-राजकीय नर्सेज संघ उत्तर प्रदेश ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर की तबादले निरस्त करने की मांग

सेहत टाइम्स
लखनऊ। चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश के नर्सिंग संवर्ग में नियमविरुद्ध स्थानांतरण और विधायक के कथित फर्जी पत्र के आधार पर ट्रांसफर करने के दो मामले सामने आये हैं। बीते नवम्बर 2023 में पदोन्नति पाकर सिस्टर बनी इंदू चंद्रवंशी सेवानिवृत्ति के कगार पर खड़ी हैं, वहीं विधायक कथित पत्र पर स्थानांतरण की शिकार स्टाफ नर्स रेखा हुई हैं। इन दोनों प्रकरणों पर राजकीय नर्सेज संघ उत्तर प्रदेश ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर विरोध जताते हुए तबादलों को रद करने की मांग की है।
संघ के महामंत्री अशोक कुमार ने प्रमुख सचिव को लिखे पत्र में चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग उत्तर प्रदेश में वर्तमान सत्र में नर्सिंग संवर्ग में नीतिगत स्थानांतरण न करने की सराहना की है, इसके लिए मुख्यमंत्री एवं उपमुख्यमंत्री का आभार जताते हुए लिखा है कि सिस्टर इन्दू चन्द्रवंशी जिनकी पदोन्नति सिस्टर के पद पर 26-11-2023 हो चुकी है,परन्तु इनका स्थानांतरण स्टाफ नर्स के पद पर किया गया है। यही नहीं सिस्टर इंदू की सेवानिवृत्ति में मात्र 3 महिने 27 दिन ही शेष हैं, फिर भी इनका तबादला बुलंदशहर से गढ़मुक्तेश्वर ट्रॉमा सेन्टर, हापुड़ कर दिया गया, जबकि सिस्टर इंचार्ज का पद भी किसी ट्रॉमा सेन्टर में नहीं है।


पत्र में कहा गया है कि यह स्थानांतरण शासन के चिकित्सा स्वास्थ्य अनुभाग 3 से किया गया है जबकि नर्सेज का कार्य चिकित्सा स्वास्थ्य अनुभाग 8 से किया जाता है जबकि स्थानांतरण सत्र में नर्सिंग संवर्ग का स्थानांतरण महानिदेशक के कार्यालय से ही होता है, यदि ऐसा होता यह गड़बड़ी ना होती। शासनादेश में भी कहा गया है कि 2 वर्ष से कम सेवानिवृत्ति का समय शेष रहने पर स्थानांतरण नहीं करना चाहिए।
इसके अलावा पत्र में दुस्तर प्रकरण के बारे में कहा गया है कि महानिदेशालय में विधायक आशीष कुमार सिंह, आशू के पत्र के आधार पर रेखा अवस्थी स्टाफ नर्स का स्थानांतरण सीतापुर से स्वयं के अनुरोध पर हरदोई कर दिया गया है जबकि रेखा अवस्थी ने स्थानांतरण का अनुरोध किया है और न ही विधायक ने ऐसा कोई पत्र लिखा है, महामंत्री ने पत्र में लिखा है कि जब विधायक से पता करवाया गया तो उन्होंने कहा कि मेरे हस्ताक्षर भी नही है और मैंने ऐसा कोई पत्र भी नहीं लिखा है।
इस बारे में महामंत्री ने लिखा है कि तबादले से पूर्व पत्र की पुष्टि भी नहीं की गयी, जबकि शासनादेश संख्या 13/1/97-का-1/1997 में निर्देश दिए गए हैं कि विशिष्ट व्यक्तियों से प्राप्त प्रत्रों के सम्बन्ध में कार्रवाही आरम्भ करने से पूर्व पुष्टि कर ली जाए कि पत्र उन्हीं के द्वारा हस्ताक्षरित है कि नहीं। पत्र में लिखा गया है कि राजकीय नर्सेज सघ उत्तर प्रदेश आपसे विनम्र निवेदन करता है कि उपरोक्त दोनों तबादलों को अतिशीघ्र निरस्त किया जाय, जिससे दोनों लोगों को न्याय मिल सके।
