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दिल के आरपार घुसी सरिया को सफलतापूर्वक निकाल कर केजीएमयू के डॉक्टरों ने विश्व में रचा इतिहास

-सुल्तानपुर का रहने वाला व्यक्ति घर में टॉयलेट की छत से गिर गया था नीचे

-चार घंटे चली जटिल सर्जरी, नौ दिन मरीज आईसीयू में रहा गहन निगरानी में

सेहत टाइम्स

लखनऊ। दुनिया भर में जॉर्जियन्स के नाम से मशहूर किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (KGMU) के चिकित्सकों ने एक बार फिर यह सिद्ध किया है कि आखिर क्यों विश्व भर में जॉर्जियन्स की काबिलियत का लोहा माना जाता है। यहां के ट्रॉमा सेंटर में डॉक्टरों ने 54 वर्षीय पुरुष के शरीर में घुसकर दिल के आरपार हुई लोहे की सरिया को चार घंटे की जटिल सर्जरी के बाद निकाल कर जान बचाने में कामयाबी मिली है, बताया जा रहा है कि ऐसी सफलता विश्व में पहली बार मिली है। अभी दुनिया में कहीं भी दिल में घुसी लोहे की सरिया को निकालने में सफलता नहीं मिली है।

इस विश्वस्तरीय कामयाबी की जानकारी देते हुए ट्रॉमा सर्जरी विभाग के मुखिया डॉ. संदीप तिवारी, डॉ समीर मिश्रा ने बताया कि सुल्तानपुर के दुर्गापुर में 54 वर्षीय ई रिक्शा ड्राइवर बीती 27 मार्च को अपने घर में सफाई आदि के लिए टॉयलेट की छत पर चढ़े थे, तभी वह लगभग 10 फ़ीट की ऊंचाई से नीचे लोहे की सरिया पर गिर पड़े, जिससे सरिया उनके शरीर के आरपार हो गयी, सरिया शरीर में दिल के आरपार होते हुए दूसरी तरफ से कंधे के नीच अंडर आर्म से पीछे की ओर बाहर निकली।

आननफानन में मरीज को लोग ई रिक्शा से ही एक घंटे की दूरी तय कर 22 किलोमीटर की दूरी तय करके सुल्तानपुर के जिला अस्पताल पहुंचे जहाँ दर्द निवारक दवाओं और आईवी फ्लूड चढ़कर प्राथमिक उपचार देकर उन्हें लखनऊ स्थित केजीएमयू के ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया। इसके बाद मरीज को लेकर लगभग अपरान्ह पौने दो बजे ट्रॉमा सेंटर पहुंचे।

ट्रॉमा सेंटर में मुस्तैद डॉक्टरों की टीम ने आवश्यक जांचों के साथ ही सीटी स्कैन कराया और तुरंत ऑपरेशन की तैयारी शुरू की। ट्रॉमा सर्जरी के साथ ही कार्डिएक सर्जरी और एनेस्थीसिया के डॉक्टरों की टीम तैयार की गयी। लगभग चार घंटे की जटिल सर्जरी के बाद लोहे की सरिया को बाहर निकाल लिया गया सर्जरी के दौरान मरीज के हृदय की धड़कन चलती रही, सर्जरी में हृदय और फेफड़े को ठीक किया गया। इस दौरान 6 यूनिट ब्लड चढ़ाया गया। सर्जरी के बाद मरीज को गहन निगरानी में 9 दिन आईसीयू में रखा गया, इनमें तीन दिन उसे वेंटिलेटर पर भी रखा गया। पूरे समय उसकी लगातार देखभाल की जाती रही। फिलहाल मरीज आईसीयू से बाहर आ चुके हैं और वार्ड में स्वास्थ्य लाभ कर रहे हैं।

डॉ संदीप ने बताया कि सामान्यत इस तरह की सर्जरी करने में जिन मशीनों का उपयोग किया जाता है उनके संचालन और अन्य आवश्यक संसाधनों में कई लाख का खर्च आता है लेकिन मरीज की आर्थिक स्थिति देखते हुए और सरकारी सुविधाओं के सहयोग से बहुत ही मामूली खर्चे में मरीज का ऑपरेशन किया गया। ज्ञात हो ट्रॉमा सेंटर में वर्ष 2014 से अब तक कई बार मरीजों के शरीर के आरपार हुई सरिया को सर्जरी द्वारा सफलतापूर्वक निकाला जा चुका है।

जटिल सर्जरी करने वाली टीम

डॉ संदीप तिवारी और डॉ समीर मिश्रा की गाइडेंस में सर्जरी करने वाली टीम में डॉ वैभव जायसवाल, डॉ यादवेंद्र धीर, डॉ शाहनवाज अहमद, डॉ आकांक्षा कुमारी, डॉ एकता सिंह, डॉ रम्बित, डॉ ताहिर और डॉ अंजना मन्हास शामिल थे, जबकि कार्डियक सर्जन में डॉ विवेक तिवारसन और डॉ जीशान हकीम के अलावा एनेस्थीसिया और क्रिटिकल केयर के डॉ बृजेश प्रताप सिंह, डॉ रति प्रभा, डॉ जिया अरशद, डॉ तृप्ति सिंह, डॉ शगुन पालीवाल, डॉ हुइमिला और डॉ सुनंदा सिंह के साथ ही स्क्रब नर्स परमानंद और ओटी टेक्नीशियन महेंद्र शामिल रहे।

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