-केजीएमयू के सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस पर सीएमई आयोजित

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। खून की उल्टी हो रही हो, पेशाब या मलद्वार से खून आ रहा हो या फिर बच्चेदानी से ब्लीडिंग हो रही हो, ऐसा चोट लगने या अन्य वजह से लिवर, आंत या किसी अन्य स्थान पर धमनी या शिरा फटने से होता है, इसका उपचार बिना ओपन सर्जरी किये सिर्फ 1.5 मिलीमीटर का छेद करके एंजियोग्राफी मशीन की मदद किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय में किया जा रहा है।
यह जानकारी मंगलवार को सर्जरी विभाग के स्थापना दिवस के मौके पर सप्ताह भर के लिए चल रही सीएमई के दूसरे दिन प्रो मनोज कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि इस विधि से उपचार करने का सबसे बड़ा लाभ यह है कि सर्जरी का कोई निशान नहीं पड़ता साथ ही मरीज को अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल जाती है। डॉ मनोज कुमार ने बताया कि एंजियोग्राफी मशीन के जरिये हम लोग शिरा या धमनी जहां से ब्लीडिंग हो रही है, उसकी पहचान कर लेते हैं, उसके बाद ग्लू और क्वायल्स की मदद से फटी हुई जगह को बंद कर देते हैं, जिससे खून बहना बंद हो जाता है।
उन्होंने बताया कि इस विधि से इलाज में डेढ़ मिलीमीटर का छेद करना होता है, उस छेद को भी हम लोग जांघ के पास फोल्ड से नस को पंक्चर करके करते हैं, जिससे छेद का महीन सा निशान भी आसानी से नहीं दिखता, सर्जरी के बड़े निशान से बचने का कॉस्मेटिक दृष्टिकोण से सबसे बड़ा लाभ उन युवतियों को होता है जिनका विवाह नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि ट्यूमर, बच्चेदानी से स्राव, रीनल आर्टरी से रक्त बह रहा हो, नसों का विकार होने पर, उनका गुच्छा बनने पर इस विधि से इलाज किया जाना संभव है, इसमें खर्च किसी भी अस्पताल की अपेक्षा काफी कम आता है। उन्होंने कहा कि अब तक इस विधि से हम लोग करीब 250 मरीजों का उपचार कर चुके हैं।
उन्होंने बताया कि व्यक्ति को अगर फालिज का अटैक पड़ा हो और क्लॉट सख्त होने के कारण इंजेक्शन से दी जाने वाली दवा से ठीक होने की स्थिति न हो तो उसे भी इस विधि से ठीक कर दिया जाता है लेकिन इसमें जरूरी यह है कि अटैक पड़ने से साढ़े छह घंटे के अंदर मरीज को केजीएमयू ले आया जाये।

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