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‘स्व’ को पहचानना और उसे बचाना हमारी बड़ी जिम्मेदारी : मनोजकांत

-नव वर्ष चेतना समिति की उन्नाव में आयोजित विचार गोष्ठी में सह प्रचारक प्रमुख ने किया आह्वान

सेहत टाइम्स

उन्नाव। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ व्यक्ति निर्माण का कार्य वर्ष 1925 में दशहरा पर अपनी स्थापना के समय से ही करता आया है। इसमें लोक संपर्क, लोक संग्रह, लोक शिक्षण और संवाद शामिल है। हमे ‘स्व’ को पहचानना होगा। हम कौन है। हमारा ‘स्व’ क्या है। ‘स्व’ यानी हमारा अपना, जिससे हमारी पहचान है, स्व को बचाने की हमारी बड़ी जिम्मेदारी है। आज लोग अपने अधिकार की बात करते हैं, अगर सभी कर्तव्य की बात करें तो सभी को अपना अधिकार मिल जायेगा। लोगों के बीच समरसता जरूरी है, आज अगर हम नौकर को बराबर का दर्जा दे रहे हैं तो इसका अर्थ है कि हम समरसता रख रहे हैं लेकिन अगर नहीं दे रहें हैं तो हम अपना कर्तव्य नहीं निभा रहे हैं।

स्व के अभाव का परिणाम है वकील की ड्रेस

ये विचार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्वी उत्तर प्रदेश के सह प्रचारक प्रमुख मनोजकांत ने सोमवार 30 दिसम्बर को उन्नाव में कलेक्टर गंज स्थित कुमार गेस्ट हाउस में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित विचार गोष्ठी में मुख्य अतिथि के रूप में व्यक्त किये। इस विचार गोष्ठी का आयोजन नववर्ष चेतना समिति द्वारा किया गया था। समारोह की शुरुआत भारत माता व सम्राट विक्रमादित्य के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलन के साथ हुई। स्व पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि जैसे वकील की ड्रेस व्यावहारिक नहीं है, इस गर्म प्रदेश में भीषण गर्मी में भी वकील को काले कोट में देखा जा सकता है, ऐसा इसलिए है कि इसे हमने अपने अनुकूल तय नहीं किया है, यह हम पर थोपा गया है, इसमें ‘स्व’ का अभाव है।

देश की प्रतिष्ठा बचाने जिम्मेदारी नागरिकों की

उन्होंने कहा कि भारत का विकास करना सिर्फ सरकारों का काम नहीं है, नागरिकों का भी है, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि इसमें हमारी व्यक्तिगत भूमिका क्या होगी। उन्होंने कहा कि देश की प्रतिष्ठा बचाये रखने की जिम्मेदारी नागरिक की होती है। नागरिक को अपने कर्तव्य जानना जरूरी है, इसे बताने की भूमिका परिवार को निभानी चाहिये लेकिन आज देखा क्या जाता है कि अधिकतर परिवार पैसे कमाना सिखाते हैं। उन्होंने कहा कि परिवार आज संकुचित हो गये हैं, बच्चा अपने मन की बात कह नहीं पाता है, हमें चाहिये कि कुटुम्ब व्यवस्था को मजबूत करें। उन्होंने कहा कि आज हिन्दू समाज अलग-अलग कारणों से अपने मूल को भूल रहा है।

विशिष्ट अतिथि डा0 अशोक दुबे प्रचार प्रमुख अवध प्रान्त ने संघ के कार्यकलापों एवं इसके इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि संघ एक सांस्कृतिक संगठन है। संघ की पूरे देश में 69336 शाखायें है। 35000 स्थानों में मिलन शाखा कार्यक्रम है। बीते दो माह पूर्व दशहरा से संघ अपने शताब्दी वर्ष में प्रवेश कर चुका है। उन्होंने कहा कि संघ पांच परिर्वतन पर समाज में काम कर रहा है। यह पांच बिन्दु हैं समरसता, पर्यावरण, कुटुम्ब प्रबोधन, स्वदेशी एवं नागरिक कर्तव्य। उन्होंने कहा कि संघ की छह चरण की यात्रा है इसमें तीन चरण व्यक्ति निर्माण, अच्छे व्यक्तियों की व्यापकता का पूरे समाज में अखिल भारत स्तर पर निर्माण करना और सामाजिक वातावरण कैसे बदलें, पूर्ण हो चुके हैं।

