-इप्सेफ ने किया मुख्यमंत्री से आग्रह, स्थानांतरण तत्काल निरस्त करायें, डीए की किस्त भी दिलायें
सेहत टाइम्स
लखनऊ। इण्डियन पब्लिक सर्विस इम्पलाइज फेडरेशन (इप्सेफ) ने मांग की है कि उसके संज्ञान में आया है कि उ०प्र० शासन द्वारा जारी स्थानान्तरण नीति के विपरीत समूह ‘‘ग’’ तथा डाक्टरों के भारी संख्या में स्थानान्तरण कर दिये गये हैं।
राज्य कमचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री द्वारा उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक को दो बार ज्ञापन दिये गये थे उन्होंने महानिदेशक स्वास्थ्य को निर्देश दिये थे कि अनियमित स्थानान्तरण को निरस्त करें परन्तु महानिदेशक द्वारा सभी मामले शासन को भेज दिये गये जिसपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित कर दी। दो दिन में मुख्यमंत्री ने रिपोर्ट मांगी थी परन्तु कमेटी ने भी संभवतः अभी तक रिपोर्ट नही दी है। जानकारी में आया है कि विभागीय अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों कों कार्यमुक्त किया जा रहा है और मकान खाली करने को कहा जा रहा है।
इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र ने खेद व्यक्त किया है कि ऐसे कर्मचारियों के मामले हैं जिन्होंने जान की बाजी लगाकर कोविड-19 महामारी में मरीजो की जान बचायी थी बहुत से कर्मी स्वयं अपनी जान गंवा बैठे थे। ऐसे कर्मचारियो के साथ इस प्रकार का व्यवहार कदापि उचित नहीं कहा जा सकता है। इस समस्या मे स्वास्थ्य विभाग के सभी कर्मचारी संगठन आन्दोलन भी करने जा रहे है।
श्री मिश्र ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि शासन द्वारा जारी स्थानान्तरण नीति के विरुद्ध किये गये स्थानान्तरणों को तत्काल निरस्त कराएं, जिससे कि स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों का मनोबल बढ़े और चिकित्सालय ठीक से कार्य कर सकें। उन्होंने यह भी मांग की है कि 1 जनवरी 2022 से देय मंहगाई भत्ते की किस्त का भी तत्काल भुगतान करायें क्योंकि भीषण मंहगाई से कर्मचारी परिवार अत्यधिक प्रभावित हैं।