-नववर्ष चेतना समिति के समारोह विक्रमोत्सव 2079 में किया गया आह्वान
-हिन्दू संस्कृति को किस तरह नष्ट करने की चेष्टाएं हुईं, अब क्या करना चाहिये
-नवचैतन्य स्मारिका एवं नवचैतन्य पंचांग का लोकार्पण व नृत्य नाटिका नमामि रामम् की जबरदस्त प्रस्तुति
सेहत टाइम्स
लखनऊ। हमारी संस्कृति पर बहुत हमला हुआ है, बार-बार इसे नीचा दिखाने की कोशिश हुई है, इसी का नतीजा है कि आज हम अपनी ही संस्कृति की महानता पूरी तरह नहीं जानते। आज से मां दुर्गा की नवरात्रि प्रारम्भ हुई है। मां दुर्गा ने जिस प्रकार रक्तबीज नामक दैत्य का संहार करने के लिए अपने ही काली रूप के साथ मिलकर उसका अंत किया उसी प्रकार आज के जमाने में भ्रष्टाचार, आतंक जैसे रक्तबीज का संहार करने के लिए सरकार को मां दुर्गा तथा समाज को मां काली की भूमिका में कार्य करना होगा।
यह उद्गार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के अवध प्रान्त के सह प्रान्त प्रचारक मनोज जी ने शनिवार 2 अप्रैल को यहां गोमती नगर स्थित अंतर्राष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान के सभागार में नववर्ष चेतना समिति द्वारा आयोजित विक्रमोत्वस 2079 में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए व्यक्त किये। उन्होंने कहा कि मां दुर्गा, जिन्हें सभी देवताओं ने अपनी अपनी शक्ति से सुशोभित कर महाशक्ति बनाया था, उनका जब रक्तबीज नामक दैत्य के साथ युद्ध चल रहा था तब जैसे ही वह रक्तबीज को मारतीं और उसका लहू जमीन पर गिरता वैसे ही जितना लहू जमीन पर गिरता उससे उतने ही राक्षस उत्पन्न हो जाते, उस समय मां दुर्गा ने मां काली का आह्वान कर उन्हें रक्तबीच के रक्त को जमीन पर गिरने से पूर्व ही अपने मुंह में लेने को कहा, मां काली ने ऐसा ही किया, परिणामस्वरूप रक्तबीज दानव मारा गया। उन्होंने कहा कि जब समाज हमारा मां काली के रूप में नये आतंकवादी, भ्रष्टाचारी पैदा ही नहीं होने देंगे तभी सरकार मां दुर्गा की तरह रक्तबीजों का सफाया कर सकेगी जिससे सभी का कल्याण होगा।
समारोह में नवचैतन्य स्मारिका एवं नवचैतन्य पंचांग का लोकार्पण भी किया गया। मनोज जी ने कहा कि आज विक्रम संवत की वर्षगांठ है, आज के ही दिन सृष्टि की शुरुआत हुई थी, उन्होंने कहा कि विक्रम संवत की कालगणना पूरी तरह वैज्ञानिक है क्योंकि यह सूर्य और चन्द्रमा पर आधारित है। उन्होंने कहा कि आज हमारा विक्रम संवत 1 अरब 95 करोड़ 58 लाख 85 हजार 124 साल का हो गया है।
उन्होंने हिन्दुत्व की व्याख्या करते हुए बताया कि हिन्दू संस्कृति बहुत विस्तृत शब्द है, भारत का सांस्कृतिक भूगोल बहुत व्यापक है। उन्होंने कहा कि हिन्दू तो वो है जो सर्वे भवंतु सुखिनः सर्वे संतु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यंतु यानी हिन्दू तो विश्व के सभी लोगों को सुखी देखना चाहता है। उन्होंने कहा कि हिन्दू शब्द की व्याख्या पर देश के मुख्य न्यायाधीश रह चुके जस्टिस अहमदी ने कहा था कि हिंदू धर्म नहीं, एक जीवन शैली है जिस पर कोई भी चल सकता है। उन्होंने कहा कि सरदार विक्रमादित्य जिन्होंने सोए हुए हिंदुओं को जगाने का काम किया उनका भी तिलक आज ही के दिन हुआ था। आर्य समाज की स्थापना आज हुई थी, भगवान झूलेलाल की जयंती आज है।
उन्होंने कहा कि हिन्दू संस्कृति को बढ़ावा देने का कार्य जो होना चाहिये था, वह नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि इसके पीछे जो कारण मैं मानता हूं वह यह है कि उस समय के देश के शासक का हिंदू संस्कृति को दोयम दर्जे का मानना है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन शासक कहते थे कि ‘आई एम एक्सीडेंटल हिंदू’ (यानी मैं दुर्घटनावश हिन्दू हूं) आई एम मेंटेलिटी वाइज क्रिश्चियन एंड लिविंग विद मुस्लिम। उन्होंने कहा कि सोचिये जब सोच ऐसी थी तो ऐसे लोगों से हिन्दू संस्कृति को आगे बढ़ाने की उम्मीद रखना ही बेमायने हैं।
