13 अप्रैल से शुरू हो रहे ‘यूरोऑन्कोकॉन 2019’ में देश-विदेश के यूरो कैंसर विशेषज्ञ देंगे महत्वपूर्ण जानकारियां
लखनऊ। किडनी के ट्यूमर (कैंसरग्रस्त) के इलाज में आमूलचूल परिवर्तन आया है, अब अत्याधुनिक सर्जरी रोबोटिक और दूरबीन विधि से करने पर न सिर्फ इसका उपचार बेहतर तरीके से किया जा रहा है बल्कि ट्यूमर और गुर्दे का थोड़ा सा हिस्सा ही निकालकर बाकी गुर्दा बचा लेना संभव हो गया है, जबकि पहले पूरा गुर्दा निकालना पड़ता था। अगर इसके कारणों की बात करें तो सबसे बड़ा कारण धूम्रपान किेया जाना सामने आया है।
यह जानकारी किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्व विद्यालय स्थित अटल बिहारी कन्वेंशन सेंटर में 13 व 14 अप्रैल को होने वाली अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस ‘यूरोऑन्कोकॉन 2019’ के बारे में जानकारी देते हुए कॉन्फ्रेंस के आयोजन अध्यक्ष डॉ एसएन संखवार व सचिव डॉ एचएस पाहवा ने आज केजीएमयू में शुक्रवार को आयोजित एक पत्रकार वार्ता में दी। इस कॉन्फ्रेंस का आयोजन केजीएमयू ने नयी दिल्ली के राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, संजय गांधी पीजीआई, लखनऊ तथा यूरोलॉजिकल एसोसिएशन ऑफ उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड, लखनऊ यूरोलॉजी क्लब एवं आरएस एजूकेशनल सोसाइटी के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित की जा रही है।
पत्रकार वार्ता में मौजूद डॉ संखवार और डॉ पाहवा ने बताया कि सम्मेलन में सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) कम वीडियो वर्कशॉप के माध्यम से दुनिया भर से आ रहे करीब 100 विशेषज्ञ किडनी कैंसर को लेकर दिशा में किये जा रहे अपने-अपने कार्यों के बारे में बतायेंगे जो मरीजों के इलाज की दशा और दिशा तय करने में मददगार होगा। इस कार्यशाला में भाग लेने वाले करीब 300 चिकित्सकों को किडनी के कैंसर पर अंतरराष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय विशेषज्ञों द्वारा नैदानिक मामले पर आधारित दृष्टिकोण, पैनल डिस्कशन, वीडियो, व्याख्यानों से मरीज के इलाज तथा ऑपरेशन से संबंधित बारीकियों को समझने का मौका मिलेगा।
डॉ पाहवा ने बताया कि दुनिया भर में कैंसर के मरीजों की संख्या बढ़ रही है। भारत की बात करें तो आईसीएमआर के अनुसार इस समय देश में साढ़े 22 लाख कैंसर से पीड़ित लोग हैं, जबकि हर साल करीब 11 लाख नये कैंसर रोगियों को चिन्हित किया जाता है। वहीं अगर इससे होने वाली मौतों की बात करें तो बीते 15 वर्षों में यह संख्या दोगुनी हो गयी है। हर वर्ष कैंसर से ग्रस्त करीब 8 लाख लोग मौत का शिकार हो जाते हैं। किडनी का कैंसर मूत्र संबंधी कैंसरों में तीसरे नम्बर का कैंसर है।
किडनी के कैंसर के लक्षणों के बारे में डॉ पाहवा ने बताया कि इसका शुरुआती लक्षण पेशाब में खून आना है। यानी कैंसर अभी पहली स्टेज पर है, ऐसे में इलाज से ठीक होने की पूरी संभावना होती है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा सूजन आना और दर्द होना भी अगर शामिल हो गया है तो ज्यादातर संभावना यह होती है कि कैंसर एडवांस स्टेज में पहुंच चुका होता है। इसलिए आवश्यक है कि मरीज जागरूक रहे।
किडनी के कैंसर के कारणों के बारे में उन्होंने नम्बर एक पर स्मोकिंग यानी धूम्रपान तो है ही लेकिन अन्य कारणों में जेनेटिक यानी परिवार में किसी को रहा हो यह देखा गया है। उन्होंने कहा कि जेनेटिक होने के कारण किडनी कैंसर में देखा गया है कि दोनों किडनी पर असर होता है इसलिए बेहतर होगा कि जिनके परिवार में किसी को यह कैंसर हुआ हो तो वे सतर्क रहें। इसके अलावा जिन रोगियों की लम्बे समय तक डायलिसिस चलती रहती है उनमें भी किडनी कैंसर होने की संभावना दूसरों की अपेक्षा ज्यादा रहती है। उन्होंने बताया कि देखा गया है कि जो लोग ज्यादा मोटे होते हैं इसके लक्षण होन की संभावना बढ़ जाती है।
डॉ संखवार ने बताया कि इस सम्मेलन में दो अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञ यूएसए की टेक्सास यूनिवर्सिटी के प्रो क्रिस्टोफर वुड तथा जर्मनी के प्रो जेन्स बेडके के साथ ही राष्ट्रीय विशेषज्ञों में देश के मुख्य कैंसर संस्थानों टाटा कैंसर सेन्टर, मुंबई, राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, एम्स दिल्ली, एसजीपीजीआई, लखनऊ, पीजीआई चंडीगढ़, कोकिलाबेन अस्पताल मुंबई के विशेषज्ञ शामिल हैं। सम्मेलन में 21 गेस्ट लेक्चर, तीन पैनल व्याख्यान, 24 सेमी लाइव वीडियो प्रस्तुतियां, आठ चर्चायें, 7 असाधारण केसों पर चर्चा, चार रोचक वीडियो तथा ई पोस्टर प्रदर्शन का आयोजन किया जायेगा। पत्रकार वार्ता में डॉ संखवार, डॉ पाहवा के साथ ही डॉ मनीष भी उपस्थित रहे।