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अगर आपका बच्‍चा तेज आवाज चलाकर टीवी देखता है, तो करायें यह जांच

-वर्ल्‍ड हियरिंग डे (3 मार्च) पर केजीएमयू के प्रोफेसर डॉ वीरेन्‍द्र वर्मा से सेहत टाइम्‍सकी विशेष वार्ता

डॉ वीरेन्‍द्र वर्मा

धर्मेन्‍द्र सक्‍सेना

लखनऊ। क्‍या आपका बच्‍चा तेज आवाज चलाकर टीवी देखता है, क्‍या आपके बच्‍चे के मार्क्‍स आपकी अपेक्षा से कम आ रहे हैं। अगर ऐसा है तो इसको टालने के बजाय इसका कारण जानने की कोशिश कीजिये। अन्‍य कारणों के साथ ही एक कारण इसका बच्‍चे का कम सुनना भी हो सकता है। इसके लिए आवश्‍यक है कि आप बच्‍चे की सुनने की शक्ति की जांच करायें और डॉक्‍टर की सलाह के अनुसार उपचार करायें।

यह सलाह किंग जॉर्ज चिकित्‍सा विश्‍व विद्यालय (केजीएमयू) के कान, नाक, गला विभाग के प्रोफेसर डॉ वीरेन्‍द्र वर्मा ने विश्‍व श्रवण दिवस (3 मार्च) के मौके पर ‘सेहत टाइम्‍स‘ से विशेष बातचीत में दी। डॉ वर्मा ने कहा कि आदर्श स्थिति यह है कि जन्‍म के बाद ही शिशु की श्रवण शक्ति की जांच होनी चाहिये। उन्‍होंने बताया कि इसके लिए केजीएमयू में एक कार्यक्रम चल रहा है, इसके अंतर्गत हमारे विभाग की टीम क्‍वीनमैरी हॉस्पिटल में पैदा होने वाले शिशुओं की सुनने की क्षमता की जांच करती है। डॉ वर्मा ने बताया कि इसके लिए ओटोएकॉस्टिक एमिशन मशीन Otoacoustic Emission Machine से जांच की जाती है। उन्‍होंने बताया कि इस मशीन का इस्‍तेमाल छोटे बच्‍चों में किया जाता है जो नासमझ होने के कारण जांच के दौरान कुछ बताने की स्थिति में नहीं होते हैं।

डॉ वर्मा ने बताया कि अगर यह जांच बड़े बच्‍चे या वयस्‍क की जानी होती है तो उसकी जांच ऑडियोमीटर से होती है। उन्‍होंने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि बच्‍चे तेज आवाज चलाकर टीवी देखते हैं, लेकिन घरवाले इसे सामान्‍य मानते हुए इस पर ज्‍यादा ध्‍यान नहीं देते हैं, इसी तरह कुछ केस में यह भी देखा गया है कि कम सुनने की वजह से बच्‍चे को स्‍कूल में टीचर के पढ़ाते समय ठीक से समझ में नहीं आता है, इसका नतीजा यह होता है कि बच्‍चे के मार्क्‍स अच्‍छे नहीं आते हैं, माता-पिता सोचते हैं कि मेरा बच्‍चा पढ़ाई में कमजोर है। ऐसे में बच्‍चे की सुनने की क्षमता की जांच जरूर करानी चाहिये। डॉ वर्मा ने कहा कि बच्‍चे की इस दिक्‍कत को इग्‍नोर न करें क्‍योंकि यह स्थिति जारी रहती है तो आगे चलकर उसे अपने करियर बनाने में बाधा आती है, और वह हीन भावना से भी ग्रस्‍त हो सकता है।

डॉ वर्मा ने बताया कि जांच में यदि बच्‍चे की श्रवण शक्ति नॉर्मल निकलती है तो कम से कम उसे कम आवाज में टीवी देखने के लिए समझाया जा सकता है, क्‍योंकि लगातार ऊंची आवाज के साथ टीवी देखना बाद में श्रवण शक्ति कमजोर कर सकता है। डॉ वर्मा ने बताया कि यदि बच्‍चे की श्रवण शक्ति कमजोर होती है तो उसे हियरिंग एड या फि‍र जरूरत के हिसाब से कॉकलियर इम्‍प्‍लांट लगाया जाता है। उन्‍होंने बताया कि अब तो ऐसी हियरिंग एड भी आ गयी हैं जो बहुत छोटी होती हैं, और बहुत आसानी से फि‍ट हो जाती हैं।

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