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ESG और IGB प्रक्रियाओं से अब मोटापे का इलाज हुआ आसान : डॉ अभिनव

-हेल्थ सिटी विस्तार हॉस्पिटल के गैस्ट्रो एंटरोलॉजी एवं हेपेटोलॉजी विभाग के चीफ कन्सल्टेंट डॉ अभिनव कुमार से सेहत टाइम्स की विशेष वार्ता

धर्मेन्द्र सक्सेना ✍️
लखनऊ। आजकल मोटापा एक ऐसी समस्या बन चुका है जिसका शिकार बच्चे से लेकर वयस्क तक सभी हो रहे हैं, यह अप्रत्याशित नहीं है, क्योंकि हमारी जीवनशैली और खानपान ऐसा हो चुका है, जिसके चलते हम लोग मोटापे को एक तरह से आमंत्रण देते हैं। मोटापा कितनी बड़ी समस्या बनता जा रहा है, इसका अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि अभी अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस (21 जून, 2025) पर विशाखापट्टनम में मुख्य कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी इस पर चिन्ता जाहिर की है और लोगों से आह्वान किया है कि वे अपनेे खानपान में कम से कम 10 प्रतिशत चिकनाई का प्रयोग कम करें। स्वास्थ्य के प्रति प्रधानमंत्री की चिंता नयी नहीं है, आपको याद होगा वर्ष 2014 में पहली बार सत्ता सम्भालने के बाद प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य के लिए सर्वाधिक जरूरी सफाई के लिए स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी।

‘सेहत टाइम्स’ ने मोटापे जैसे गंभीर विषय पर हेल्थ सिटी विस्तार सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल एंड ट्रॉमा सेंटर के गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एवं हेपेटोलॉजी विभाग के अध्यक्ष व मुख्य सलाहकार डॉ. अभिनव कुमार से विशेष वार्ता की। डॉ अभिनव कुमार ने इससे जुड़े सभी पहलुओं पर प्रकाश डाला, साथ ही मोटापा कम करने में कारगर दो प्रकार के उपचारों के बारे में जानकारी दी।

डॉ अभिनव कुमार कहते हैं कि शरीर का एक ऐसा अंग जो दिन-रात मेहनत करता है, लेकिन सबसे कम चर्चा में रहता है-वह है लिवर। लिवर न केवल खून से विषैले पदार्थों को छानता है, बल्कि भोजन को पचाने, ऊर्जा संचित करने और रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत करने में भी अपनी अहम भूमिका निभाता है, हाल के वर्षों में लिवर संबंधी बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं, खासकर फैटी लिवर, जिसे अब नई चिकित्सीय परिभाषा के अनुसार MASLD (Metabolic dysfunction-associated steatotic liver disease) कहा जाता है। इससे आगे चलकर स्थिति सूजन (अब MASH) और फिर सिरोसिस व लिवर कैंसर तक स्थिति पहुंच सकती है।

उन्होंने बताया कि चिंताजनक बात यह है कि भारत में हर तीसरा वयस्क इस बीमारी से प्रभावित है, और ज़्यादातर को इसकी भनक तक नहीं होती। इसके कारण साफ हैं, अनियमित खानपान, जंक फूड, शराब, मोटापा और निष्क्रिय जीवनशैली।

लिवर की बीमारी से जुड़ा है मोटापा

आमतौर पर लिवर की चर्बी और शरीर का अधिक वजन एक-दूसरे से जुड़े होते हैं। जब वजन अधिक होता है, तो लिवर पर वसा जमने लगती है, जिससे धीरे-धीरे उसकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है। परिणामस्वरूप डायबिटीज़, हाई कोलेस्ट्रॉल, थकान, गैस, अपच, नींद की गड़बड़ी और पेट भारी रहना — ये सब शुरुआती संकेत हो सकते हैं जिन्हें हम अक्सर नजरअंदाज कर देते हैं।

जीवनशैली में बदलाव लाना है पहली दवा

डॉ अभिनव ने बताया कि इस समस्या से निपटने की बात करें तो जैसा कि विशेषज्ञ कहते हैं कि अगर समय रहते खानपान और दिनचर्या में सुधार किया जाए तो लिवर की स्थिति को काफी हद तक सुधारा जा सकता है। इसके लिए ताज़ा, फाइबरयुक्त भोजन, फल-सब्जियाँ और प्रोटीन लेना, मीठा, तला हुआ, डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ और शराब से परहेज़ करना चाहिये। इसके अलावा नियमित वॉक, योग और नींद का संतुलन, मानसिक तनाव से मुक्ति जैसे कदम उठाकर लिवर की बीमारी का जोखिम 50% तक कम किया जा सकता है।

अब बिना सर्जरी भी हो सकता है वजन कम और लिवर बेहतर

डॉ अभिनव ने कहा कि लेकिन कुछ मरीजों के लिए केवल जीवनशैली बदलना पर्याप्त नहीं होता, खासकर जब मोटापा पुराना हो और MASLD या MASH का ख़तरा बना हो। ऐसे मामलों में अब बिना चीराफाड़ी के एंडोस्कोपी के माध्यम से इलाज संभव है।
डॉ अभिनव में बताया कि हमारे हेल्थ सिटी विस्तार हॉस्पिटल में दो नवीनतम एंडोस्कोपिक विकल्प उपलब्ध हैं।

1. उन्होंने बताया कि पहला है एंडोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रोप्लास्टी (ESG) यह एक एनेस्थीसिया में की जाने वाली प्रक्रिया है जिसमें एंडोस्कोप के ज़रिए पेट के अंदर टांके लगाए जाते हैं ताकि पेट का आकार छोटा हो जाए। इससे मरीज जल्दी पेट भरने का अनुभव करता है और कम खाता है।

एंडोस्कोपिक स्लीव गैस्ट्रोप्लास्टी के फायदे

15–20% तक वजन में कमी (6–12 महीने में)

लिवर फैट, शुगर और कोलेस्ट्रॉल में सुधार

MASLD/MASH की प्रगति धीमी पड़ती है

बिना सर्जरी, कम जोखिम

2. उन्होंने बताया कि इसके अतिरिक्त दूसरा विकल्प है इंट्रागैस्ट्रिक बैलून (IGB), इस प्रक्रिया में मुंह के रास्ते एक नरम बैलून पेट में डाला जाता है और उसे लिक्विड से भरा जाता है। यह बैलून पेट में 6 महीने तक रहता है और भोजन की क्षमता को सीमित करता है।

इंट्रागैस्ट्रिक बैलून के लाभ

प्रक्रिया में सिर्फ 30 मिनट का समय

10–15% तक वजन घटाने में सहायक

अस्थायी लेकिन शुरुआती मोटापे के लिए उपयोगी

उन्होंने कहा ​कि इन प्रोसीजर्स में कुछ मरीजों में मतली, उल्टी या असहजता हो सकती है, जो कि बाद में ठीक हो जाती है। डॉ अभिनव ने कहा कि मेरी लोगों को यही सलाह है कि इलाज वही बेहतर होता है, जो समय किया जाये।

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