-नेशनल एसोसिएशन ऑफ फार्माकोलॉजी एंड थेरेपियुटिक्स की दो दिवसीय कॉन्फ्रेंस ‘नेप्टीकॉन 2023’ सम्पन्न
सेहत टाइम्स
लखनऊ। केजीएमयू के फार्माकोलॉजी एंड थेरेपियुटिक्स विभाग द्वारा नेशनल एसोसिएशन ऑफ फार्माकोलॉजी एंड थेरेपियुटिक्स के तत्वावधान में यहां अटल बिहारी साइंटिफिक कन्वेन्शन सेंटर में 1 एवं 2 दिसम्बर को वार्षिक सम्मेलन का आयोजन किया गया। सम्मेलन में देश भर के फार्माकोलॉजिस्ट जुटे और नयी-नयी जानकारियों को साझा किया।
यह जानकारी देते हुए सम्मेलन के आयोजन अध्यक्ष डॉ एके सचान ने बताया कि सम्मेलन की थीम समग्र स्वास्थ्य देखभाल में औषध विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान की भूमिका (Role of Pharmacology and Therapeutics in Holistic health care) थी। उन्होंने बताया कि नवी मुंबई के टाटा मेमोरियल सेंटर के ऑन्कोथेरेप्यूटिक्स फेलो एडवांस्ड सेंटर फॉर ट्रीटमेंट, रिसर्च एंड एजुकेशन इन कैंसर से डॉ अर्शिया सहगल ने कैंसर अस्पताल में फार्माकोलॉजिस्ट की भूमिका के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि ऑन्कोलॉजी अस्पतालों में फार्माकोलॉजिस्ट की कैंसर के मामलों को संबोधित करने, परीक्षणों को बढ़ावा देने, दवाओं की निगरानी करने, वृद्धावस्था मूल्यांकन और बढ़ते कैंसर के मामलों के मद्देनजर सटीक दवा को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका हैंं।
प्रोफेसर और प्रमुख, फार्माकोलॉजी और थेरेप्यूटिक्स विभाग, अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नागपुर के डॉ. गणेश दखले ने क्लिनिकल रिसर्च में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर बात करते हुए कहा कि एआई नैदानिक परीक्षण संवर्धन रणनीतियों के माध्यम से रोगी के चयन को बढ़ा सकता है, रोगी की सुनिश्चित करते हुए सफलता की संभावना और परीक्षण के बोझ में सुधार कर सकता है।
इसी प्रकार बायोइक्विवेलेंस (बीई), एलेम्बिक फार्मास्युटिकल, वडोदरा, गुजरात के प्रमुख तरंग शाह ने ‘औषधि विकास में जैव उपलब्धता और जैव समतुल्यता अध्ययन’ विषय पर बोलते हुए कहा कि फार्माकोकाइनेटिक मापदंडों को निर्धारित करने और मालिकाना दवाओं की जैविक तुल्यता का मूल्यांकन करने के लिए जैव उपलब्धता और जैव समतुल्यता अध्ययन महत्वपूर्ण हैं, जिसके लिए केंद्रीय लाइसेंसिंग प्राधिकरण और नैतिकता समिति की मंजूरी की आवश्यकता होती है।
नवी मुंबई और हल्दिया से आये डॉ अनंत डी. पाटिल और डॉ. सुकांत सेन ने वैज्ञानिक जर्नल में प्रकाशन: मिथकों को स्पष्ट करना” विषय पर चर्चा की गयी। इस सत्र में इंटरनेट और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के कारण प्रतिष्ठित वैज्ञानिक पत्रिकाओं के महत्व, उनके लेखकत्व मानदंड, पांडुलिपि संरचना, रैंकिंग, सहकर्मी समीक्षा, नैतिकता और उन्हें प्राप्त करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा की गयी।
सम्मेलन में पहली दिसम्बर को एक रंगारंग कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया, जिसमें स्थानीय के साथ ही देश के दूर-दूर के हिस्सों से कॉन्फ्रेंस में हिस्सा लेने आये प्रतिभागियों ने नृत्य और संगीत का जमकर लुत्फ उठाते हुए स्वयं गीत-संगीत की सरिता बहाई।