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अप्रशिक्षित लोगों से दवा के वितरण के प्रस्‍ताव के खिलाफ 29 को दिल्‍ली में प्रदर्शन

ड्रग एंड कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के शिड्यूल K धारा 23 में संशोधन के खिलाफ हैं फार्मासिस्‍ट

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। ड्रग एंड कॉस्मेटिक रूल्स 1945 के शिड्यूल K धारा 23 में भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित संसोधन के विरोध में इंडियन फार्मेसिस्ट एसोसिएशन के आह्वान पर 29 नवम्बर को देश भर के फार्मेसिस्ट जंतर मंतर पर प्रदर्शन करेंगे प्रदर्शन को उत्तर प्रदेश के डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशनक, फार्मेसिस्ट महासंघ ने भी समर्थन दिया है ।

आइपीए के प्रदेश सचिव सुनील यादव ने बताया कि इस संशोधन के बाद आशा और आंगनवाड़ी को भी चिकित्सालयों के कार्यक्रमों की औषधियां वितरित करने का अधिकार मिलेगा, जो जनता के लिए जहर का काम करेगा। इसलिए जनता के हितों को ध्यान में रखकर आइपीए ने आंदोलन का आह्वान किया है।

फार्मेसी एक्ट 1948 की धारा 42 के अनुसार केवल रजिस्टर्ड फार्मेसिस्ट ही औषधि का भंडारण वितरण कर सकता है, और इस संशोधन में दर्ज ए एन एम, आशा, आंगनबाड़ी, नर्स, सीएचओ  आदि कोई भी कर्मी फार्मेसिस्ट की योग्यता नहीं रखता । अगर यह संशोधन हुआ तो  अप्रशिक्षित एवं अयोग्य लोगों द्वारा जनता को औषधि उपलब्ध कराई जाएगी जो जानलेवा साबित हो सकती है। अतः यह प्रस्ताव अत्यंत कमजोर है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक हानिकारक है और लोगों के जीवन के लिए खतरनाक है।

अमेरिका के डॉ मेरकोला ने 26 अक्टूबर 2011 को कहा था कि 21वीं सदी में दवा से मृत्यु एक महामारी हो सकती है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक अमेरिका जैसे देश मे यातायात दुर्घटना से ज्यादा लोग दवा के दुष्परिणामों से मरे हैं। इसलिए दवा को अप्रक्षित हाथों में देना नितांत खतरनाक फैसला होगा।

फेडरेशन ऑफ इंडियन फार्मेसिस्ट एसोसिएशन फीपो के राष्ट्रीय अध्यक्ष के के सचान ने बताया कि भारत सरकार ने संसोधन का ड्राफ्ट 6 नवम्बर को जारी कर सुझाव मांगे हैं,  प्रथम चरण में देश भर से इस प्रस्तावित संसोधन के विरोध में भारत सरकार को पत्र भेजे जा रहे हैं लेकिन व्यापक जनहित के कारण आंदोलन का भी फैसला लेना पड़ा है। फीपो सचिव सुभाष श्रीवास्तव ने कहा कि देश के सभी राज्यों के फार्मेसिस्ट, केंद्रीय योजनाओं के फार्मेसिस्ट आंदोलन में भागीदारी करेंगे।

डिप्लोमा फार्मेसिस्ट एसोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष संदीप बडोला, उपाध्यक्ष राजेन्द्र पटेल ने बताया कि प्रदेश के सभी जनपदों से फार्मेसिस्ट प्रतिनिधि दिल्ली कूच करेंगे।

सुनील यादव ने बताया कि विरोध मार्च में फार्मेसिस्ट इम्प्लॉईस एसोसिएशन पीईए दिल्ली, फीपो, रेलवे फार्मेसिस्ट एसो, ऑल इंडिया गवर्नमेंट फार्मेसिस्ट एसोसिएशन, डीपीए उत्तर प्रदेश, राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ उत्तरप्रदेश, डीपीए उत्तराखंड, PGWA, दिल्‍ली, जम्मू कश्मीर फार्मेसिस्ट एसोसिएशन, AGPH हरियाणा, मध्यप्रदेश फार्मेसिस्ट एसोसिएशन, महाराष्ट्र फार्मेसी ऑफिसर एसोसिएशन, फार्मेसिस्ट महासंघ गुजरात, मध्यप्रदेश स्टेट फार्मेसिस्ट एसोसिएशन

यूपीए सोसाइटी तमिलनाडु, फार्मासिस्‍ट मुन्‍नेत्र षडगम, भारतीय फार्म डी डॉक्टर एसोसिएशन, फार्मेसिस्ट एसोसिएशन ऑफ आंध्रप्रदेश, झारखंड फार्मेसिस्ट संघ, ASPSA, असम, पी जी ए, राजस्थान फार्मेसिस्ट एसोसिएशन, पांडिचेरी फार्मेसिस्ट एसोसिएशन का समर्थन प्राप्त है।

स्वास्थ्य उपकेन्द्रों एवं हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर्स में फार्मासिस्टों की नियुक्ति की मांग 

इस सम्‍बन्‍ध में डिप्‍लोमा फार्मासिस्‍ट एसोसिएशन के महामंत्री श्रवण सचान व कोषाध्‍यक्ष रजत यादव ने बताया कि आज हुई बैठक में प्रस्ताव पारित कर प्रधानमंत्री व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री को अवगत कराया गया कि देश में पर्याप्त संख्या में प्रशिक्षित फार्मासिस्ट न होने की स्थिति में वर्ष 1980 ड्रग्स एण्ड कास्मेटिक नियमावली 1945 में की गयी तत्कालीन व्यवस्था फार्मेसी एक्ट 1948 की धारा 42 जो दिनांक 31.08.1984 से पूरे देश में प्रभावी है (जिसके अन्तर्गत दवाओं का भण्डारण, आपूर्ति, वितरण/डिस्पेंसिंग हेतु पंजीकृत फार्मासिस्ट की अनिवार्यता है) तथा तीन लाख से अधिक नये फार्मासिस्ट (डी फार्मा, बी फार्मा, फार्म डी) प्रशिक्षित होकर प्रतिवर्ष स्वास्थ्य सेवाओं के लिए उपलब्ध हो रहे है।

उन्‍होंने बताया कि प्रस्‍ताव के अनुसार इस व्यवस्‍था के दृष्टिगत एवं जनता विशेष रूप से ग्रामीण अंचलो के नागरिकों, महिलाओं एवं शिशुओं के सुरक्षित एवं  प्रभावकारी औषधियां तथा उच्च स्तरीय स्वास्थ्य सेवाऐं प्रदान कराना सुनिश्चित करने के लिए देश के सभी स्वास्थ्य उपकेन्द्रों एवं हेल्थ एण्ड वेलनेस सेन्टर्स में फार्मासिस्टों की नियुक्ति कराने की मांग की गयी है।