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मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य : अपने बच्‍चों को असफलता स्‍वीकार करना भी सिखाइये

कबीर फेस्टिवल में आयोजित आर्ट थैरेपी सत्र में मनोवैज्ञानिक डॉ कुमुद श्रीवास्‍तव ने दी सलाह
डॉ कुमुद श्रीवास्तव

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। सफलता की चाह किसे नहीं होती, सभी यह चाहते हैं कि हम जो भी काम करें उसमें हमें सफलता प्राप्‍त हो, लेकिन यह भी सच है कि बहुत बार हम अपने पूरे प्रयास करने के बाद भी अपने कार्य में सफलता प्राप्‍त नहीं कर पाते हैं, इसके पीछे के कारण बहुत से हो सकते हैं, लेकिन परिणाम हमें असफलता के रूप में दिखता है। इसलिए सफलता और असफलता हमारे जीवन के अभिन्‍न अंग हैं और इसीलिए आवश्‍यक है कि असफलता को भी हम आसानी से स्‍वीकार करें और दोबारा से सफल होने की कोशिश में लग जायें। मेरी माता-पिता को यही सलाह है कि अपने बच्‍चों को असफलता स्‍वीकार करना सिखायें।

यह सलाह मनोवैज्ञानिक डॉ कुमुद श्रीवास्‍तव ने यहां गोमती नगर में कबीर फेस्टिवल के दौरान आयोजित आर्ट थैरेपी सत्र में दी। उन्‍होंने कहा कि हमारा संपूर्ण मानसिक स्वास्थ्य उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि हमारा शारीरिक स्वास्थ्य। ये दोनों एक सिक्‍के के दो पहलू हैं। इसलिए हमें दोनों का बराबर ध्‍यान रखना जरूरी है। डॉ कुमुद ने कहा कि सबसे पहले लोगों में यह जागरूकता लाने की जरूरत है कि मानसिक रोग को छिपाया न जाये, इसे छिपाने की नहीं बल्कि चिकित्‍सक से इसका उपचार कराने की आवश्‍यकता है।

उन्‍होंने कहा कि बच्‍चों में आजकल बहुत तनाव देखा जा रहा है। यही नहीं बच्‍चों द्वारा आत्‍महत्‍या करने की घटनायें भी बढ़ रहीं हैं, विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की इस बार की थीम भी इसी पर आधारित है, आत्‍महत्‍या से कैसे बचाये। इसके लिए बच्‍चों को असफलता को स्‍वीकार करना, भावनाओं को नियंत्रित करना सिखायें, तो बच्‍चों को आत्‍महत्‍या जैसे कदम उठाने से बचाया जा सकता है।

डॉ कुमुद ने कहा कि माता-पिता को चाहिये कि वह पॉजिटिव पेरेन्टिंग करें, यानी बच्‍चों की बात सुनें, जानें, समझें। उन्‍होंने बच्‍चों से भी कहा कि माता-पिता का रिश्‍ता आपसे स्‍वार्थ वाला नहीं है, इसलिए आप अपनी बात उनसे खुलकर करें, अपनी समस्‍या उनसे खुलकर बतायें और सही मार्गदर्शन लें, इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है।

उन्‍होंने कहा कि आजकल देखा जा रहा है कि सबको सबकुछ चाहिये और बहुत जल्‍दी चाहिये, यह सही नहीं है। उन्‍होंने कहा यह आपाधापी छोड़ दें, आपको सभी चीजें सुकून के साथ मिलेंगी, अपने काम को अच्‍छे से अंजाम दें, अपने स्‍वास्‍थ्‍य का खयाल रखें।

मानसिक समस्‍याओं को छिपाने की जरूरत नहीं है, इसका संदेश देने के लिए इस कार्यक्रम को ओपन में ही आयोजित किया गया था। इस मौके पर डॉ कुमुद ने लोगों के प्रश्‍न के उत्‍तर भी दिये।

ऐसा हो रहा हो तो…

डॉ कुमुद ने कहा कि मानसिक समस्‍या की पहचान के लिए कुछ लक्षण हैं कि पूरी नींद लेने के बाद भी सुबह उठकर फ्रेश महसूस न करना, भूख, नींद, प्‍यास जैसी स्‍वाभाविक क्रियायें प्रभावित हो रही हैं, बात करते-करते लोग चीजों को भूलने लगते हैं, रोज के रास्‍तों में भटक जाते हैं तो इसका अर्थ है कि व्‍यक्ति किसी न किसी मानसिक समस्‍या या बीमारी से ग्रस्‍त हैं। डॉ कुमुद ने कहा कि यह लक्षण एक तरह से थर्मामीटर हैं मानसिक समस्‍याओं को मापने का।