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सकारात्‍मक ऊर्जा मिली तो बदल गयी उपचार करने वालों की मन:स्थिति

किसी भी चिकित्‍सीय संस्‍थान में पहली बार आयोजित किया गया सॉफ्ट स्किल वर्कशॉप

लखनऊ। मौजूदा समय में तनाव का शिकार हर व्‍यक्ति है। इच्‍छा, आकांक्षा, प्रतियोगिता, आगे निकलने की होड़, आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने की उधेड़बुन रोजी-रोटी की चिंता, कहने का मतलब है कि ऐसे अनेक कारण हैं जो व्‍यक्ति को तनाव देते हैं। तनाव से चिकित्‍सक भी अछूता नहीं है, चूंकि चिकित्‍सक पर तो दूसरों को स्‍वस्‍थ करने की जिम्‍मेदारी है, ऐसे में अगर वह स्‍वयं ही तनावग्रस्‍त होगा तो दूसरों को तनावरहित कैसे बना पायेगा। ऐसे ही तनाव को हटाकर स्‍वाभाविक रूप से जन्‍म से मिली सादगी और निर्मलता को मस्तिष्‍क में बैठाने के लिए चिकित्‍सीय कौशल सिखाने के साथ ही सॉफ्ट स्किल को डेवलप करने के लिए केजीएमयू के स्किल डेवलेपमेंट इंस्‍टीट्यूट में तीन दिन का प्रशिक्षण सत्र आयोजित किया गया था,  आज 24 अक्टूबर को अटल  बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर में  फर्स्‍ट सॉफ्ट स्किल्‍स वर्कशॉप फॉर हेल्‍थ प्रोफेशनल्‍स का समापन हुआ।

 

‘सेहत टाइम्‍स’ ने इस बारे में और जानने के लिए कार्यक्रम के संयोजक एवं एटीएलएस कोर्स डाइरेक्‍टर व प्रभारी स्किल सेंटर डॉ विनोद जैन से वार्ता की तो उन्‍होंने बताया कि हम लोग इस कोर्स में व्‍यक्ति के अंदर छिपे हुए अच्‍छे गुणों और उसकी प्रतिभा को उभारने का कार्य करते हैं। इसमें व्‍यक्ति के अंदर की कुंठा, गुस्‍सा को निकालते हुए उनके अच्‍छे संस्‍कारों को जागृत करते हुए उनके अंदर पॉजि‍टिव एनर्जी भरने के मार्ग को दिखाते हैं।

 

उन्‍होंने बताया कि उदाहरण के रूप में हम लोग बताते हैं कि आप पैदा हुए थे, तो आपके अंदर ये दुर्गुण तो थे नहीं, फि‍र धीरे-धीरे गुस्‍सा करने, गलत आदतें पड़ती गयीं। तो ऐसे में हम इन दुर्गुणों को अपने अंदर से निकालेंगे तो पॉजिटिव एनर्जी भरेगी। इन दुर्गुणों को निकालने के लिए हमें अपने मन, बुद्धि और संस्‍कार की मदद लेनी होगी। डॉ जैन ने बताया कि हम लोग सिखाते हैं कि इसके लिए एक-एक करके दुर्गुणों को छोड़ने की कोशिश करें, जैसे कि आपको बहुत गुस्‍सा आता है तो आप सुबह एक बार यह सोचें कि आज मैं किसी पर गुस्‍सा नहीं करूंगा और फि‍र दिन भर अपनी इस बात पर अमल करने की कोशिश करें तथा रात्रि में सोने से पूर्व एक बार फि‍र से सोचें कि मैंने आज कितने लोगों पर गुस्‍सा किया, आप देखेंगे कि धीरे-धीरे गुस्‍से की आदत आपकी छूट जायेगी। इस प्रकार जब आप सॉफ्ट स्किल जब डेवलप कर लेंगे तो आपके मरीजों को आपसे उपचार लेने में बहुत अच्‍छा अहसास होगा साथ ही मरीज के संतुष्‍ट भरे बोल से आपको भी बहुत संतुष्टि मिलेगी।

 

डॉ विनोद जैन ने बताया कि इस कोर्स के प्रति जो भ्रम था, उसको तोड़ते हुए इसमें भाग लेने वाले प्रतिभागियों का यह मानना है कि इस वर्कशाप के बाद वह अपने अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा महसूस कर रहे हैं और अब वह किसी भी परिस्थिति में सकारात्मकता के साथ काम करने में सक्षम हैं। प्रतिभागियों का मानना है कि उन्होंने अपने अंदर हुए मानवीय मूल्यों को महसूस किया है और अब वह स्वयं को पहले से अधिक परिमार्जित करते हुए खुद में बदलाव लाएंगे तथा अपने संपर्क में आने वाले साथियों व रोगियों को मूल्यों के साथ उपचार देंगे।

 

इस अवसर पर वर्कशाप में भाग लेने वाले 30 प्रतिभागियों को कार्यक्रम के संयोजक एवं प्रभारी स्किल सेंटर डॉ विनोद जैन द्वारा प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान प्रतिभागियों ने इस सॉफ्ट स्किल कार्यशाला से अपने अंदर आए सकारात्मक बदलाव के अनुभव को वहां मौजूद संकाय सदस्यों व विद्यार्थियों से साझा किया।

 

इस अवसर पर वर्कशाप में शामिल एक प्रतिभागी वीनू दुबे के मुताबिक, इस कार्यशाला में भाग लेने के पहले दिन से ही उन्हें अपने अंदर एक सकारात्मक बदलाव महसूस हो रहा है और यहां सिखाए गए मानवता के मूल्यों एवं सकारात्मक विचारों के साथ काम करने की सोच को वह पहले स्वयं पर लागू करेंगी तथा बाद में इसके लिए दूसरों को भी प्रेरित करेंगी।

 

इसी प्रकार से एक अन्य प्रतिभागी प्रियांशु उपाध्याय का कहना है कि यहां आकर स्वयं को और भी करीब से जानने का अवसर मिला एवं इस कार्यशाला से मिले अनुभव को वह अपने साथियों एवं आसपास मौजूद लोगों के साथ भी साझा कर उन्हें भी लाभान्वित करने का प्रयास करेंगी। इसी प्रकार से कई अन्य प्रतिभागियों ने भी इस वर्कशाप के द्वारा उनके अन्र्तमन एवं जीवन में आए सकारात्मक बदलाव के बारे में अपने विचार साझा किए।

 

गौरतलब है कि 22 व 23 अक्टूबर को आयोजित होने वाली इस दो दिवसीय कार्यशाला को प्रतिभागियों के उत्साह को देखते हुए तीन दिवसीय कर दिया गया था। इस कार्यशाला में एक साथ 30 परीक्षार्थीयों को प्रशिक्षण दिया गया, जिसमें उन्हें  Professionlism and Ethics, Communication and Inter-personal skills, Co-operation and Team work, Positivity, Compassion and Anger 1, Compassion and Anger 2, Valuing self , Self realization and Peace के विषय पर प्रशिक्षण दिया गया।

 

इस सॉफ्ट स्किल कार्यशाला की अध्यक्षता किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर एमएलबी भट्ट द्वारा की गई थी एवं मुख्य प्रशिक्षक के रूप में डॉ विनोद जैन के साथ-साथ डॉ पुनीता मानिक,  डॉ रीमा कुमारी, डॉ अनुराधा निश्चल,  डॉ अनिल निश्चल,  डॉ गीतिका नंदा सिंह एवं डॉ भूपेंद्र कुमार उपस्थित रहे।