-रिसर्च पेपर प्रस्तुत करने वाले दंत विभाग के दो चिकित्सकों को प्रथम व तृतीय पुरस्कार
-कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांटोलॉजी पर 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न देशों ने भाग लिया
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सेहत टाइम्स
लखनऊ। किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय KGMU के दंत चिकित्सकों ने अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस में अपनी रिसर्च का लोहा मनवाया है। यहां के दो चिकित्सकों को कोविड महामारी के चलते नष्ट हुए जबड़े को फिर से बनाने और उससे सफल इलाज किये जाने के लिए सम्मेलन में प्रथम एवं तृतीय स्थान मिला है।
मिली जानकारी के अनुसार हैदराबाद में बीती 17 से 19 दिसंबर तक आयोजित कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांटोलॉजी पर 5वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में दुनिया के विभिन्न देशों के कई चिकित्सकों और छात्रों ने भाग लिया।
सम्मेलन के दौरान प्रोस्थोडोंटिक्स विभाग की सीनियर रेजीडेंट डॉ.अदिति वर्मा को पेपर प्रेजेंटेशन के वैज्ञानिक सत्र में प्रथम पुरस्कार के रूप में पैंतीस हजार रुपये की कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांट किट से सम्मानित किया गया है जबकि ओरल एंड मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग की पीएचडी स्कॉलर डॉ आस्था को तृतीय पुरस्कार के रूप में पंद्रह हजार रुपये के 3 कॉर्टिकोबैसल इम्प्लांट से सम्मानित किया गया। इस उपलब्धि के लिए आज कुलपति ने डॉ अदिति और डॉ आस्था के साथ ही इस शोध का निर्देशन करने वाले प्रोस्थोडॉन्टिक्स विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ लक्ष्य कुमार व ओरल और मैक्सिलोफेशियल सर्जरी विभाग के प्रोफेसर डॉ यूएस पाल को बधाई और शुभकामनाएं दीं। आपको बता दें कि म्यूकर माइकोसिस के मामले और पोस्ट-कोविड के लिए इस तरह के उपचार के तौर-तरीकों को देने में दोनों चिकित्सकों की जबरदस्त भूमिका है।
डॉ लक्ष्य ने बताया कि कोविड महामारी के साइड इफेक्ट के चलते म्यूकर माइकोसिस के मामले काफी संख्या में सामने आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह समस्या तेजी से उभरी है। उन्होंने कहा कि इसमें ऊपर का जबड़ा तेजी के साथ गल जाता है, इस mucormycosis resected समस्या के समाधान के लिए ही ऐसा इम्प्लांट बनाया गया है जो नष्ट हुए जबड़े की पूर्ति कर सके। उन्होंने बताया कि इसके लिए कॉर्टिकल बोन में zygomatic and pterygoid implant का प्रत्यारोपण किया जाता है। उन्होंने बताया कि इस तरह के इम्प्लांट से उपचार में जहां रोगी की कार्यक्षमता सुधरती है वहीं उसे मनोवैज्ञानिक बल भी मिलता है। उन्होंने बताया कि इस बड़ी उपलब्धि के लिए दोनों छात्राओं को कुलपति और संबंधित विभागों का भरपूर सहयोग मिला।
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