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पैथोलॉजिस्ट एक मददगार के रूप में करें आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल

-केजीएमयू के पैथोलॉजी विभाग ने मनाया 113वां स्थापना दिवस समारोह

डॉ पीके गुप्ता ने एलुमनाई एसोसिएशन को दिये 51 हजार रुपये

सेहत टाइम्स

लखनऊ। आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) हमें आने वाले दिनों में अच्छा सपोर्ट करेगा, क्योंकि काम का दबाव ज्यादा होने पर मानवीय भूल हो सकती है, ऐसे में अगर एआई की मदद ली जायेगी तो क्रिटिकल पैरामीटर चिन्हित हो जायेंगे और उस पर हम ज्यादा फोकस कर पायेंगे। एआई और डिजिटल पैथोलॉजी की मदद से हम टेली पैथोलॉजी को आगे बढ़ा सकते हैं। एक प्रकार से एआई एकजगह पर एकत्रित की गयी अनेक व्यक्तियों की बुद्धिमता है। इसका लाभ यह है कि अनेकों व्यक्तियों के डाटा को एकजगह देखपाना संभव है जिसमें पता चल जाता है कि किन प्रकार की ​स्थितियों में बहुतायत परिणाम क्या होते हैं।

यह बात आज 31 जनवरी को यहां किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के सेल्बी हॉल में आयोजित पैथोलॉजी विभाग के 113वें स्थापना दिवस समारोह में संजय गांधी पीजीआई के पैथोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रोफेसर मनोज जैन ने अपने व्याख्यान में कही। उनकी चर्चा का विषय था ‘पैथोलॉजी में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की भूमिका’। उन्होंने कहा कि हमें आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस को साथ लेकर चलना होगा, इससे होने वाले लाभ को हमें अपनी प्रैक्टिस में इस्तेमाल करना होगा। उन्होंने कहा कि आर्टीफिशि​यल इंटेलिजेंस के पीछे भूमिका तो मनुष्य की ही है, लेकिन इसकी क्षमता को देखते हुए हमें इसे अपने मददगार के रूप में रखना होगा। उन्होंने कहा कि आर्टीफिशियल इंटेलिजेंस का लाभ यह है कि इससे जहां रिजल्ट में गुणवत्ता बढ़ जायेगी वहीं जहां ज्यादा कार्य है, वहां के मानव संसाधन को इसकी मदद से कार्य का सम्पादन शीघ्र करने में सफलता मिलेगी और ऐसे मेें इस मानव संसाधन का उपयोग रिसर्च जैसे कार्य में ज्यादा हो पायेगा। उन्होंने कहा कि हमें इसका इस तरह प्रयोग करना है जिससे जनता को ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि एआई का इस्तेमाल हमें सकारात्मक दिशा में करना होगा, नकारात्मक दिशा में नहीं, जैसे कि परमाणु से बिजली भी बनती है और बम भी।

इस अवसर पर वार्षिक समाचार पत्र और एक पुस्तक का विमोचन किया गया, जिसके बाद प्रति कुलपति प्रो. अपजित कौर और डीन, अकादमिक, प्रो. अमिता जैन द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारियों और अंतिम वर्ष के एमडी रेजीडेंट्स को सम्मानित किया गया। प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष प्रो. यू.एस. सिंह द्वारा वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।

सीसा के इस्तेमाल पर और जागरूकता की जरूरत

स्थापना दिवस का समापन फाउंडेशन फॉर क्वालिटी इंडिया के निदेशक प्रो. वेंकटेश थुप्पिल द्वारा “समाज में सीसा विषाक्तता और सीसा जागरूकता” विषय पर व्याख्यान के साथ हुआ। प्रो वेंकटेश ने बताया कि सीसा की विषाक्तता को जानना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पेंसिल, लिपस्टिक, रंगों में इसका उपयोग नहीं होना चाहिये। इसकी जानकारी सभी को होनी चाहिये। उन्होंने कहा कि प्रत्येक वस्तु पर जिसमें सीसा का उपयोग हो सकता है, उसमें यह घोषित करना अनिवार्य होना चाहिये कि इसमें अन्य चीजों के साथ ही लेड की मात्रा कितनी है, उन्होंने कहाकि हालांकि कुछ चीजों में इसकी घोषणा करना अनिवार्य किया भी गया है लेकिन इसे प्रत्येक चीज में अनिवार्य करना चाहिये। समारोह का आयोजन प्रो. वाहिद अली, डॉ. शिवांजलि रघुवंशी और डॉ. पूजा शर्मा द्वारा किया गया।

एलुमनाई एसोसिएशन को दान दिये 51 हजार रुपये

केजीएमयू के मीडिया प्रवक्ता डॉ सुधीर सिंह ने बताया कि इस मौके पर वर्ष 1981 बैच के एलुमनाई वरिष्ठ पैथोलॉजिस्ट डॉ पीके गुप्ता ने एलुमनाई एसोसिएशन के फंड में 51,000 रुपये दान दिये। डॉ गुप्ता ने 51 हजार का चेक डॉ सुधीर सिंह को सौंपा। इस सम्बन्ध में पूछने पर डॉ गुप्ता ने बताया कि दरअसल पिछली बार चर्चा में यह बात आयी थी कि एलुमनाई को कैसे मोटीवेट करें कि वे फंड दें और इस फंड का उपयोग एसोसिएशन के नेटवर्क को मजबूत करने, एलुमनाई एसोसिएशन की वेबसाइट बनाने, लाइब्रेरी, गेस्ट हाउस, केजीएमयू कैम्पस में एलुमनाई कार्यालय के निर्माण जैसे कार्यों में किया जा सके। उन्होंने कहा कि जॉर्जियन भारत ही नहीं, भारत के बाहर भी हैं, उन्होंने कहा कि मेरा यह मानना है कि ऐसे बड़ी संख्या में जॉर्जियंस मौजूद होंगे जो इस एलुमनाई एसोसिएशन को मजबूत करने के लिए अपना योगदान दे सकते हैं। उन्होंने अपील की कि जो भी जॉर्जियन अपना योगदान देना चाहें वे एलुमनाई एसोसिएशन के एकाउंट में दे सकते हैं। इसका विवरण इस प्रकार है।


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