-शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दुरुस्त रखने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की पहल
सेहत टाइम्स
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा है कि देश के उज्ज्वल भविष्य के लिए नागरिकों का शरीर और मानसिक स्वास्थ्य उत्तम होना अति आवश्यक है, जिसकी नींव किशोरावस्था में पड़ती है। देश की कुल आबादी का पांचवां हिस्सा किशोरावस्था में है। किशोर मन के अपने पथ से विचलित होने की संभावना अधिक होती है। अज्ञानता और आत्ममुग्धता के कारण सही मार्ग और प्रेरणा नहीं मिलने पर भटकने की संभावनाएं अधिक होती हैं।
ब्रजेश पाठक ने कहा कि किशोरों की विशाल संख्या और उनमें स्वास्थ्य के प्रति समझ और स्वस्थ रहने की आदत के विकास के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन द्वारा साथिया केंद्र (किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक) संचालित की जा रही है। यह कार्यक्रम सभी किशोरों को उनके स्वास्थ्य और सेहत के बारे में सूचित करके और जिम्मेदारी से निर्णय लेने के योग्य बनाकर उनकी क्षमताओं का उपयोग करने के काबिल बनाता है।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि किशोर/किशोरियों को परामर्श एवं स्वास्थ्य शिक्षा प्रदान किए जाने के उद्देश्य से प्रदेश के 32 जनपदों में चिकित्सालय स्तर पर एवं 25 उच्च प्राथमिकता के जनपदों में जनपद चिकित्सालय स्तर के अतिरिक्त सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर कुल 328 किशोर स्वास्थ्य क्लीनिक स्थापित किए गए हैं, इन्हें अब साथिया केंद्र कहा जाता है। साथिया केंद्र अंतर्गत गंभीर कुपोषण का उपचार सामान्य आरटीआई/एसटीआई समस्याओं का उपचार मासिक धर्म संबंधी विकारों का उपचार, पुरुषों और महिलाओं की यौन चिंताओं के लिए उपचार, मानसिक स्वास्थ्य सेवा /अवसाद का प्रबंधन, गैर संचारी रोगों और अन्य सामान्य बीमारियों का उपचार, दुर्घटनाओं और हिंसा से संबंधित चोटों का प्रबंधन, लड़कियों के बीच यौन दुर्व्यवहार का प्रबंधन, मादक पदार्थ के दुरुपयोग का प्रबंधन व उच्च संचारी रोगों जैसे उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक,कार्डियो- संवहनी रोगों और मधुमेह का उपचार की सेवाएं उपलब्ध हैं।
उप मुख्यमंत्री ने बताया कि किशोर-किशोरियां अपनी स्वास्थ्य समस्याओं के लिए प्रायः सरकारी अस्पतालों में संचालित साथिया केन्द्रों अथवा अन्य सुविधाओं का प्रयोग करने में हिचक महसूस करते हैं और अपनी बातें या अपनी समस्याओं पर खुलकर बातचीत नहीं कर पाते हैं। इस हिचक के दृष्टिगत प्रदेश में पहली बार जनपद के इण्टर कॉलेजों में साथिया कॉर्नर स्थापित किये जाने की योजना है। प्रथम चरण में 18 मण्डलीय जनपदों के शहरी क्षेत्रों में सरकारी अनुदान एवं मान्यता प्राप्त दो माध्यमिक विद्यालयों में एक-एक साथिया कॉर्नर स्थापित किये जाने हैं। इन साथिया कॉर्नर पर विद्यालय में कार्यरत शिक्षक को ही राज्य स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण संस्थान में प्रशिक्षित कर विद्यालय एवं विद्यालय के आस-पास के विद्यालयों के छात्रों को काउसलिंग सेवायें दी जायेंगी।
स्कूल स्वास्थ्य कार्यक्रम स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली के महत्त्वपूर्ण घटकों में से एक है, जो स्कूली बच्चों के स्वास्थ्य पर कड़ी निगरानी रखने में मदद करता है। इसका उद्देश्य स्कूल के बच्चों को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं से मुक्त रखना। इसके तहत कुल 11 विषयों की पहचान की गई है जिनमें प्रजनन स्वास्थ्य, स्कूलों में बच्चों को स्वास्थ्य और पोषण के बारे में उचित जानकारी प्रदान करना, बच्चों के बीच स्वास्थ्य व्यवहार को बढ़ावा देना कुपोषित और एनिमिया से पीड़ित बच्चों की पहचान करना तथा बच्चों व किशोरों में रोगों का जल्द पता लगाना, उनका इलाज करना, स्कूलों में सुरक्षित पेयजल के उपयोग को बढ़ावा देना, स्वास्थ्य और कल्याण के माध्यम से योग तथा ध्यान को बढ़ावा देना और एचआईवी की रोकथाम शामिल हैं।