नियमावली का उल्लंघन है सरकारी सेवा में रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करना
लखनऊ। जस्टिस विष्णु सहाय ने कहा है कि कुछ चिकित्सक अब भी सरकारी सेवा में रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं जो कि सरकारी नियमावली का सीधा उल्लंघन है। उन्होंने प्राइवेट डॉक्टरों की फीस पर भी सवाल उठाये और कहा कि डॉक्टरों को चाहिये वे अपनी वाजिब फीस तय करें। उन्होंने यह भी कहा कि चिकित्सक को चाहिये कि अगर वह उसके पास पहुंचे मरीज का इलाज करने में सक्षम नहीं है तो उसे तुरंत रिफ्यूज कर दें, बिना मतलब भर्ती करके इलाज न करें।
जस्टिस सहाय आज यहां लखनऊ नर्सिंग होम एसोसिएशन के प्रांगण में लखनऊ नर्सिंग होम एसोसिएशन की ओर से आयोजित सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित चिकित्सकों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकारी सेवा में रहते हुए प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले भले ही कम मात्रा में चिकित्सक हैं लेकिन वे पूरी डॉक्टर की बिरादरी को बदनाम करते हैं। उन्होंने कन्या भ्रूण हत्या के लिए गर्भपात न करने की भी अपील की। जस्टिस सहाय ने कहा कि ऐसा देखा गया है कि गंभीर स्थिति में जब मरीज प्राइवेट चिकित्सक के पास पहुंचता है तो कई ऐसे चिकित्सक हैं जो उस बीमारी को ठीक करने की क्षमता नहीं रखते हैं लेकिन भर्ती कर इलाज करना शुरू कर देते हैं, ऐसे चिकित्सकों को चाहिये कि वे मरीज की जान के साथ खिलवाड़ न करें और उसे तुरंत भर्ती करने से इनकार करते हुए दूसरी जगह ले जाने की सलाह दें। उन्होंने चिकित्सकों से मरीज को आवश्यक समय देने की बात कहते हुए उदाहरण दिया कि केजीएूमयू से रिटायर्ड डॉ अशोक चन्द्रा ऐसे डॉक्टर हैं जो सिर्फ 20 मरीज देखते हैं, ऐसा करके वह अपने मरीज को अच्छे तरीके से देखने में समय देते हैं।
इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुआ। दीप प्रज्ज्वलन में जस्टिस सहाय के साथ ही संजय गांधी पीजीआई के डीन तथा गैस्ट्रोसर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ राजन सक्सेना, वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डॉ सरोज श्रीवास्तव, मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नरेन्द्र अग्रवाल, आयुष्मान भारत के उत्तर प्रदेश के हेड डॉ बसंत कुमार पाठक तथा डॉ रमा श्रीवास्तव शामिल थीं। कार्यक्रम में मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ नरेन्द्र अग्रवाल ने कहा कि मैं भी आप लोगों के बीच का हूं, उन्होंने निजी चिकित्सकों से कहा कि मैं आप लोगों को हमेशा सपोर्ट करने को तैयार हूं, लेकिन आप लोगों से भी यह अपील है कि यदि कोई आपके पास पहुंच कर कहे कि मैं सीएमओ ऑफिस से आया हूं और किसी भी प्रकार की मांग करे तो उसकी सूचना कम से कम मुझे जरूर दें। उन्होंने अपील की कि चिकित्सक अपने प्रोफेशन के प्रति ईमानदार रहें। उन्होंने कहा कि यदि किसी गंभीर मरीज को आपने अस्पताल में भर्ती किया है और उस मरीज को देखने वाला चिकित्सक यदि अवकाश पर जाता है तो इसकी सूचना मरीज के तीमारदार को अवश्य दें जिससे डॉक्टर और अस्पताल के प्रति मरीज के तीमारदार का विश्वास बना रहता है।