभी सतर्क रहना जरूरी  

कोरोना वायरस को लेकर एक सुकून भरी खबर है, दिल्‍ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्‍थान (एम्‍स) के निदेशक डॉ रनदीप गुलेरिया ने कहा है कि देश में कोरोना वायरस की तीसरी लहर आने की संभावना न के बराबर है क्‍योंकि दूसरी लहर अब काफी कमजोर पड़ चुकी है, वायरस से संक्रमण के मामले लगातार घट रहे हैं। लेकिन साथ ही उन्‍होंने आगाह किया कि इसका अर्थ यह नहीं है कि हम लापरवाही शुरू कर दें, उन्‍होंने कहा कि जब‍ तक भारत में प्रत्‍येक व्‍यक्ति को वैक्‍सीन नहीं लग जाती तब तक सत‍र्क रहने की आवश्‍यकता है।

डॉक्टर गुलेरिया का कहना है कि कोरोना वायरस जल्द ही आम फ्लू यानी साधारण खांसी, जुकाम की तरह हो जाएगा क्योंकि लोगों में अब इस वायरस के खिलाफ इम्युनिटी तैयार चुकी है, लेकिन बीमार और कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों को इस बीमारी से जान का खतरा बना रहेगा।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मंगलवार को संक्रमण के 26 हजार मामले सामने आए और इसके साथ ही 252 मौतें दर्ज की गईं, इसके बाद दिल्ली एम्स के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया के मुताबिक कोरोना वायरस अब महामारी नहीं रह गया है। हालांकि उन्होंने सबको टीकाकरण होने तक सतर्क रहने की जरूरत बतायी।

डॉ गुलेरिया ने लोगों से खास तौर पर त्योहारों पर भीड़-भाड़ से बचने की सलाह दी है।’ डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि भारत में दर्ज हो रहे आंकड़े अब 25 हजार से 40 हजार के बीच आ रहे हैं, अगर लोग सावधान रहे तो कोरोना संक्रमण के मामले धीरे-धीरे कम होते रहेंगे। डॉ गुलेरिया ने कहा कि हालांकि देश में कोरोना कभी पूरी तरह खत्म नहीं होगा लेकिन चूंकि भारत में जितनी तेजी से वैक्सीनेशन हो रहा है, उसे देखते हुए कोरोना का अब महामारी की शक्ल लेना या बड़े पैमाने पर फैलना मुश्किल है। 


बूस्‍टर डोज को लेकर डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि भारत में प्राथमिकता यह है कि पहले सभी लोगों को वैक्सीन की दोनों डोज लग जाएं, बच्चों को भी वैक्सीन लग जाए। इसके बाद ही बूस्टर डोज पर जोर दिया जाना चाहिए। हालांकि उन्होंने कुछ वक्त के बाद बेहद बीमार, बुजुर्गों या कमजोर इम्युनिटी वालों को बूस्टर डोज दिये जाने के बारे में विचार किया जा सकता है। डॉ गुलेरिया ने कहा कि यह भी जरूरी नहीं कि बूस्टर उसी वैक्सीन का लगे जो किसी ने पहले लगवाई हो। इस बारे में कोई पॉलिसी बनाकर नई वैक्सीन लगवाकर भी बूस्टर का काम किया जा सकता है।

डॉ गुलेरिया ने कहा कि कुछ लोगों को बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है। ये बूस्टर दूसरी वैक्सीन की भी लग सकती है। इस पर सबको वैक्‍सीनेशन होने के बाद निर्णय लिया जा सकता है। उन्‍होंने बताया कि सभी लोगों को वैक्‍सीन लगाने का लक्ष्‍य दिसम्‍बर तक रखा गया है।

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