-एसजीपीजीआई के कार्यवाहक निदेशक डॉ शालीन कुमार ने कहा, योग से वांछित परिणाम पाना संभव
– संस्थान में 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के दो सप्ताह से चल रहे कार्यक्रम सम्पन्न
सेहत टाइम्स
लखनऊ। 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष्य में एसजीपीजीआई द्वारा आयोजित दो सप्ताह की गतिविधियों का आज योगाचार्य डॉ. रवींद्र वर्मा और आंचल वर्मा द्वारा विभिन्न आसनों के प्रदर्शन के साथ समापन हुआ।
इन दो सप्ताह के दौरान, विभिन्न समूहों के लिए विभिन्न सत्र आयोजित किए गए जिसमें एसजीपीजीआई के अस्पताल प्रशासन विभाग द्वारा योग पर व्यापक और प्रभावी कार्यशाला, नर्सिंग कॉलेज द्वारा सूर्य नमस्कार पर सत्र, नर्स हेल्थ क्लब के नेतृत्व में नर्सिंग डिवीजन द्वारा आयोजित “विरासत से विकास: योग की भूमिका” पर एक कार्यक्रम और अमृत वाटिका, एसजीपीजीआई में योग गार्डन का उद्घाटन शामिल था।

कॉलेज ऑफ मेडिकल टेक्नोलॉजी एंड एलाइड हेल्थ साइंसेज (सीएमटी एंड एएचएससी) ने 17 जून 2025 की सुबह सफलतापूर्वक योग मैराथन का आयोजन किया। यह कार्यक्रम सीएमटी भवन से सुबह 6:00 बजे शुरू हुआ और एसजीपीजीआई परिसर के भीतर झील क्षेत्र में लगभग 2-3 किलोमीटर की दूरी तय की। इस मैराथन में सीएमटी और नर्सिंग के 80 से अधिक छात्रों के एक जीवंत समूह के साथ-साथ संकाय सदस्यों और कर्मचारियों ने भाग लिया। इस सत्र में एसजीपीजीआई के डीन डॉ. शालीन कुमार ने भी भाग लिया। उन्होंने छात्रों से योग को अपने दैनिक जीवन में शामिल करने का आग्रह किया और उन्हें एक स्वस्थ जीवन शैली विकसित करने, विशेष रूप से स्वस्थ भोजन करने और शुरुआती खाने की आदतों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। डॉ. लोकेंद्र शर्मा, नोडल अधिकारी, सीएमटी के मार्गदर्शन में एक सुचारू और प्रभावी कार्यक्रम सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम का समन्वय डॉ. कृष्ण कांत ने किया।
अंतिम दिन, आज 21 जून को संस्थान के लेक्चर थिएटर कॉम्प्लेक्स में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। संकाय सदस्यों व उनके परिवारजन,अधिकारियों, पैरा मेडिकल स्टाफ और विद्यार्थियों सहित 200 लोगों ने सत्र में भाग लिया, जहां हिमालयन गढ़वाल विश्वविद्यालय, पौड़ी, उत्तराखंड के योगाचार्य डॉ. रवींद्र वर्मा और डॉ आंचल वर्मा ने सत्र का संचालन किया।
इस अवसर पर संस्थान के कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर शालीन कुमार ने कहा कि मनुष्य होने का महत्व असीमित संभावनाओं में निहित है और योग उन साधनों में से एक है, जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति वांछित परिणाम प्राप्त कर सकता है। 21 जून की यह तिथि ग्रीष्म संक्रांति को चिह्नित करती है, जो उत्तरी गोलार्ध में वर्ष का सबसे लंबा दिन है – प्रकाश, ऊर्जा और संतुलन का प्रतीक है, जो योग दर्शन में गहराई से निहित मूल्य हैं। इसलिए, इस दिन को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के लिए चुना गया है।
योगाचार्य डॉ. रविंदर वर्मा ने किसी भी रूप में कम से कम 10 मिनट योग करने की आवश्यकता पर जोर दिया, चाहे वह प्राणायाम (श्वास व्यायाम) हो या सरल वज्रासन, जिसे दिन में कभी भी किया जा सकता है ताकि हम खुद को मानसिक और शारीरिक रूप से फिट रख सकें। आज का योग सत्र उन आसनों पर केंद्रित था जो समग्र लाभ प्रदान करते हैं, विशेष रूप से शुरुआती और व्यस्त पेशेवरों के लिए जो उन्हें अपने दैनिक दिनचर्या में इन्हें शामिल कर सकते हैं जैसे त्रिकोणासन, प्राणायाम (तीन प्रकार), कपालभाति, ताड़ासन, भुजंगासन, पवन मुक्तासन इत्यादि।
इस अवसर पर संस्थान के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर देवेंद्र गुप्ता, चिकित्सा अधीक्षक प्रोफेसर आर हर्षवर्धन और कार्यक्रम संचालक डॉ अतुल सोनकर भी उपस्थित थे।
