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बिना फार्मासिस्‍ट के ई हॉस्पिटल के प्रस्‍ताव पर भड़के फार्मासिस्‍ट

पायलट प्रोजेक्‍ट के तहत 10 ई-हॉस्पिटल बनाने का प्रस्‍ताव है उत्‍तर प्रदेश सरकार का

लखनऊपायलट प्रोजेक्ट के तहत 10 ई-हॉस्पिटल बनाने के प्रस्ताव पर राजकीय फार्मेसिस्ट महासंघ ने आपत्ति दर्ज करते हुए इसमे नीतिगत कमियों की तरफ ध्यान दिलाया है और हॉस्पिटल में बिना फार्मेसिस्ट दवा वितरण को जनता के लिए जानलेवा बताते हुए फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता भी प्रस्तावित करने की मांग की है।

स्टेट फार्मेसी कौंसिल के पूर्व चेयरमैन और महासंघ के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि फार्मेसी एक्ट 1948 की धारा 42 के साथ ही , ड्रग एन्ड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 रूल्स 1945, और फार्मेसी प्रैक्टिस रेगुलेशन 2015 के प्राविधानों के अनुसार औषधियों का वितरण और भंडारण मात्र फार्मेसिस्ट ही कर सकता है, एक्ट और नियम मरीजो के व्यापक हितों को देखते हुए निर्मित किये गए हैं। औषधियों के भंडारण के लिए अलग- अलग तापमान एवं स्थान निर्धारित हैं, उचित तापमान और उचित स्थान पर औषधियां ना रखे जाने पर उसकी गुणवत्ता प्रभावित होगी, साथ ही ऐसी औषधियां जानलेवा साबित हो सकती हैं।

श्री यादव ने कहा कि दवा को भंडारित एवं वितरित करने के लिए लाइसेंस की अनिवार्यता होती है, एवं लाइसेंस के लिए पंजीकृत फार्मेसिस्ट अनिवार्य है। सरकारी चिकित्सालयों को इस आधार पर लाइसेंस से मुक्त किया गया है कि वहां पर फार्मेसिस्ट अनिवार्य रूप से नियुक्त हों। अतः कोई भी संस्थान जहां औषधियां भंडारित या वितरित हों वहां फार्मेसिस्ट की उपस्थिति विधिक और तकनीकी रूप से अनिवार्य है,  यही जनहित में भी है। दिल्ली सरकार द्वारा भी पूर्व में दवाओं की वेंडिंग मशीने लगाने का कार्य शुरू किया गया था जो पूरी तरह फ्लॉप हुआ ।

महासंघ के जनपद अध्यक्ष एस एन सिंह ने कहा कि बिना फार्मेसिस्ट दवा वितरण असंभव और जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ होगा, इसलिए परियोजना में फार्मेसिस्ट अनिवार्य होने चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार दवा को सामान्य प्रयोग की वस्तु समझ रही है। ये दवा है जरा सी गलती से गंभीर नुकसान भी हो सकता है। विभिन्न दवाओं के साथ अन्य दवाएं, भोजन आदि अलग अलग सावधानी के साथ लेना होता है। अतः बिना काउन्सलिंग एवं औषधियों की जानकारी प्राप्त किये दवा लेना फायदे की जगह नुकसानदायक सिद्ध होगा ।

वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे पी नायक, जिला मंत्री प्रह्लाद कन्नौजिया और सचिव जी सी दुबे ने कहा कि दवा की मशीनें उचित डोज और उचित मात्रा में औषधियां नही वितरित कर  सकती हैं। इसलिए इसे मशीनी बनाना उचित नही लगता फिर भी यदि मशीने लगानी भी हैं तो फार्मेसिस्ट के देखरेख और पर्यवेक्षण में ही इन्हें चलाना उचित और जनहित में होगा ।

ज्ञातव्य है कि प्रदेश के दस ग्रामीण चिकित्सालयों को पायलट प्रोजेक्ट के तहत ई- हॉस्पिटल के रूप में चलाने पर सरकार विचार कर रही है । जिसमे अधिकांश दूरस्थ जनपद एवं स्थान हैं, जहां लोग तकनीकी रूप से अभी बहुत सक्षम नहीं हैं। महासंघ ने परियोजना में फार्मेसिस्ट की अनिवार्यता की मांग करते हुए प्रस्ताव संशोधित करने की मांग की।