-रेडियोलॉजी में इंटरवेंशनल प्रक्रियाओं से आयी जबरदस्त क्रांति
-केजीएमयू के रेडियोडायग्नोसिस विभाग ने मनाया स्थापना दिवस
-कोविड काल में अनवरत सेवाओं के लिए कुलपति ने की सराहना
सेहत टाइम्स
लखनऊ। कोविड काल के दौरान भी जिस तरह से रेडियोडायग्नोसिस विभाग ने इंटरवेंशनल प्रक्रियाओं से मरीजों की सेवा की, 24 घंटे बेड साइड एक्स रे जैसी सुविधा प्रदान की, ये अत्यन्त सराहनीय हैं।
यह बात किंग जॉज मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति ले.ज. डॉ बिपिन पुरी ने संस्थान के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के 35वें स्थापना दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में अपने सम्बोधन में कही। उन्होंने कहा कि इंटरवेंशनल प्रक्रियाओं से मरीजों को अनेक प्रकार की सर्जरी के कष्टों से छुटकारा मिला है। उन्होंने कहा कि हमारे रेडियोडायग्नोसिस विभाग की टीम ने जिस तरह से कोविड काल में अपनी सेवाओं को मरीजों के लिए आसान बनाये रखा, इसके लिए विभाग के सभी लोग बधाई के पात्र हैं।
केजीएमयू के रेडियोडायग्नोसिस विभाग ने आज अपना 35वां स्थापना दिवस हाइब्रिड मोड में मनाया, जिसमें पूरे भारत और दुनिया से विभाग के पूर्व छात्र शामिल हुए। आपको बता दें कि इंटरवेंशनल तकनीक से नसों के अवरोध दूर करने की सुविधा केजीएमयू में भी उपलब्ध है।
यूपी में सर्वाधिक एमडी सीटों वाला विभाग
इस मौके पर विभागाध्यक्ष प्रो नीरा कोहली ने बताया कि पिछले एक साल में विभाग ने कोविड के बावजूद पिछले 5 वर्षों के श्रमसाध्य प्रयास से मानव संसाधन और बुनियादी ढांचे के निर्माण में काफी प्रगति की है। उन्होंने बताया कि एम०डी० की सीटें 4 से बढ़कर 9 हो गईं और यूपी में सरकारी क्षेत्र में विभाग सबसे ज्यादा MD सीट की संख्या वाला हो गया है। इस साल फैकल्टी की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई और 8 से बढ़कर 12 हो गई। विभाग ने मौजूदा 64 स्लाइस सीटी स्कैन के अलावा अत्याधुनिक 128 स्लाइस सीटी स्कैन का संचालन प्रारम्भ किया हैI इससे कई जटिल बीमारियों के निदान में और हृदय रोगों के निदान में मदद मिलेगीI
पद्मश्री डॉ० एस एस सरकार व्याख्यान के तहत विभाग के पूर्व छात्र डॉ हिमांशु दिवाकर, जो वर्तमान में नैदानिक निदेशक आई-मेड कैनबरा, ऑस्ट्रेलिया हैं, द्वारा दिया गयाI उन्होंने बताया कि कैसे एमआरआई ने कार्सिनोमा प्रोस्टेट का जल्द पता लगाने में क्रांति ला दी है और मूत्र संबंधी लक्षणों से पीड़ित कई बुजुर्ग पुरुषों में चिंता और अनावश्यक बायोप्सी को कम कर दिया हैI
वहीं मेदांता अस्पताल, लखनऊ के डॉ रोहित अग्रवाल ने बताया कि कैसे इंटरवेंशनल रेडियोलॉजी ने कई स्थितियों के प्रबंधन में एक आदर्श परिवर्तन किया है, जिसमें पहले सर्जरी की आवश्यकता होती थी, लेकिन अब इसे इंटरवेंशन रेडियोलॉजी के एक बहुत ही नए क्षेत्र के साथ डे केयर के आधार पर प्रबंधित किया जा सकता है। उन्होंने दिमाग की नसों के गुब्बारे, फालिज या स्ट्रोक में नसों के बंद होने पर, छाती या पेट में रक्तस्राव के या पैरों की खून की नलियों में अवरोध का इंटरवेशनल रेडियोलोजी द्वारा बिना चीर फाड़ के ठीक करने की विधि के बारे में बताया।