-संजय गांधी पीजीआई में तीसरा शोध दिवस मनाया गया
सेहत टाइम्स
लखनऊ। संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान में आज निदेशक डॉ आर के धीमन, प्रभारी अनुसंधान संकाय, प्रो. यू सी घोषाल और प्रभारी शोध डॉ सीपी चतुर्वेदी तथा डीन डॉ शुभा फडके के नेतृत्व में तीसरा शोध दिवस सफलतापूर्वक आयोजित किया गया। इस मौके पर तीन वक्ताओं ने अपने उच्च स्तरीय भाषणों से संस्थान के संकाय सदस्यों और छात्रों को प्रेरित किया। प्रथम वक्ता के रूप में डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान, लखनऊ की निदेशक डॉ सोनिया नित्यानंद ने अपने कीनोट लेक्चर में बताया कि स्टेमसेल से उपचार के प्रीक्लीनिकल रिजल्ट काफी सकारात्मक हैं।
डॉ सोनिया नित्यानंद ने बताया कि फीटल स्टेम सेल यानी गर्भावस्था के दौरान निकाले गये फ्ल्यूड में मौजूद स्टेम सेल से हार्ट, किडनी के उपचार की दिशा में प्रीक्लीनिकल ट्रायल किये गये हैं जिनके रिजल्ट काफी अच्छे मिल रहे हैं, इसी प्रकार पैंक्रियाज जैसे महत्वपूर्ण ऑर्गन जिससे डायबिटीज जैसी बीमारी जुड़ी है, पर भी अच्छे परिणामों की उम्मीद की जा रही है। उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त बोन मैरो तथा कई अन्य प्रकार के डिस्अॉर्डर में भी स्टेमसेल की भूमिका महत्वपूर्ण पायी गयी है।
कोई दवा असर न करने पर किया स्टेम सेल से इलाज
अपने लेक्चर में डॉ सोनिया नित्यानंद ने बताया कि किस तरह उन्होंने कोविड संक्रमण के बाद आये 28 वर्षीय युवक जो लगातार बुखार, मसूढ़ों से खून व डायरिया जिसमें 15 से 20 बार काले रंग का स्टूल पास हो रहा था, का इलाज स्टेम सेल से किया। उन्होंने बताया कि इस युवक को सीवियर एप्लास्टिक एनीमिया होने पर बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया था, इसके बाद कॉम्प्लीकेशन के रूप में उसे सीवियर ग्राफ्ट वरसेज होस्ट डिजीज severe graft vs host disease हो गयी थी जिस वजह से उसकी यह हालत थी। उन्होंने बताया कि युवक को किसी भी दवा का असर नहीं हो रहा था। ऐसे में इसका उपचार स्टेम सेल (MSC) से किया गया जिसमें इम्यूनोमॉड्यूलर प्रॉपर्टी immunomodulatory effects होने के कारण उसे डायरिया में 24 घंटे में ही आराम आना शुरू हो गया था।
प्रत्येक चिकित्सा संस्थान में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र जरूरी
दूसरे वक्ता जेआईपीएमईआर पांडिचेरी के पूर्व निदेशक और वर्तमान में पांडिचेरी के श्री बालाजी विद्यापीठ के कुलपति डॉ. एस सी परीजा ने कहा कि प्रत्येक चिकित्सा संस्थान में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र होना चाहिए ताकि रोगियों की देखभाल के लिए लागत प्रभावी नैदानिक और उपचार पद्धति को लाया जा सके।
पेट से ही जाता है मस्तिष्क तक की बीमारियों का रास्ता
तीसरे वक्ता डॉ. राजन सिंह एसजीपीजीआई के पूर्व छात्र हैं। उन्होंने अपनी पी एच.डी. प्रोफेसर यू सी घोषाल के मार्गदर्शन के तहत एसजीपीजीआईएमएस में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग से की है। वह वर्तमान में अमेरिका में नेवादा विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर हैं। उन्होंने उच्च गुणवत्ता वाले शोध किए, एनआईएच अनुदान लाए और दिखाया कि आंत के बाहर की बीमारियां जैसे मस्तिष्क, हृदय, मधुमेह आंत की समस्या से कैसे उत्पन्न हो सकती हैं। इससे इन बीमारियों को रोकने और इलाज के लिए नई तकनीकें आ सकती हैं।
बोर्ड पर डिस्प्ले होंगे पुरस्कृत शोधार्थियों के नाम
शोध दिवस पर संस्थान परिवार के सदस्यों द्वारा लगभग 250 शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। आकर्षक तरीके से प्रस्तुत किये गये इन पोस्टर्स को निदेशक व अतिथि वक्ताओं ने देखा और उनकी सराहना की। इन पोस्टरों में प्रस्तुत शोध कार्यों के आधार पर 14 दिसम्बर को संस्थान के 39वें स्थापना दिवस पर संकाय सदस्य वर्ग में 12 एवं छात्र वर्ग में 10 पुरस्कार प्रदान किये जायेंगे। इन पुरस्कार विजेताओं के नाम उनकी फोटो के साथ स्थापना दिवस समारोह में प्रदर्शित किए जाएंगे, जिससे उनके सहयोगियों और शोधार्थियों को विशेष प्रोत्साहन मिले और बेहतर करने की प्रेरणा मिले। संस्थान की शोध इकाई द्वारा उन संकाय सदस्यों को भी सम्मानित किया जाएगा, जिन्हें यू एस ए के स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय द्वारा किए गए सर्वेक्षण के अनुसार विश्व के 2% उत्कृष्ट वैज्ञानिकों में सम्मिलित किया गया है।