–वाशिंग्टन डीसी में जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के सर्जिकल साइंसेस के चीफ़ डॉक्टर एंटन से डॉ विनोद जैन की वार्ता

सेहत टाइम्स
लखनऊ। विजिटिंग फैकल्टी के रूप में आमंत्रित किये गये किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय केजीएमयू के सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ विनोद जैन ने मंगलवार 23 अगस्त को वाशिंग्टन डीसी में जॉर्ज वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के सर्जिकल साइंसेस के चीफ़ डॉक्टर एंटन Sidawy से विस्तार से मेडिकल साइंस को बेहतर बनाने के विषय पर चर्चा की। इस दौरान डॉ एंटन ने बताया कि किसी भी मेडिकल यूनिवर्सिटी में सफल संचालन के लिए एडमिनिस्ट्रेटिव स्ट्रक्चर का स्ट्रॉन्ग होना बहुत आवश्यक है।
उनका कहना है कि विशुद्ध और अप्रशिक्षित एडमिनिस्ट्रेटर की जगह फिजीशियन एडमिनिस्ट्रेटर होना चाहिए। वे कहते हैं कि जिस प्रकार इंद्रधनुष के 7 रंग होते हैं और वो आपस में मिल कर सफ़ेद रोशनी का निर्माण करते हैं उसी प्रकार से मेडिकल स्टाफ़ के सभी कर्मी जैसे डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक एवं कर्मचारी एक साथ मिलकर टीमवर्क की भावना से काम करेंगे तो चिकित्सा सुविधा एवं चिकित्सा शिक्षा बेहतर तरीक़े से दी जा सकेगी।

डॉ एंटन ने कहा कि यदि मेडिकल सिस्टम फिजीशियन एडमिनिस्ट्रेटर द्वारा संचालित किया जाता है तो वो ज़्यादा सार्थक होता है। उन्होंने यह भी बताया कि कुछ क्लीनिकल डॉक्टर्स को हेल्थ एडमिनिस्ट्रेशन में ट्रेनिंग लेनी चाहिए जिससे वे हेल्थ के मर्म को समझ सकें और बेहतर रूप से चिकित्सा संस्थान की सेवा कर के उसकी गुणवत्ता बढ़ा सकें।
एजुकेशन पॉलिसी में उन्होंने बताया कि पोस्ट ग्रेजुएट स्टूडेंट को कम से कम तीन बार परीक्षा से गुज़रना चाहिए और अंतिम बार उनकी फ़ाइनल परीक्षा के आधार पर उनको सर्टिफ़िकेट देना चाहिए। इसके अतिरिक्त उन्होंने कहा कि डायबिटिक फुट के इलाज में अथवा बर्जर डिज़ीज़ के इलाज में बाईपास सर्जरी कर के पैर को बचाया जा सकता है, इसके लिए विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता है।
डॉ जैन ने डॉ एंटन को केजीएमयू में 4500 बेड्स पर दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी दी। डॉ एंटन ने केजीएमयू में प्रदान की जाने वाली सुविधाओं की सराहना करते हुए बताया कि चिकित्सक नर्स एवं पैरामेडिक यदि एक साथ काम करेंगे तो मरीज़ का अधिक लाभ होगा साथ ही सभी को समय-समय पर अपने ज्ञान को बढ़ाते रहना चाहिए।

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