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डॉक्‍टरों सहित सभी स्‍वास्‍थ्‍य कर्मियों की तबादला नीति में संशोधन का मामला अधर में

-चिकित्‍सा स्‍वास्‍थ्‍य महासंघ ने कहा- दो दिन करेंगे इंतजार, वरना लिया जा सकता है कठोर निर्णय

-अपर मुख्‍य सचिव के साथ एक घंटे चली बैठक में अनेक मसलों पर हुई वार्ता

अशोक कुमार

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। उत्‍तर प्रदेश में चिकित्‍सा एवं स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के विभिन्‍न संवर्गों को लेकर गठित किये गये चिकित्‍सा स्‍वास्‍थ्‍य महासंघ ने कहा है कि स्‍थानांतरण नीति में संशोधन को लेकर अगर दो दिन में शासन द्वारा निर्णय नहीं लिया गया तो महासंघ कठोर कदम उठाने पर विचार करेगा। आज शासन के साथ हुई बैठक में स्‍थानांतरण नीति में संशोधन की मांग को लेकर विभाग के अपर मुख्‍य सचिव द्वारा कोई ठोस आश्‍वासन नहीं मिल सका है, अपर मुख्‍य सचिव का कहना था कि स्‍थानांतरण नीति चूंकि कार्मिक विभाग की बनायी हुई है, इसलिए उसमें किसी प्रकार का बदलाव चिकित्‍सा, स्‍वास्‍थ्‍य विभाग नहीं कर सकता है, इस पर निर्णय कार्मिक विभाग ही लेगा।

यह जानकारी देते हुए महासंघ के महासचिव अशोक कुमार ने बताया कि महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य के अनुरोध पर 2 जुलाई महानिदेशालय का घेराव स्थगित कर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद के साथ चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ की बैठक लाल बहादुर शास्त्री (एनेक्सी भवन) में चतुर्थ तल स्थित उनके सभागार में आज हुई, जिसमें चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में कार्य समस्त अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मांगों पर विस्तृत चर्चा हुई। उन्‍होंने बताया कि मुख्‍यमंत्री के आदेश के बावजूद 25 प्रतिशत प्रोत्साहन राशि अभी तक  किसी भी कोरोना वारियर को नहीं दी गई एवं जनवरी 2020 से अभी तक महंगाई भत्ते की किस्त भी फ्रिज कर दी गयीं है, परिवार कल्याण भत्ता, शहर प्रतिपूरक भत्ता भी बंद कर दिया गया है, सभी संवर्गों के पदोन्नति के पद रिक्त पड़े हैं, सभी संवर्गों के पद भी हजारों की संख्या में रिक्त पड़े हैं, ऐसे जब कोविड-19 की लहर पूर्ण रूप से समाप्त नहीं हुई है और तीसरी लहर दस्तक देने वाली है ऐसे में स्थानांतरण क्यों जरूरी है। परन्तु अपर मुख्य सचिव ने बताया कि यह स्थानतरण नीति कार्मिक विभाग द्वारा निर्धारित की गई है, इसमें हम कोई संशोधन नहीं कर सकते हैं।

अशोक कुमार ने कहा कि जब उनसे कहा गया कि स्वयं के अनुरोध एवं समायोजन पर साल में 12 महीने आप स्थानांतरण करें परन्तु हम सभी की मजबूरी समझें कि इस समय कोरोना काल में जब हम लोगों को कोई किराए पर मकान तक नहीं देना चाहता, कैसे किसी दूसरे शहर में जाकर अपनी सेवाएं दे पायेंगे, इस पर अपर मुख्य सचिव ने आश्‍वासन दिया कि हम अपर मुख्य सचिव कार्मिक एवं मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश शासन से वार्ता करके ही उचित निर्णय ले सकते हैं। उन्‍होंने बताया कि  बैठक लगभग 1 घंटे तक चली तथा स्‍थानांतरण नीति में संशोधन को छोड़कर शेष सभी मुद्दों पर सार्थक वार्ता हुई।

अशोक कुमार ने कहा कि यदि दो कार्य दिवसों में सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता है तब बाध्य होकर चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ कोई कठोर निर्णय लेने को बाध्य हो सकता है, क्योंकि शासन प्रशासन से कई बार लिखित व मौखिक बात के बाद भी स्थानांतरण नीति पर यदि कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया जाता तो इस तीसरी कोविड लहर में आमजनमानस को भी काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है जिसकी समस्‍त जिम्मेदारी शासन व प्रशासन की होगी।

बैठक में अपर मुख्य सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य अमित मोहन प्रसाद, महानिदेशक चिकित्‍सा स्वास्‍थ्‍य डॉ डीएस नेगी, चिकित्सा स्वास्थ्य महासंघ के प्रधान महासचिव अशोक कुमार, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्रवण सचान, सचिव सर्वेश पाटिल, उपाध्यक्ष अरविन्द वर्मा, जे के सचान उपस्थित रहे। अशोक कुमार ने बताया कि महासंघ में शामिल संगठनों की बैठक कल 7 जुलाई को समय 2 बजे दोपहर बलरामपुर चिकित्सालय, लखनऊ स्थित फार्मासिस्ट भवन मे रखी गई है जिसमें सम्सत लोगों की राय लेकर स्थानतरण नीति के विरोध पर विचार कर  कठोर निर्णय लिया जा सकता है।

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