-केजीएमयू का एंडोक्राइन सर्जरी विभाग स्तन कैंसर जागरूकता माह में कर रहा जागरूक
-महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में तेजी से एडवांस स्टेज की तरफ बढ़ता है ब्रेस्ट कैंसर

सेहत टाइम्स ब्यूरो
लखनऊ। स्तन कैंसर के प्रति महिलाओं को ही नहीं, पुरुषों को भी जागरूक रहना चाहिये क्योंकि औरत हो या मर्द ब्रेस्ट कैंसर किसी को भी हो सकता है, हां मर्दों में यह एक प्रतिशत पाया जाता है लेकिन फिर भी यह संख्या इतनी कम नहीं है। बल्कि अगर इसके बढ़ने की रफ्तार की बात करें तो ब्रेस्ट कैंसर पुरुषों में स्टेज 1 से एडवांस स्टेज में बहुत तेजी से पहुंच जाता है। पुरुषों को इसके प्रति सचेत रहने की ज्यादा जरूरत है क्योंकि पहली बात यह है कि यह कैंसर उन्हें भी हो सकता है, दूसरा जब वह इस कैंसर के बारे में जानेंगे तो वे अपने घर की महिलाओं के लिए भी फिक्रमंद रहेंगे, क्योंकि महिलाओं को इसका खतरा ज्यादा होता है। जिस पुरुष के ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है, उसे झिझक कर चुप नहीं बैठना चाहिय बल्कि उसे तो आगे बढ़कर लोगों को बताना चाहिये कि यह सिर्फ महिलाओं का ही रोग नहीं है। क्योंकि जब पुरुष स्वयं अपने बारे में बतायेगा तो इसके सफल इलाज के प्रति मरीज के मन में सकारात्मकता ज्यादा आयेगी।
यह जानकारी विश्व स्तन जागरूकता माह के दौरान पिछले दिनों हुए ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम की जानकारी देते हुए किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय (केजीएमयू) के एंडोक्राइन सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो आनन्द मिश्र ने बताया कि महिलाओं के साथ पुरुषों को भी ब्रेस्ट कैंसर के खतरे के प्रति सावधान रहने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जिनके परिवार में पहले अगर किसी को ब्रेस्ट कैंसर रहा है तो पुरुषों को जेनेटिक कारणों से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है। प्रो आनन्द ने बताया कि इस परिवार के पुरुष में अगर ब्राका 1 और ब्राका 2 जीन अगर पॉजिटिव हुआ तो ब्रेस्ट कैंसर का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। अन्य कारणों के बारे में उन्होंने बताया कि अगर किसी कारणवश अंडकोष निकाल दिये गये हों, या फीमेल हार्मोन ट्रीटमेंट दिया गया हो तो भी ऐसे लोगों को ब्रेस्ट कैंसर का खतरा रहता है।
उन्होंने बताया कि ऑनलाइन हुए पिछले कार्यक्रम में लखनऊ का रहने वाले मरीज को इसीलिए लाइव फोरम पर लिया गया था, जिससे वह अपने साथ हुए ब्रेस्ट कैंसर के बारे में जानकारी दें, और इस जानकारी को दूसरे मरीज समझें तथा अपनी परेशानी खुलकर सामने रखें, आपस में चर्चा करें, क्योंकि इस मामले में महिलाओं से ज्यादा पुरुष छिपाते हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि यह औरतों वाली बीमारी मुझे कहां से हो गयी, बहुत से लोग डिप्रेशन में चले जाते हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिये, डिस्कस करेंगे तो रास्ता निकलेगा, जल्दी इलाज शुरू होगा तो जीवन बच जायेगा।
क्या करना है
प्रो आनन्द मिश्र ने कहा कि इसके प्रति जागरूकता रखने की और सावधान रहने की जरूरत है, पुरुषों और महिलाओं दोनों में ब्रेस्ट कैंसर का लक्षण गांठ होना, निप्पल से स्राव होना ही है। पुरुषों को भी यदि अपनर छाती में गांठ महसूस हो तो उसे तुरंत ही डॉक्टर को दिखानी चाहिये, इसमें किसी प्रकार की झिझक नहीं करनी चाहिये। उन्होंने बताया कि पुरुषों को इसलिए भी ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है क्योंकि पुरुषों में यह कैंसर बहुत तेजी से बढ़ता है क्योंकि पुरुषों की छाती पर चर्बी तो है नहीं, ऊपर चमड़ी है, नीचे सीना है, ऐसे में यह कैंसर बहुत जल्दी एडवांस स्टेज में पहुंच जाता है। उन्होंने कहा कि इस बारे में खुद ही गांठ महसूस होने पर डॉक्टर को दिखायें वरना ज्यादातर होता यह है कि किसी वजह से अगर छाती में चोट लगी तब पुरुष हाथ लगाकर देखता है, और उसे चोट समझ बैठती है जबकि चोट तो उस गांठ को महसूस करने का एक जरिया बन जाती

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