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सर्वाधिक उन्नत चिकित्सा सेवाओं के लिए चतुर्थक स्वास्थ्य सेवा केंद्र के रूप में विकसित होगा एसजीपीजीआई

-स्थापना दिवस समारोह में उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने संस्थान के विजन पर लगायी मुहर

-गंभीर और जटिल रोगियों के लिए अंतिम रेफरल सेंटर के रूप में करेगा कार्य

-विदेशों में जाकर ये सेवाएं अभी चुनिंदा भारतीयों को ही हो पाती हैं उपलब्ध

सेहत टाइम्स

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के चिकित्सा शिक्षा मंत्री, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा है कि संजय गांधी पीजीआई, लखनऊ ने नई ऊंचाइयों को छूने के लिए अपने पंख फैला दिए हैं, अब एसजीपीजीआई को चतुर्थक स्वास्थ्य सेवा (Quaternary Health-Care) केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा। संस्थान अब तृतीयक (tertiary) स्तर से भी आगे बढ़कर उच्चतम और सबसे उन्नत स्तर की चिकित्सा सेवा प्रदान करेगा।

संस्थान के विजन को पूरा करने का आश्वासन और प्रोत्साहन देते हुए उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने यह घोषणा एसजीपीजीआई  के 43वें स्थापना दिवस समारोह में मुख्य अति​थि के रूप में दिये अपने भाषण में की। उन्होंने संस्थान को हार्दिक बधाई देते हुए इस उच्च स्तर तक पहुंचाने के लिए एसजीपीजीआई परिवार के निरंतर प्रयासों की सराहना की। बताया गया कि चतुर्थक स्वास्थ्य सेवा केंद्र, चिकित्सा उपचार की उच्चतम और सबसे विशिष्ट पहल है, जो सबसे गंभीर और जटिल रोगियों के लिए अंतिम रेफरल केंद्र के रूप में कार्य करेगा, इसमें प्रोटॉन थेरेपी, ईसीएमओ, उन्नत न्यूरो-इंटरवेंशनल, सटीक ऑन्कोलॉजी और अत्याधुनिक सेलुलर थेरेपी जैसी प्रौद्योगिकियां शामिल होंगी, जो वर्तमान में केवल कुछ ही भारतीयों के लिए सुलभ हैं जो इलाज के लिए विदेश जाते हैं।

स्थापना दिवस कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप सरस्वती वंदना के साथ हुई। इस मौके पर राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण द्वारा सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ताओं को उनके उत्कृष्ट शोध कार्यों के लिए पुरस्कृत किया गया। इनमें फैकल्टी और स्टूडेंट दोनों शामिल थे।

   शोध पुरस्कार विजेता (फैकल्टी)________________शोध पुरस्कार विजेता (स्टूडेंट्स)

उन्होंने सर्वश्रेष्ठ टेक्निकल ऑफिसर, सर्वश्रेष्ठ नर्सिंग ऑफिसर व रेजिडेंट चिकित्सकों को भी वार्षिक पुरस्कार वितरित किए गए, इनमें डीएम पाठ्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ सीनियर रेजीडेंट का पुरस्कार मेडिकल जेनेटिक्स की डॉ आदर्शा को, एमसीएच पाठ्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ सीनियर रेजीडेंट का पुरस्कार पीडियाट्रिक सर्जिकल सुपर स्पेशिलिटीज के डॉ निशांत अग्रवाल को, एमडी कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ जूनियर रेजीडेंट का पुरस्कार माइक्रोबायोलॉजी की डॉ सुरभि को, एसएनओ कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ नर्सिंग स्टाफ का पुरस्कार क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की सिनिमॉल नेल्सन को, एनओ कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ नर्सिंग स्टाफ का पुरस्कार हेमेटोलॉजी के देवेन्द्र पी नागर को, एमएलटी बेस्ट टेक्नीशियन कैटेगरी में हेमेटोलॉजी के रामदेव को तथा जेएमएलटी बेस्ट टेक्नीशियन कैटेगरी में एनेस्थीसियोलॉजी के पवन कुमार शामिल हैं। राज्यमंत्री द्वारा इमेरजेन्सी मेडिसिन की डॉ अलका व एनेस्थेसियोलाजी की डॉ दिव्या द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। विद्यार्थियों की फीस भुगतान की सुविधा हेतु ऑन लाइन एप का soft launch भी किया गया।

 

विभाग के अपर मुख्य सचिव अमित घोष ने उपस्थित जनों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पिछले एक दशक में एसजीपीजीआई के सफर में बड़ा बदलाव आया है। एक सर्वोच्च संस्थान के रूप में इसकी भूमिका स्पष्ट होनी चाहिए और एसजीपीजीआई को उत्कृष्टता केंद्र के रूप में उत्कृष्टता की ओर अग्रसर होना चाहिए। अनुसंधान और मानव संसाधन नीति को इस प्रकार तैयार किया जाना चाहिए जिससे उत्कृष्टता में वृद्धि हो। अब हम संस्थान को Quaternary Health-Care Centre के रूप में विकसित करने की दिशा में अग्रसर हैं।