उन्होंने कहा कि लॉर्ड मैकाले ने कहा था कि इस देश की संस्कृति को अगर नष्ट करना है तो इस देश की शिक्षा पद्धति को नष्ट करो। उन्होंने कहा कि हमारे देश पर मुस्लिमों ने लंबे समय तक शासन किया लेकिन इसके बावजूद वह हमारे ऊपर वह चीज नहीं थोप पाये जो कम समय में शासन करके अंग्रेज लोग थोप गये यानी शिक्षा पद्धति में बदलाव। उन्होंने कहा कि शिक्षा में हमें हमारी संस्कृति के गौरवशाली इतिहास के बारे में नहीं बताया गया। उन्होंनें कहा कि अब बुजुर्गों का यह दायित्व है कि वे अपने गौरवशाली इतिहास के बारे में युवाओं को बतायें, और यदि बुजुर्गों को भी नहीं पता है तो वह पहले स्वयं इतिहास पढ़कर जानकारी लें फिर युवा पीढ़ी को बतायें।
अंग्रेजों को खुश करने के लिए शक सम्वत को दी मान्यता
समारोह के मुख्य वक्ता विधायक साकेन्द्र प्रताप वर्मा ने अपने सम्बोधन में सभी को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आज सभी लोग अपने मित्रों-परिचितों को भारतीय नववर्ष की शुभकामनाएं जरूर दें। हिन्दू संस्कृति को किस तरह नष्ट किया गया इस पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि मैकाले ने अपने देश की संसद में कहा था कि अगर हम चाहते हैं कि सम्पन्न देश भारतवर्ष पर लंबे समय तक शासन हो तो वहां के लोगों का विचार परिवर्तन करना पड़ेगा उनके लोगों की सोचने की दिशा अंग्रेजी की ओर ढालनी पड़ेगी।
उन्होंने कहा कि हमें सिखाया गया कि बड़ा दिन 25 दिसंबर को होता है जबकि इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है इस दिन की अवधि भी बड़ी नहीं होती है, अगर कुछ खास है तो यह कि उस दिन प्रभु ईसा मसीह का जन्म हुआ था इसलिए अंग्रेजों ने बता दिया यही सबके लिए बड़ा दिन है जबकि भगवान राम का जन्मदिन, भगवान कृष्ण का जन्मदिन महात्मा बुद्ध का जन्म दिन आदि किसी भी जन्मदिन को बड़ा नहीं बताया गया।
उन्होंने बताया कि आजादी के बाद जब पंचांग सुधार समिति बनी तो तत्कालीन शासकों ने रोजमर्रा के कार्यों के लिए ग्रेगोरियन कैलेंडर तथा कालगणना के लिए शक संवत को मान्यता दी जबकि शक संवत का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है, शक संवत 22 मार्च को शुरू होती है जबकि विक्रम संवत उसके बड़ा और पूरी तरह वैज्ञानिक आधार पर तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि दरअसल अंग्रेजों को खुश करने के लिए शक संवत को मान्यता दी गयी क्योंकि वह ग्रेगोरियन कैंलेंडर से उम्र में छोटा है। विक्रम संवत को मान्यता दी होती तो चूंकि यह 78 साल बड़ा है तो अंग्रेजों को दिखता कि उनके ग्रेगोरियन कैलेंडर से बड़ा हिन्दुओं का विक्रम संवत है, इसलिए अंग्रेजों को खुश करने के लिए शासकों ने विक्रम संवत को मान्यता नहीं दी।
उन्होंने कहा कि इसी प्रकार एक और पीड़ा है। उन्होंने कहा कि इस बात को कहने से पहले मैं यह साफ करना चाहता हूं कि संविधान और उसके बनाने वालों के प्रति मेरा पूरा आदर है लेकिन एक चीज यह खटकती है कि संविधान में पहली ही लाइन में लिखा गया कि इंडिया दैट इज भारत यानी अंग्रेजी का इंडिया पहले और हमारा भारत बाद में लिखा गया ऐसा क्यों।
महाराजा विक्रमादित्य की प्रतिमा का अनावरण करेंगी संयुक्ता भाटिया
समारोह की अध्यक्षता करते हुए महापौर संयुक्ता भाटिया ने अपने सम्बोधन में वादा किया कि वह अपने कार्यकाल में ही एसजीपीजीआई के निकट महाराजा विक्रमादित्य पार्क में महाराजा विक्रमादित्य की प्रतिमा का अनावरण अवश्य ही करेंगी। उन्होंने इस कार्यक्रम के लिए नववर्ष चेतना समिति के साथ सभी को भारतीय नववर्ष की शुभकामनाएं दीं।
इससे पूर्व नववर्ष चेतना समिति के अध्यक्ष डॉ गिरीश गुप्ता तथा सचिव डॉ सुनील कुमार अग्रवाल ने आयोजन के बारे में जानकारी देते हुए सभी का स्वागत कर नववर्ष की मंगलकामनाएं प्रेषित कीं। कार्यक्रम के अंत में एक बहुत ही सुन्दर नृत्य नाटिका नमामि रामम् प्रस्तुत की गयी। इस नाटिका का निर्देशन डॉ सुरभि शुक्ला ने किया इसके साथ ही नाटिका में भगवान राम की भूमिका भी डॉ सुरभि शुक्ला ने बखूबी निभायी। कथक केंद्र उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी द्वारा पेश की गयी इस नृत्य नाटिका को देखकर दर्शक रोमांचित हो गये तथा खचाखच भरे हुए हॉल में तालियों की गड़गड़ाहट से कलाकारों का हौसला बढ़ाया तथा अपनी भावनाएं प्रकट कीं।