नवसंवत्सर के प्रचार-प्रसार के लिए हुई थी नववर्ष चेतना समिति की स्थापना : डॉ गिरीश गुप्ता

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि वरिष्ठ होम्योपैथिक चिकित्सक डॉ गिरीश गुप्ता ने गोष्ठी में अपने विचार प्रकट करते हुए नव वर्ष चेतना समिति के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि प्रतिवर्ष भारतीय नवसंवत्सर को मनाने और लोगों को नवसंवत्सर मनाने के लिए प्रेरित करने के लिए इस समिति की स्थापना वर्ष 2009 में लखनऊ के पूर्व मेयर डॉ एससी राय की पहल पर हुई थी। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के गवर्नर रह चुके राम नाईक ने नव चेतना समिति को बहुत प्रोत्साहित किया। उन्होंने बताया कि समिति के इच्छा जाहिर करने पर राम नाईक ने अपने व्यक्तिगत प्रयास से 22 दिसम्बर, 2016 को राजभवन में एक भव्य समारोह में सम्राट विक्रमादित्य पर एक डाक टिकट जारी करवाया। डॉ गिरीश गुप्ता ने आशा व्यक्त की कि इस वर्ष उन्नाव में भी नव वर्ष चेतना समिति की स्थापना हो जायेगी।

समता, समानता, समरसता के साथ समन्वय की भी आवश्यकता : डॉ राम नरेश

कार्यक्रम में अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में डा0 रामनरेश ने कहा कि जो समाज और राष्ट्र अपने आदर्शों, मूल्यों, संस्कृति को भूल जाते हैं, उनकी संस्कृति, सभ्यतायें नष्ट हो जाती हैं। उन्होंने कहा कि समता, समानता, समरसता के साथ समन्वय की भी आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपनी दुर्बलता के कारणों को भी देखना है। इस मौके पर होम्योपैथिक चिकित्सक डा0 सुरेन्द्र मिश्र ने काव्य पाठ किया। समिति की संरक्षक डॉ रेखा त्रिपाठी ने अपने सम्बोधन में कहा कि संघ के शताब्दी वर्ष पर समारोह का आयोजन पूरे देश में हर जगह किया जाये। समिति के सचिव डॉ सुनील अग्रवाल ने विचार गोष्ठी में शामिल सभी अतिथियों का परिचय कराते हुए कहा कि समाज में हमारी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। नागरिक कर्तव्यों से ही अच्छा समाज बनेगा। बाल संरक्षण आयोग उत्तर प्रदेश के सदस्य श्याम जी त्रिपाठी ने भी विचार रखे। मंच संचालन कार्यक्रम के संयोजक अरुण कुमार दीक्षित ने किया। अतिथियों को स्मृति चिन्ह के रूप में अंगवस्त्रम व महाकवि निराला का चित्र भेंट किया गया।

इस अवसर पर डॉ हरेन्द्र कुमार, कमलेन्द्र मोहन, एसके त्रिपाठी, अरुण, प्रियंका, हरि प्रकाश, सुरेश, राम जी, विनय, डॉ सुरेन्द्र मिश्रा, राजा बाबू अग्निहोत्री, सुधीर शुक्ला सम्पादक, जिला संघचालक सुरेश द्विवेदी, सह विभाग प्रचारक शिव शंकर, पूर्व प्रधानाचार्य के.के. मिश्रा, विनय दीक्षित, रामू भदौरिया, प्रियंका शुक्ल, विवेक तिवारी, आशादीन तिवारी, रमा गुप्ता, डा0 अम्बरीश मिश्रा, प्रीती सिंह, प्रो0 उमेश बाजपेयी, विमला कुरील, सुरेन्द्र लोधी, विनोद त्रिपाठी, शत्रुघ्न सिंह, सुशील तिवारी, राजेश त्रिपाठी, डा0 मनीष सेंगर, अनुपम मिश्रा, हरिहर दीक्षित, ललित द्विवेदी, अवनीश, ओम प्रकाश अवस्थी, हर्ष मिश्रा, सुरेश पाण्डेय, योगेन्द्र द्विवेदी, राजीव अवस्थी, पुष्पमित्र, धर्मेन्द्र मिश्रा, शिवान्शू मिश्रा, प्रणव पाण्डेय, हृदयनारायण तिवारी, मनोज पाण्डेय, अजय रावत, अमित शुक्ला, दीपान्शू, अनिल शुक्ला सहित बड़ी संख्या में प्रबुद्वजन, साहित्यकार आदि उपस्थित रहे।

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