-समाज सेवा करते-करते सीनियर सिटीजन बन चुके त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ विवेक कुमार के लिए उम्र सिर्फ एक नम्बर
-‘लेप्रोसीमैन’ डॉ विवेक कुमार की सेवा यात्रा भाग-1
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धर्मेन्द्र सक्सेना
लखनऊ। एक-दो नहीं, पांच, दस भी नहीं, 31 वर्ष पूर्व गरीब-लाचार तथा अपनों की उपेक्षा का दंश झेलने वाले कुष्ठ रोगियों के मुफ़्त इलाज का संकल्प लेकर सेवा शुरू करने का डॉ विवेक कुमार का सफर अनवरत जारी है।
1992 से अबतक लखनऊ में बहुत कुछ बदल गया है, लेकिन नहीं बदला है तो त्वचा रोग विशेषज्ञ डॉ विवेक का रूटीन, जिसमें उन्होंने अपने पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए पिता पद्मश्री डॉ राम कृष्ण की दी समाज सेवा की सीख को अपने जीवन का अनिवार्य अंग बना लिया है। कुष्ठ रोगियों की लंबे समय से निस्वार्थ सेवा कर रहे डॉ विवेक को लोग अब ‘लेप्रोसी मैन’ कहकर बुलाने लगे हैं। जवानी में समाज सेवा शुरू करने वाले अब सीनियर सिटीजन की उम्र पार कर चुके डॉ विवेक आज भी सेवा करने से थके नहीं हैं। इनका जज्बा उन लोगों की तरह है जिनके लिए उम्र सिर्फ एक नम्बर होती है, काम करने में अवरोध नहीं।
मोहनलालगंज को क्यों चुना सेवा स्थल
मोहनलालगंज के ज्योति नगर में सेवा स्थल बनाने की वजह पिता की वह सीख है जिसमें उन्होंने कहा था कि समाज सेवा करनी है तो ग्रामीण क्षेत्रों में करो, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वालों को तुम्हारी इस सेवा की आवश्यकता है। आज भी डॉ विवेक हजरतगंज स्थित अपने आवास से 25 किलोमीटर दूर मोहनलालगंज के ज्योति नगर स्थित मिशनरीज ऑफ चैरिटी मदर टेरेसा लेप्रोसी रिहैबिलिटेशन सेंटर सप्ताह में 2 दिन अपने खर्चे पर जाते हैं जहां वे अस्पताल में भर्ती कुष्ठ रोगियों के अतिरिक्त यहां चलने वाली ओपीडी में प्रति सप्ताह 80 रोगियों को अपनी मुफ्त सेवाएं देते हैं।
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डॉ विवेक कुमार अपनी सेवाओं में न सिर्फ मरीजों का परीक्षण कर सलाह देते हैं बल्कि उन्हें निशुल्क दवाएं भी उपलब्ध कराते हैं, इसके लिए प्रत्येक ओपीडी में 10 दवा प्रतिनिधियों की टीम उपलब्ध रहती है जो डॉ विवेक की सलाह पर मरीजों को निशुल्क दवाएं देती है। अत्यंत व्यवस्थित तरीके से चलने वाली इस ओपीडी में सोमवार को पुरुष तथा शुक्रवार को महिलाओं को देखा जाता है, शुक्रवार को विशेष लेप्रोसी क्लीनिक भी चलती है। लम्बा समय बीतने के कारण क्षेत्र की जनता को इस शेड्यूल की जानकारी हो गई है इसलिए लोग अपने लिए निर्धारित ओपीडी में ही पहुंचते हैं परंतु कभी कोई इक्का-दुक्का मरीज बिना टर्न पहुंच जाता है तो उसे भी डॉ विवेक देखने से इनकार नहीं करते हैं, उस दिन उसे देखने के बाद अगली बार के लिए निर्धारित नियम के अनुसार आने को कहा जाता है।
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डॉ विवेक की सेवा यात्रा के बारे में जानकर न सिर्फ देखने बल्कि इसे महसूस करने के दृष्टिकोण से ‘सेहत टाइम्स’ ने मोहनलालगंज में इस लेप्रोसी रिहैबिलिटेशन सेंटर का दौरा किया। यहां दिखी मरीज की आंखों में आशा की किरण, यहां दिखे कुष्ठ रोग के वे मरीज जिन्हें छुआछूत मानकर परिवार ने भी छोड़ दिया है। यहां दिखी मरीज को देखे जाने की ऐसी व्यवस्था जो अच्छे-अच्छे संस्थानों में नहीं मिलती है।
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मरीज के पंजीकरण से लेकर उनके परीक्षण और दवाओं के वितरण तक की विशिष्ट और व्यवस्थित कार्य प्रणाली सहित डॉ विवेक की इस सेवा यात्रा से जुड़ी और भी विशिष्ट जानकारियों के बारे में हम आपको आगे बताएंगे। जुड़े रहिये सेहत टाइम्स के साथ…
(‘लेप्रोसीमैन’ डॉ विवेक कुमार की सेवा यात्रा भाग-2 पढ़ने के लिए क्लिक करें)
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