देश-विदेश की आलू उत्पादन की अत्याधुनिक मशीन आई नरोसा फार्म में
लखनऊ। समय के साथ लखनऊ के किसानों ने भी तरक्की की राह पकड़ ली है। नरोसा गांव निवासी आलू उत्पादक नरौसा फार्म के स्वामी अभिरामवीर ने आलू उत्पादन की खेती अत्याधुनिक उपकरण की मदद से आसान और लाभकारी बनाने के लिए विश्वस्तरीय किसानों की तरह आधुनिक तकनीक से खेती शुरू कर दी है। मजदूरों की किल्लत एवं खेती में लगने वाली लागत को कम करने के लिए नरोसा फार्म में जर्मन और भारत में निर्मित अत्याधुनिक मशीनों से आलू की खेती की जा रही है, आधुनिक मशीनों की वजह से एक ही सीजन में 5 से 6 माह में आलू की दो पैदावार प्राप्त कर अधिक से अधिक धनार्जन संभव हो रहा है।
बक्शी का तालाब अतंर्गत नरोसा गांव स्थित नरोसा फार्म में शनिवार को आलू की खेती में सहायक अत्याधुनिक मशीनों की जानकारी देते हुए अभिराम ने बताया कि आलू की खेती के लिए मजदूरों द्वारा खेत में नाली तैयार कर, आलू के बीज की बुआई कराई जाती थी, समय और मजदूरी लगती थी। मौसम की मार और मजदूरों की कि“त से खेती महंगी और अरुचिकर हो रही थी। इजराइल और जर्मनी आदि देशों में होने वाली खेती की तकनीक का अवलोकन किया और मैने आलू उत्पादन में सहायक अत्याधुनिक उपकरणों की डिमांड भेजकर मंगाया है। फिलवक्त दो मशीने मंगाई हैं, एक जर्मनी की है और दूसरी भारत निर्मित है। दोनों की मशीनें सपाट खेत में मनचाही चौड़ाई की नाली बनाकर, निश्चित दूरी पर बराबर गहराई में आलू बीज बोने में सक्षम हैं। मशीनों की वजह से आलू बुआई में मजदूरों की निर्भरता खत्म हो गई है साथ ही ट्रैक्टर की सहायता से मात्र डीजल के खर्च पर एक दिन में 1० से 12 एकड़ खेत में आलू बुआई संभव हो चुकी है। शीघ्र बुआई से आलू उत्पादन भी जल्दी हो रहा है, लिहाजा एक सीजन में आलू की दो खेती प्राप्त हो रही हैं। श्री वीर ने बताया खेती से विमुख हो रहे कृषकों से अपील करता हूं कि आलू की खेती लाभकारी खेती है, आधुनिक तकनीकों के प्रयोग से अधिक से अधिक धनार्जन संभव है। उन्होंने कहा कि पंजाब, गुजरात, राजस्थान और पश्चिमी उप्र के किसानों की तरह हम लखनऊ के किसान भी खेती को बड़े व्यवसाय में परिवर्तित कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जर्मन मशीन की खासियत बताने के लिए हिमांशु सिंह और भारत निर्मित मशीन के लिए गितांश सरदाना नरोसा फार्म में किसानों को प्रशिक्षित कर रहें हैं।