-सत्ताधारी दल के लिए हानिकारक हो सकती है कर्मचारियों की नाराजगी : वीपी मिश्र
सेहत टाइम्स
लखनऊ। इप्सेफ़ द्वारा निरंतर पत्र भेजकर एवं वरिष्ठ मंत्रियों को ज्ञापन दे कर के निजीकरण न करने का अनुरोध किया जा रहा है, कोई सुनवाई नहीं हो रही है। प्रधानमंत्री एवं वरिष्ठ मंत्री राजनाथ सिंह को पत्र भेज कर अपनी पीड़ा बतलाई है। कर्मचारियों की नाराजगी सत्ताधारी दल के लिए हानिकारक है।
यह कहना है इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्र एवं महासचिव प्रेमचंद का। उन्होंने कहा है कि सरकारी संस्थाओं का निजीकरण करने से हजारों की संख्या में कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त करके वी आर एस दे दिया गया है और आगे भी दिया जाएगा। उदाहरणार्थ रक्षा मंत्रालय, नागरिक उड्डयन, पावर, रेलवे, रोडवेज आदि।
वीपी मिश्र ने भारत सरकार और राज्य सरकारों से आग्रह किया है कि आउटसोर्सिंग संविदा में भर्ती तत्काल बंद करके रिक्त पदों पर नियमित भर्तियां की जाएं, अब तक रखे गए आउटसोर्स कर्मचारी के लिए नीति बनाकर उन्हें रिक्त पदों पर भर्ती में वरीयता दी जाए, पब्लिक सेक्टर व सरकारी सेक्टर में समानता रखी जाए जिससे मनमानी न की जा सके।
अतुल मिश्रा राष्ट्रीय उप महासचिव ने कहा कि उत्तर प्रदेश सहित कई राज्यों में बिजली का निजीकरण करने की जानकारी मिली है, जिसके लिए आंदोलन हो रहे हैं। इप्सेफ ने उन्हें नैतिक समर्थन दिया है और प्रधानमंत्री से आग्रह किया है कि हस्तक्षेप कर के बिजली कर्मचारियों की समस्या का समाधान करके सामान्य स्थिति बनाये रखी जाए क्योंकि बिजली जनता के साथ जुड़ी हुई है। भीषण समस्याएं खड़ी हो जाएंगी।
इप्सेफ ने बढ़ती महंगाई पर भी रोक लगाने की मांग की है क्योंकि महंगाई से मध्यम वर्ग तक के लोग बुरी तरह प्रभावित हो गए हैं, दो जून की रोटी एवं परिवार के अन्य खर्च चलाना दूभर हो गया है।