-लखनऊ के टीबी मुक्त होने तक अपना सक्रिय योगदान देते रहने का लिया संकल्प
सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू के उप नर्सिंग अधीक्षक केजीएमयू नर्सेज एसोसिएशन के संरक्षक प्रदीप गंगवार ने टीबी उन्मूलन के प्रयास में अपना योगदान देते हुए निक्षय मित्र बनते हुए मल्टी ड्रग रजिस्टेंट MDR टीबी से ग्रसित दो एवं एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी (स्पाइन एंड ब्रेन) से ग्रसित एक मरीज़ को गोद लेकर लखनऊ को टीबी मुक्त बनाने में अपना सक्रिय योगदान देने का संकल्प लिया है। प्रदीप गंगवार का कहना है कि जिस प्रकार अरुणाचल प्रदेश, देश का टीबी मुक्त प्रदेश बना है। उसी तरह शुरुआत में “टीबी मुक्त – लखनऊ” बनाने का हमारा प्रयास है। मेरा प्रयास है कि “टीबी मुक्त लखनऊ” बनाने के इस प्रयास में केजीएमयू का प्रत्येक सदस्य निक्षय मित्र बनकर गौरवान्वित महसूस करे। लखनऊ उत्तर क्षेत्र के विधायक नीरज बोरा ने प्रदीप गंगवार के इस कार्य की सराहना की है।
प्रदीप गंगवार का कहना है कि चिकित्सकों के अनुसार MDR टीबी के मरीज़, सामान्य टीबी के मरीजों से गंभीर माने जाते हैं। ये मरीज़ टीबी की दवाइयो के प्रति प्रतिरोधी (resistant) हो जाते हैं। जिससे उनके उपचार की समय सीमा 6 माह से बढ़कर दो वर्ष अथवा उससे अधिक भी हो सकती है। दवाओं के साथ इंजेक्शन भी दिए जाते हैं। ऐसे में यदि मरीज़ की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है और आर्थिक कमजोरी के कारण पर्याप्त पोषक आहार (जैसे चना, मूँगफली, तिल, गज़क, पनीर, अंडे, ब्रॉकली, टमाटर, आवला, संतरा, सेव, अमरूद, छेना इत्यादि प्रोटीन युक्त सामग्री) एवं उपचार मरीज़ को न मिले तो मरीज़ को एनीमिया (खून की कमी) के ख़तरे जैसी समस्याएँ बढ़ जाती हैं और मरीज़ में ब्लड ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता पड़ने लगती है।
उन्होंने कहा कि प्रायः कुछ वर्षों में देखा गया है कि टीबी से ग्रसित अधिकांश मरीज़ झुग्गी-झोपड़ी, कच्चे मकानों में रहने वाले हैं या उनकी आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे मरीज़ टी बी से ग्रसित होने पर पर्याप्त पोषक तत्व/आहार नहीं ले पाता है और प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण गंभीर टीबी की पीड़ा से ग्रसित हो जाता है।
प्रदीप गंगवार बताते हैं कि केजीएमयू के सीएमएस डॉ बीके ओझा द्वारा लावारिस मरीजों के लिए किए जाने वाले सहयोग से प्रेरित होकर हमने टीबी मरीजों की मदद और सहयोग करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने बताया कि बतौर उप- नर्सिंग अधीक्षक अपने अधीन एवं समकक्ष आने वाले साथियों एवं अन्य अधिकारियों/कर्मचारियों को भी इस मुहिम से जोड़ने का प्रबल प्रयास किया जा रहा है। बहुत से साथीगण इस मुहिम में शामिल होने के लिए उत्सुक हैं और कई के द्वारा टी बी मरीज़ गोद लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। समाज के अन्य प्रबुद्ध, सक्षम एवं जागरूक साथियों को भी इस मुहिम से जोड़ने का प्रयास मीडिया/सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि हमारे द्वारा गोद ली गई दो बेटियाँ त्रिवेणी नगर की एवं एक पुरुष मरीज़ ठाकुरगंज के रहने वाले हैं। प्रदीप ने बताया कि उपमुख्यमंत्री एवं चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य मंत्री ब्रजेश पाठक से इस संबंध में चर्चा एवं वार्ता हुई। उनके द्वारा भी टी बी से मुक्ति के लिए एक ब्लू प्रिंट तैयार कर सहयोग करने का पूर्ण आश्वाशन दिया गया। के जी एम यू नर्सेज़ एसोसिएशन ने भी लगभग दो हज़ार नर्सेज़ से इस मुहिम में जुड़ने की अपील की है।