Saturday , April 27 2024

लम्बे समय तक दर्दनाशक दवाओं का सेवन भी देता है किडनी रोग

-समय-समय पर किडनी फंक्शन टेस्ट और यूरिन में प्रोटीन की जांच कराने की सलाह

डॉ गौरांग गुप्ता

सेहत टाइम्स

लखनऊ। कहते हैं कि रोग के उपचार से बेहतर है उससे बचाव। वर्ल्ड किडनी डे पर गुर्दा संबंधी रोगों पर चर्चा-परिचर्चा हो रही है। उपचार से बेहतर बचाव वाली थ्योरी किडनी रोगों पर और ज्यादा लागू होती है क्योंकि एक बार किडनी डैमेज होने पर उसकी जीवंतता वापस लाने की अभी कोई दवा नहीं बनी है।

इस बारे में गौरांग क्लीनिक एंड सेंटर फॉर होम्योपैथिक रिसर्च (जीसीसीएचआर) के कंसल्टेंट डॉ गौरांग गुप्ता ने बताया कि जिन रोगों में किडनी के नुक्सान होने की संभावना ज्यादा रहती है, उनमें हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज मुख्य हैं। उन्होंने कहा कि जिन्हें लंबे समय से हाई ब्लड प्रेशर या डायबिटीज की शिकायत है, या फिर डायबिटीज/हाई ब्लड प्रेशर की मात्रा काफी हाई बनी रहती है, उन्हें किडनी की बीमारी होने की संभावना ज्यादा रहती है। किडनी रोगों को होने से रोकने तथा हो जाने पर शीघ्र उपचार प्रारम्भ करने के लिए आवश्यक है किडनी की जांच। इसलिए समय-समय पर अपने किडनी फंक्शन टेस्ट और यूरिन में प्रोटीन की जांच कराते रहना चाहिए।

डॉ गौरांग ने बताया कि आजकल माइग्रेन और जोड़ों में दर्द के मरीज बड़ी संख्या में हैं, इनमें अधिकतर मरीज अक्सर ही दर्द की दवाओं का सेवन करते रहते हैं, इन दवाओं से भी किडनी पर असर पड़ता है। वहीं छोटे-छोटे बच्चों में बार बार बुखार की दवा भी किडनी के लिए हानिकारक है। ऐसे मरीजों के लिए मेरी सलाह है कि तीन से चार माह के अंतर पर किडनी फंक्शन टेस्ट केएफटी कराते रहना चाहिए।

उन्होंने बताया कि कई रोगों जैसे कि टाइफाइड, यूटीआई, ब्रोंकाइटिस इत्यादि में एंटीबायोटिक का लम्बे समय तक या बार-बार या हाई डोज का सेवन करने पर या ट्यूबरक्लोसिस (टीबी) की दवा खाने से भी किडनी ख़राब होती है, ऐसे लोगों को भी जांच करते रहना चाहिए।

जल्दी आ जायें तो होम्योपैथी दे सकती है और अच्छे परिणाम

डॉ गौरांग ने बताया कि अक्सर लोगों का कहना होता है कि उन्हें कोई दिक्कत तो होती नहीं है, तो टेस्ट कराने की क्या आवश्यकता है, इस पर डॉ गौरांग में कहा कि किडनी फंक्शन टेस्ट के साथ यूरिन में प्रोटीन की जांच बिना किसी शारीरिक लक्षण के कराते रहना चाहिए क्योंकि किडनी रोगों के शारीरिक लक्षण और ब्लड में यूरिया, क्रिएटिनिन में बढ़ोतरी तब दिखाई देती है जब 70 से 80% किडनी खराब हो जाती है। उन्होंने कहा कि होम्योपैथी में लोग बहुत देर से, डायलिसिस या ट्रांसप्लांट की नौबत आने पर आते हैं, यदि शुरुआत में ही होम्योपैथिक इलाज किया जाये तो और भी बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Time limit is exhausted. Please reload the CAPTCHA.