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नियमित योगाभ्यास और प्राणायाम, बढ़ते आत्महत्या के मामलों पर लगा सकते हैं लगाम

-जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, लखनऊ में मनाया गया 11वां अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस

सेहत टाइम्स

लखनऊ। भीमराव अंबेडकर केंद्रीय विश्वविद्यालय लखनऊ के योग विभाग के विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर दीपेश्वर सिंह ने कहा कि विगत कुछ वर्षों से भारत में मानसिक रोगियों की संख्या तीव्र गति से बढ़ रही है। इस पर लगाम लगाने में योगाभ्यास और प्राणायाम की भूमिका महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।

प्रो दीपेश्वर ने यह बात आज 11वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, लखनऊ में आयोजित एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग विषय पर सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होते हुए अपने सम्बोधन में कही। विशेष योग सत्र (योग संगम) का आयोजन प्रातः 6:30 बजे से भारत सरकार द्वारा निर्धारित योग प्रोटोकॉल के अनुसार कराया गया। समारोह का आयोजन वैदिक योग प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान, इंदिरा नगर लखनऊ एवं केंद्रीय योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद, आयुष मंत्रालय भारत सरकार के सहयोग से किया गया।

प्रोफेसर दीपेश्वर सिंह ने कहा कि अधिकतर युवाओं के मेंटल स्ट्रेस, एंग्जायटी एवं डिप्रेशन से ग्रसित होने के कारण आत्महत्या करने वालों की संख्या भारत में अन्य देशों की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रही है। योगाभ्यास (योगासन प्राणायाम एवं ध्यान) के नियमित अभ्यास से एंग्जायटी, मेंटल स्ट्रेस एवं डिप्रेशन जैसी जटिल समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए सर्वांगासन, हलासन, वृक्ष आसन, उष्ट्रासन, विपरीत करणी मुद्रा, नाडी शोधन, प्राणायम, भ्रामरी प्राणायम एवं ध्यान उपयोगी है।

वाहन की तरह शरीर की भी सर्विसिंग जरूरी

इस मौके पर बलरामपुर चिकित्सालय, लखनऊ के योग विशेषज्ञ डॉ. नंदलाल ‘जिज्ञासु’ ने बताया कि जैसे गाड़ियों की सर्विस समय-समय पर कराई जाती है वैसे ही शरीर को स्वस्थ रखने के लिए षटकर्मों (नेति,धौति, नौलि, बस्ति, त्राटक एवं कपालभाति) का अभ्यास योग चिकित्सक के निर्देशन में प्रशिक्षणोपरांत समय समय पर करते रहना चाहिए।

कार्यक्रम के अध्यक्ष उप शिक्षा निदेशक/प्राचार्य जिला शिक्षा प्रशिक्षण संस्थान, लखनऊ अजय कुमार सिंह ने बताया के विद्यार्थियों के जीवन के शुरुआती दौर से ही योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा युक्त जीवन शैली तथा शिक्षण एवं प्रशिक्षण मिल जाए तो सर्वांगीण स्वास्थ्य के साथ-साथ मेडिकल बजट में भी कमी लाई जा सकती है।

योग विशेषज्ञ प्रशांत शुक्ला, नीलू भट्ट तथा उनकी टीम द्वारा डायट प्रशिक्षुओं के योगाभ्यास के बाद, योग प्रतियोगिता भी कराई गई तथा उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रशिक्षुओं को सम्मानित भी किया गया।

इस अवसर पर डॉ. अरुण कुमार भरारी, डॉ.अतुल कुमार, धर्मेन्द्र सक्सेना (संपादक, सेहत टाइम) आदि ने अपने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम समन्वयक डॉ. ज्ञानवेंद्र सिंह ने आधुनिक जीवन में सभी के लिए योग की आवश्यकता बताते हुए नियमित योग करने की अपील की। कार्यक्रम में डायट प्रवक्ता अभिनव आनन्द, प्रवीण मिश्रा, पूजा वर्मा, संगीता, शशि यादव सहित कुल 385 लोग उपस्थित रहे।

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