Tuesday , March 18 2025

घर से ही पड़नी चाहिये महिलाओं को सम्मान देने की आदत

-संजय गांधी पी जी आई में लैंगिक संवेदनशीलता (Gender Sensitization) पर जागरूकता कार्यक्रम आयोजित

सेहत टाइम्स

लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान के जन संपर्क विभाग द्वारा आज शनिवार 8 फरवरी को मिनी सभागार में Internal Complaint Committee के तत्वावधान मे लैंगिक संवेदनशीलता, इसके समक्ष आने वाली चुनौतियां व कानूनी धाराओं व अधिनियम के प्रति महिला कर्मियों की समझ को विकसित करने व सभी सहकर्मियों द्वारा कार्यस्थल के परिवेश को सौहार्दपूर्ण बनाने के उद्देश्य से लैंगिक संवेदनशीलता के प्रति जागरूकता’ विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।

कार्यशाला में हुई चर्चा में इस बात पर जोर दिया गया कि आदर्श स्थिति तो यह है कि हम अपनी महिला और पुरुष दोनों कर्मियों को ऐसा संवेदनशील बनाना चाहिये कि एक दूसरे के सम्मान का स्वत: खयाल रखें, कोई ऐसा कृत्य, व्यवहार, छींटाकशी आदि न हो जिससे ऐसी नौबत न आयें कि इस सम्बन्ध में शिकायत करनी पड़े। महिला कर्मियों से अपेक्षा की गयी कि अगर ऐसी कुछ बात होती भी है तो उसे शुरुआत में ही आंतरिक समस्या समिति के संज्ञान में लायें जिससे कि बात आगे न बढ़ सके।

इस कार्यक्रम का संचालन व संयोजन जन संपर्क अधिकारी कुसुम यादव द्वारा किया गया। कार्यक्रम में आंतरिक समस्या समिति की अध्यक्ष प्रोफेसर शुभा फड़के ने कार्यस्थल पर लिंग आधारित उत्पीड़न से निपटने की आवश्यकता को समझाने का प्रयास किया। साथ ही कार्य क्षेत्र में उत्पीड़न को रोकने के लिए संस्थान में बनाए गए आंतरिक समस्या समिति के बारे में भी बताया।

संस्थान के संकायाध्यक्ष प्रोफेसर शालीन कुमार ने उत्पीड़न की मनोवृत्ति की मूल उत्पत्ति को समझाते हुए कहा कि सिनेमा, पारिवारिक संस्कृति व समाज किसी भी व्यक्ति विशेष के सोच व व्यवहार को प्रभावित करता है। किसी के आचार-विचार व व्यवहार को आसानी से नहीं बदला जा सकता है। ये समय के साथ खुद के अंदर बदलाव लाने के साथ ही संभव है। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात कही कि महिलाओं के साथ भेदभाव रोकने की शुरुआत घर से ही होनी चाहिये, क्योंकि कई बार लड़के घर से ही सीखते हैं कि लड़की होने के नाते फलां कार्य की जिम्मेदारी तो लड़की की है, ऐसे में उनका नजरिया लड़कियों के प्रति अलग ही बन जाता है।

सीनियर फिजीशियन डा प्रेरणा कपूर ने भी विचार व व्यवहार परिवर्तन की बात करते हुए बताया कि हमें सर्वप्रथम अपने अंदर बदलाव लाने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए हमें कार्यक्षेत्र में एक दूसरे के साथ सम्मानित व सभ्य तरीके से बात करना चाहिए और किसी के साथ भी अपमानजनक भाषा व व्यवहार का निषेध करना चाहिए।

सुरक्षा नामक गैर सरकारी संगठन की मानद सचिव व संजय गाँधी पी जी आई की Internal complaint committee की बाह्य सदस्य शालिनी माथुर ‘कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि थी। कार्यक्रम में इन्होंने लैंगिक संवेदनशीलता के विभिन्न पहलुओं, इसके चुनौतियों व कानूनी नियमों के बारे में विस्तार से बताया। उनका प्रेरणादायक व सूचनाप्रद व्याख्यान तीन मूल बिन्दुओं पर आधारित था कि शिक्षा, सत्ता और संपत्ति पर जब स्त्रियों का समान अधिकार होगा, तभी वे हर प्रकार के उत्पीड़न का डट के सामना कर पायेगी। महिलाओं के लिए शिक्षा का तात्पर्य केवल साक्षर होना नहीं, अपितु उनका बौद्धिक विकास व निर्णय लेने की क्षमता भी है।

इस कार्यक्रम में जन संपर्क विभाग के सदस्यों, नर्सिंग अधीक्षकों, नर्सिंग अधिकारी, मेडिकल सोशल सर्विस ऑफिसर, नर्सिंग कॉलेज व कॉलेज ऑफ मेडिकल टेक्नोलॉजी के छात्र-छात्राओं ने सहभागिता की। पैनल चर्चा में विभिन्न मुद्दों जैसे लिविंग इन रिलेशनशिप व उत्पीड़न, कार्यक्षेत्र में ईव टीजिंग, अनुशासन हीनता व उत्पीड़न में अंतर, उत्पीड़न को कार्यक्षेत्र के अंदर कैसे प्राथमिक स्तर पर ही रोका जाए, ज्वाइंट पेरेंटिंग, कार्यक्षेत्र में महिला व पुरुष के लिए सौहार्द पूर्ण वातावरण पर परस्पर चर्चा हुई। इस जागरुकता कार्यक्रम मे संस्थान परिवार के लगभग 130 सदस्यों ने प्रतिभागिता की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.