-डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य क्षेत्र में उभरती नई तकनीक विषय पर सम्मेलन आयोजित
सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के कुलपति ले.ज. डॉ0 बिपिन पुरी ने एकेडेमिया और इंडस्ट्री को मिलकर काम करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शैक्षणिक संस्थाओं को उद्योगों की समस्याओं को समझना होगा। उनकी जरूरत के मुताबिक माहौल तैयार करना होगा। खासकर स्वास्थ्य सेवाओं में तकनीकी का प्रयोग तो बेहद महत्वपूर्ण है। तकनीकी का प्रयोग करके स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन लाये जा सकते हैं।
कुलपति ने यह बात यहां डॉ0 एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय के इनोवेशन हब, केजीएमयू, सीबीएमआर, यूपीएसी और आईएकेए के साथ मिलकर शनिवार को स्वास्थ्य क्षेत्र में उभरती नई तकनीक विषय पर आयोजित किये गये सम्मेलन का उद्घाटन करने के बाद अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने बताया कि तकनीकी के जरिये न केवल डॉक्टर्स की क्षमता और पहुंच बढ़ेगी बल्कि उन्हें सटीक जानकारी भी मिल सकेगी। उन्होंने कोरोनाकाल का जिक्र करते हुए कहा कि जब यह महामारी आयी तब तकनीकी ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉक्टर्स और उद्योगों ने मिलकर कई ऐसी तकनीक बनाई जिससे उस भयानक दौर में काम थोड़ा आसान हो गया। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने के लिए सभी को मिलकर काम करना पड़ेगा।
कार्यक्रम में शामिल हुए डॉक्टर्स, डायग्नोस्टिक कंपनीज, वैज्ञानिकों और आईटी के विशेषज्ञों ने स्वास्थ्य में तकनीक की जरूरत और समस्याओं के समाधान पर चर्चा की। साथ ही स्वास्थ्य क्षेत्र में शैक्षणिक संस्थाएं और उद्योग किस प्रकार मिलकर समस्याओं का निदान करें इस पर भी विचार विमर्श किया गया।
सीबीएमआर के निदेशक प्रो0 आलोक धवन ने कहा कि हमें सबसे पहले स्वास्थ्य क्षेत्र की समस्याओं को समझने की जरूरत है। जब हम उसे पहचान लेंगे तब उसके समाधान पर प्रयास करना होगा। इसमें उद्योग और शैक्षणिक संस्थान मिलकर काम कर सकते हैं। तकनीकी के जरिये बहुत सी समस्याओं का निराकरण संभव है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग स्वास्थ्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि इस सम्मेलन में जुटे डॉक्टर्स, वैज्ञानिक, उद्योगों के प्रतिनिधि और छात्र बहुत कुछ कर सकते हैं।
विशिष्ट अतिथि डॉ राम मनोहर लोहिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस की निदेशक प्रो0 सोनिया नित्यानंद ने कहा कि तकनीकी से स्वास्थ्य क्षेत्र में बहुत बदलाव आया है। अब दूर शहर में बैठा डॉक्टर सुदूर गांव में मरीज का इलाज कर रहा है। उन्होंने बताया कि कोरोना काल में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से तकनीकी पर ही निर्भर रहीं। आने वाले समय में तकनीकी स्वास्थ्य सेवाओं को और बेहतर करेगी, जिसका फायदा मरीजों को सीधे मिलेगा। प्रतिकुलपति प्रो0 मनीष गौड़ ने कहा कि स्वास्थ्य का क्षेत्र तकनीक के बिना पूर्ण नहीं है। तकनीकी ने न केवल काफी समस्याओं को हल कर दिया है बल्कि जटिल रोगों के इलाज में भी अहम भूमिका अदा किया है। नैनो मेडिसिन पर चर्चा करते हुए कहा कि आने वाला समय इसी का है। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस नेचुरल इंटेलीजेंस की जगह नहीं ले सकता लेकिन यह तकनीक उसे और भी मददगार बना सकती है। इसके पहले अतिथियों का स्वागत डॉ0 अनुज शर्मा ने किया जबकि संचालन वंदना शर्मा और धन्यवाद ज्ञापन महीप सिंह ने दिया। इस मौके पर उपकुलसचिव डॉ0 आरके सिंह, सहा कुलसचिव रंजीत सिंह, रितेश सक्सेना सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
तकनीकी सत्र भी किये गये आयोजित
कार्यक्रम में तीन तकनीकी सत्र भी आयोजित किये गये, जिसमें विशेषज्ञों ने अलग-अलग विषयों पर चर्चा की। पहले तकनीकी सत्र में स्वास्थ्य के क्षेत्र में बदलाव और भविष्य पर चर्चा करते हुए डॉ बिपिन पुरी ने विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने विभिन्न आयामों पर जानकारी दी। इस सत्र में प्रो0 आलोक धवन, प्रो0 मनीष गौड़, प्रो0 सोनिया नित्यानंद, डॉ0 राधारंगराजन आदि ने अपने विचार रखे।
इसके बाद द्वितीय सत्र में प्रो0 आलोक धवन, प्रो0 मनीष गौड़, डॉ0 मानिक अधिकारी, डॉ0 दिलीप कुमार चेकुरी, डॉ0 संजय सिंह, अजीत देशपांडे ने आर्टिफिशिएल इंटेलीजेंस और मशीन लर्निंग का स्वास्थ्य सेवाओं में प्रयोग पर अपने अनुभव साझा किये। अंतिम सत्र में नीरज अग्रवाल, अजय उपाध्याय, जाव अली खान, डॉ0 राहुल अमृत राज, तरूण गुप्ता, संदीप व्यास ने अपने विचार रखे।
स्टार्टअप की लगायी गयी प्रदर्शनी
इस दौरान स्वास्थ्य क्षेत्र में कार्य करने वाले स्टार्टअप और नवाचार के मॉडल की 30 प्रदर्शनी भी सरकारी और प्रावइेट कॉलेज की ओर से लगायी गयी। जिसमें वाई-फाई आला, डॉक्टर्स के लिखी दवाइयों का पर्चा पढ़ने वाला ऐप, मेडिकल के छात्रों के प्रयोग के लिए सेंसरयुक्त डमी शरीर खास रहे, जिसको काफी सराहना मिली।