Friday , May 3 2024

राज्‍य कर्मचारी संयुक्‍त परिषद ने कहा- ‘मुख्‍यमंत्री जी, एसजीपीजीआई की मनमानी पर अंकुश लगायें’

-फीजियोथेरेपिस्‍ट पदों के लिए न्‍यूनतम शैक्षिक अर्हता बढ़ाने का आरोप

-पूर्व में भी की थी ऐसी कोशिश, शासन को करना पड़ा था हस्‍तक्षेप

अतुल मिश्रा

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उ0प्र0 ने एसजीपीजीआई में फीजियोथेरेपिस्‍ट के पदों के लिए अर्हता केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा सेवा नियमावली में प्रदत्त व्यवस्था डिप्लोमा/डिग्री न रखकर मास्‍टर इन फीजियोथेरेपी रखी गयी है, इससे पूर्व भी ऐसी ही एक कोशिश हुई थी जिसपर शासन को हस्‍तक्षेप करना पड़ा था। परिषद ने इस बारे में मुख्‍यमंत्री और मुख्‍य सचिव से गुहार लगाते हुए करायी गयी परीक्षा के परिणाम पर रोक लगाने की मांग करते हुए एसजीपीजीआई प्रशासन को आवश्‍यक निर्देश देने की मांग की है।  

परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा ने बताया कि एसजीपीजीआई के अन्तर्गत फीजियोथेरेपिस्‍ट पद पर नियुक्ति के लिए विगत वर्ष 2021-22 में विज्ञापन प्रकाशित किया गया था। जिसमें शैक्षिक अर्हता 03 वर्ष डिप्लोमा इन फीजियोथेरेपी मांगी गई थी। जिस पर परिषद द्वारा पुरजोर विरोध करते हुए शासन व एसजीपीजीआई प्रशासन को अवगत कराया था कि 03 वर्षीय डिप्लोमा फीजियोथेरेपी पाठ्यक्रम उत्तर प्रदेश में केवल अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में ही संचालित हो रहा था एवं प्रदेश में स्टेट मेडिकल फैकल्टी द्वारा 04 वर्षीय डिग्री कोर्स एवं 02 वर्षीय डिप्लोमा/डिग्री पाठ्यक्रम अतिविशिष्ट संस्थान एसजीपीजीआई, केजीएमयू सहित कई अन्य संस्थानों में चलाया जा रहा है| ऐसे में 04 वर्षीय डिग्री धारक एवं 02 वर्षीय डिप्लोमा धारकों के साथ अन्याय होगा। इसके बाद शासन ने इस पर संज्ञान लेकर विज्ञापन को निरस्त करते हुये फीजियोथेरेपिस्ट सेवा नियमावली के अनुसार 02 वर्षीय डिप्लोमा/04 वर्षीय डिग्री धारकों की चयन प्रक्रिया में शामिल करते हुये निर्देशित किया गया था।

अतुल मिश्रा ने कहा कि यह अत्यन्त खेद का विषय है कि एसजीपीजीआई प्रशासन द्वारा पुनः फीजियोथेरेपिस्ट संवर्ग का पद विज्ञापित किया गया है, जिसमें न्यूनतम शैक्षिक अर्हता मास्टर इन फीजियोथेरेपी मांगी गई, जबकि एसजीपीजीआई ने बोर्ड में पास करा रखा है कि जो शैक्षिक अहर्ता AIIMS द्वारा निर्धारित की गई है वही यहाँ भी लागू होगी ।AIIMS रायबरेली द्वारा दिनांक 8 जुलाई 2023 व AIIMS  भुवनेश्वर द्वारा दिनांक 1 जुलाई 2023 को फीजियोथेरेपिस्ट के पद का विज्ञापन निकाला गया है, जिसमें शैक्षिक अर्हता डिग्री मांगी गई है| अपने ही निर्णय के विपरीत जाकर भेदभाव रवैये से डिग्री/डिप्लोमा के छात्र उक्त परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित रह जाएंगे।

श्री मिश्र ने बताया कि केन्द्र व प्रदेश सरकार में समूह ग के पद की न्यूनतम शैक्षिक अर्हता परास्नातक है ही नहीं। उल्लेखनीय है कि प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार द्वारा संशोधन के लिए एसजीपीजीआई के निदेशक को निर्देशित किया गया था, परन्तु एसजीपीजीआई प्रशासन द्वारा उसको नजरअंदाज करते हुये 15 जुलाई 2023 को भर्ती संबंधी ऑनलाइन परीक्षा करा ली गई व 16 जुलाई 2023 को मध्य रात्रि बिना पारदर्शिता किये परीक्षा परिणाम घोषित कर दिया गया। इससे प्रदेश के हजारों फीजियोथेरेपिस्ट में काफी आक्रोश व्याप्त है। दुखद है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा बेरोजगारों को रोजगार प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराने के लिए अनेकों बार निर्देशित किया गया है। वही पर एसजीपीजीआई प्रशासन द्वारा बेरोजगारों को रोजगार से वंचित रखा जा रहा है।

आश्चर्यजनक है कि एसजीपीजीआई प्रशासन द्वारा शासन के निर्णयों को दरकिनार करते हुये 16 जुलाई 2023 को घोषित परिणाम में चयन किये गये अभ्यर्थियों का वेरीफिकेशन कराया जा रहा है, जो कदापित उचित नहीं है। इस तरह की प्रक्रिया में भ्रष्टाचार की बू आ रही है।

श्री मिश्र ने मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव से अनुरोध किया है कि एसजीपीजीआई में फीजियोथेरेपी के पदों के लिए अर्हता केन्द्र एवं प्रदेश सरकार द्वारा सेवा नियमावली में प्रदत्त व्यवस्था डिप्लोमा/डिग्री निर्धारित करने के उपरान्त ही नियुक्ति प्रक्रिया पूर्ण करने के लिए निर्देशित करने की कृपा करे। साथ ही संस्थान द्वारा आयोजित ऑनलाइन परीक्षा के परिणाम पर तत्काल रोक लगाने का कष्ट करें, जिससे उप्र में एक बड़ी वेतन विसंगति से बचा जा सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.