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एमबीबीएस की तरह बीडीएस की अवधि भी साढ़े पांच साल करने की तैयारी

-डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्‍यक्ष डॉ मजूमदार ने दी जानकारी

-सेमेस्‍टर सिस्‍टम होगा लागू, इंटर्नशिप के बाद भी देनी होगी परीक्षा

-इंटर्नशिप की परीक्षा को ही मिलेगा पीजी की प्रवेश परीक्षा का दर्जा

डॉ. डी मजूमदार

सेहत टाइम्‍स

लखनऊ। अब बीडीएस (बैचलर ऑफ डेंटल सर्जरी) डिग्री का कोर्स भी एमबीबीएस की तरह साढ़े पांच साल का करने की तैयारी चल रही है। इसके साथ ही बीडीएस का सत्र भी वार्षिक न होकर छह माह के सेमेस्‍टर के रूप में होगा। इसकी सिफारिश डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया (डीसीआई) ने केंद्र सरकार को भेजी है।

यह जानकारी शनिवार 3 सितम्‍बर को यहां इंदिरा गांधी प्रतिष्‍ठान में आयोजित डेंटल शो के मौके पर देते हुए डीसीआई के अध्‍यक्ष डॉ. डी मजूमदार ने कहा कि बीडीएस कोर्स की अवधि एमबीबीएस के बराबर की जाएगी। इसके लिए पाठ्यक्रम में बदलाव भी होगा जिसमें एडवांस लाइफ सपोर्ट, बेसिक लाइफ सपोर्ट जैसे स्किल के कोर्सेज को भी शामिल किया जायेगा। इसके बाद एमबीबीएस की तरह बीडीएस भी साढ़े पांच साल में होगा, वर्तमान में यह कोर्स चार साल प्‍लस एक साल की इंटर्नशिप कुल पांच साल का है।

डॉ मजूमदार ने बताया कि इसके साथ ही इंटर्नशिप के दौरान गंभीरता से कार्य करने के लिए इंटर्नशिप अवधि समाप्‍त होने के बाद एक और परीक्षा होगी जिसमें सफलता प्राप्‍त होने के बाद ही डिग्री हासिल होगी। उन्‍होंने कहा कि दरअसल बहुत बार ऐसा होता है कि विद्यार्थी डेंटल के पोस्‍ट ग्रेजुएट कोर्स की तैयारी के चलते इंटर्नशिप पर पूरी तरह फोकस नहीं कर पाते हैं, जो कि आवश्‍यक है।  उन्‍होंने बताया कि जहां इंटर्नशिप के बाद परीक्षा में पास होना अनिवार्य किया गया है वहीं पीजी में एडमिशन लेने के लिए परीक्षा की अनिवार्यता समाप्‍त कर दी जायेगी। उसकी इंटर्नशिप की परीक्षा में सफलता ही पीजी में प्रवेश की परीक्षा मानी जायेगी।

डॉ मजूमदार ने बताया कि डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया ने अपनी 1700 पेज की रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंप दी है। इसमें डेंटल की पढ़ाई में बदलाव के बहुत से सुझाव शामिल है। डॉ मजूमदार ने कहा कि पूरी दुनिया में अब मेडिकल साइंस की पढ़ाई एक ही पैटर्न पर हो इस पर मंथन चल रहा है। यह फैसला इसी के तहत लिया जा रहा है। बीडीएस में भी सेमेस्टर सिस्टम को लागू होने के बाद परीक्षा प्रत्‍येक छह माह में आयोजित होगी जो कि अभी वार्षिक होती है।

पूरे देश में होगा एक ही प्रश्‍नपत्र

वरिष्ठ दंत चिकित्सक डॉ आशीष खरे ने कहा कि डीसीआई का यह फैसला आने वाले समय में दंत चिकित्सा के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि उच्च शिक्षा की भांति डेंटल में भी पाठ्यक्रम में आमूलचूल बदलाव आए। इसी वजह से डॉक्टरी की पढ़ाई में अब खेल, संगीत, योगा समेत बहुत से अन्य विधान को जोड़ा जा रहा है। एक अहम फैसला और यह भी हुआ है कि अब सरकारी और निजी कॉलेजों में जो भी सेमेस्टर की परीक्षाएं होंगी। उसमें एक ही प्रश्न पत्र होगा और ठीक परीक्षा से पहले ही उसे अभ्यर्थी को दिया जाएगा।

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