-प्रो रंजीत कुमार पाटिल को डीन बनाये जाने के विरोध में हाईकोर्ट गये थे प्रो जीके सिंह
सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू के डीन डेंटल पद पर दो वर्ष पूर्व हुई तैनाती के विरोध में हाईकोर्ट से होते हुए कुलाधिपति तक अपनी आवाज उठाने वाले ऑर्थोडॉन्टिक्स एवं डेंटोफेशियल ऑर्थोपेडिक्स विभाग के हेड प्रो जीके सिंह ने अंतत: डीन की कुर्सी हासिल करने में कामयाबी हासिल कर ली। कुलाधिपति द्वारा दिये गये निर्णय के बाद प्रो सिंह ने आज 8 अगस्त को पूर्वान्ह संकाय अध्यक्ष (डीन) पद पर कार्यभार ग्रहण कर लिया। उन्होंने यह कार्यभार डॉ रंजीत कुमार पाटिल से ग्रहण किया। आपको बता दें कि प्रो जीके सिंह ने दायर की गयी अपनी अपील में दावा किया था कि उनकी वरिष्ठता को देखते हुए उन्हें डीन बनाया जाना चाहिये न कि प्रो रंजीत पाटिल को।

केजीएमयू के रजिस्ट्रार द्वारा जारी कार्यालय आदेश में इस आशय की जानकारी देेते हुए बताया गया है कि कुलपति के निर्देशानुसार, प्रो. रंजीत कुमार नामदेव पाटिल, अध्यक्ष, ओरल मेडिसिन एवं रेडियोलॉजी विभाग, केजीएमयू, लखनऊ को केजीएमयू क़ानून 2.06 के प्रावधानों के अंतर्गत दिनांक 29.05.2023 के आदेश संख्या 628/बी-2023 द्वारा तीन वर्ष की अवधि के लिए केजीएमयू, उत्तर प्रदेश, लखनऊ के दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय के डीन के रूप में नामित किया गया था। इस आदेश के खिलाफ डॉ. जीके सिंह, प्रोफेसर एवं कार्यवाहक प्रमुख, ऑर्थोडॉन्टिक्स एवं डेंटोफेशियल ऑर्थोपेडिक्स विभाग, केओएमयू, लखनऊ ने उच्च न्यायालय, लखनऊ पीठ, लखनऊ के समक्ष एक विशेष अपील संख्या 349/2023 दायर की थी जिस पर उच्च न्यायालय ने प्रो जीके सिंह की अपील का निपटारा करते हुए आदेश दिया कि अपीलकर्ता किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी अधिनियम, 2002 की धारा 53 के अनुसार अपनी अपील कुलाधिपति के समक्ष रख कर अपनी बात कह सकता है, साथ ही कुलाधिपति से अपेक्षा की थी कि प्रो जीके सिंह की अपील पर जल्दी से जल्दी निर्णय ले लेंं।
इसके बाद प्रो. गुलशन कुमार सिंह यानी प्रो जीके सिंह ने दिनांक 25.11.2024 को कुलाधिपति के समक्ष एक अभ्यावेदन प्रस्तुत किया। इसके बाद विश्वविद्यालय से टिप्पणियां प्राप्त करने और संपूर्ण मामले पर विचार करने के बाद, कुलाधिपति ने 21 जुलाई, 2025 को मामले पर निर्णय लेते हुए अपने आदेश में कहा कि प्रो. गुलशन कुमार सिंह को केजीएमयू, लखनऊ के दंत चिकित्सा विज्ञान संकाय के डीन के रूप में नामित करने पर केवल उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 498ए, 323, 342 के तहत आपराधिक मामला लंबित होने के कारण कोई रोक नहीं है, जब तक कि यह न्यायालय द्वारा साबित न हो जाए। इसके साथ ही कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय द्वारा पारित 29.05.2023 के आदेश को रद कर दिया। कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय को केजीएमयू अधिनियम और क़ानून के प्रावधानों के तहत मामले का निपटारा करने का निर्देश दिया। यह भी आदेश दिया गया कि नये आदेश प्रो. जीके सिंह के खिलाफ लंबित मामलों में न्यायालय के आगे के आदेशों के अधीन होंगे। इसके बाद रजिस्ट्रार द्वारा पूर्व के प्रो रंजीत कुमार पाटिल को डीन बनाये जाने का आदेश रद कर दिया तथा प्रो जीके सिंह को तीन वर्षों के लिए डीन नामित करने का आदेश जारी किया गया है।