संस्थान के निदेशक पद्मश्री प्रो आरके धीमन ने समारोह में संस्थान की वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए संस्थान के विजन व आगामी प्रोजेक्ट के विषय में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि हम स्वास्थ्य सेवाओं को सटीक, सुरक्षित, तेज और व्यापक बनाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमता AI को स्वास्थ्य सेवा में प्रयोग के लिए तैयार हैं। एआई सभी क्षेत्रों में विकास की गति को हमारी कल्पना से कहीं अधिक बढ़ा रहा है। भारत सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार भी 2047 तक “विकसित भारत” और “विकसित उत्तर प्रदेश” के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए इस क्षेत्र में भारी निवेश कर रही हैं। स्वास्थ्य सेवा इस दौड़ में पीछे नहीं रह सकती। इसलिए, एसजीपीजीआई का उद्देश्य स्वास्थ्य सेवा में एआई के क्षेत्र में कदम रखना है, ताकि भारत के उज्ज्वल भविष्य के लिए मौजूदा स्वास्थ्य सेवाओं को सुरक्षित, तेज, सटीक और व्यापक बनाया जा सके।

 

उत्तर प्रदेश मेडिकल कॉलेज नेटवर्क (यूपीएमसीएन) के बारे में निदेशक ने कहा कि यह पहल राज्य के मेडिकल कॉलेजों में एकीकृत, परस्पर जुड़े टेलीमेडिसिन ईकोसिस्टम के माध्यम से सीमाओं से परे स्वास्थ्य सेवा का निर्माण करेगी और विशेषज्ञ परामर्श तक पहुंच को सक्षम बनाएगी। यूपीएमसीएन हब एंड स्पोक मॉडल, साझा विशेषज्ञता, दूरस्थ टेली-परामर्श, टेली-शिक्षा, टेली-आईसीयू और केंद्रीकृत डेटा विश्लेषण पर आधारित निर्बाध सहयोग को बढ़ावा देगा, जिससे नागरिकों को उनके स्थान की परवाह किए बिना विशेषज्ञ देखभाल प्राप्त हो सके। पहले से ही, छह राज्य मेडिकल कॉलेजों के साथ टेली-आईसीयू का एक पायलट प्रोजेक्ट डेढ़ साल से चल रहा है और इसे 2025 में FICCI द्वारा सार्वजनिक अस्पताल में रोगी सुरक्षा पहल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।

मरीजों को दिया पोषण पैक व शुभकामना कार्ड

इससे पूर्व स्थापना दिवस समारोह का प्रारंभ सुबह भर्ती मरीजों को पोषण पैक और शुभकामना कार्ड के वितरण के साथ हुआ। ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन विभाग द्वारा आयोजित स्वैच्छिक रक्तदान शिविर में एसजीपीजीआई में भर्ती मरीजों के लिए 62 रक्तदाताओं ने स्वैच्छिक रक्तदान किया। विभाग द्वारा रक्तदाताओं को उनके नेक कार्य के लिए सम्मानित कर उनका आभार व्यक्त किया गया।

इस मौके पर निदेशक, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, चिकित्सा अधीक्षक, डीन और संयुक्त निदेशक प्रशासन के साथ ही उद्यान एवं इंजीनियरिंग विभाग के अधिकारियों की उपस्थिति में संस्थान परिसर में वृक्षारोपण भी किया गया।

राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण द्वारा सर्वश्रेष्ठ शोधकर्ताओं को उनके उत्कृष्ट शोध कार्यों के लिए पुरस्कृत किया गया। इसके अलावा उन्होंने सर्वश्रेष्ठ टेक्निकल ऑफिसर, सर्वश्रेष्ठ नर्सिंग ऑफिसर व रेजिडेंट चिकित्सकों को भी वार्षिक पुरस्कार वितरित किए गए, इनमें डीएम पाठ्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ सीनियर रेजीडेंट का पुरस्कार मेडिकल जेनेटिक्स की डॉ आदर्शा को, एमसीएच पाठ्यक्रम में सर्वश्रेष्ठ सीनियर रेजीडेंट का पुरस्कार पीडियाट्रिक सर्जिकल सुपर स्पेशिलिटीज के डॉ निशांत अग्रवाल को, एमडी कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ जूनियर रेजीडेंट का पुरस्कार माइक्रोबायोलॉजी की डॉ सुरभि को, एसएनओ कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ नर्सिंग स्टाफ का पुरस्कार क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग की सिनिमॉल नेल्सन को, एनओ कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ नर्सिंग स्टाफ का पुरस्कार हेमेटोलॉजी के देवेन्द्र पी नागर को, एमएलटी बेस्ट टेक्नीशियन कैटेगरी में हेमेटोलॉजी के रामदेव को तथा जेएमएलटी बेस्ट टेक्नीशियन कैटेगरी में एनेस्थीसियोलॉजी के पवन कुमार शामिल हैं। राज्यमंत्री द्वारा इमेरजेन्सी मेडिसिन की डॉ अलका व एनेस्थेसियोलाजी की डॉ दिव्या द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन भी किया गया। विद्यार्थियों की फीस भुगतान की सुविधा हेतु ऑन लाइन एप का soft launch भी किया गया। कार्यक्रम का समापन संकाय अध्यक्ष प्रोफेसर शालीन कुमार द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ।

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