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अगर चार फीसदी डीए रोककर राजकोष सुधर सकता है तो इस तरकी‍ब से 24 प्रतिशत क्यों नहीं बचाती सरकार

शिक्षक नेता डॉ महेन्‍द्र नाथ राय ने कहा, सुझाव को लागू किया गया तो कर्मचारी भी रहेंगे खुश

-सेवा निवृत्ति की आयु बढ़ाकर भी बचायी जा सकती है राजकोष की रकम

डॉ महेन्‍द्र नाथ राय

सेहत टाइम्‍स ब्‍यूरो

लखनऊ। यदि 4 प्रतिशत डीए रोक देने से राजकोष की स्थिति सुधर सकती है तो फिर सरकार पुरानी पेंशन योजना को लागू करे। पुरानी पेंशन योजना लागू हो जाने पर सरकार द्वारा नई पेंशन योजना में जो 14 परसेंट की भागीदारी की जाती है वह पैसा बचेगा, इसके अलावा कर्मचारियों के द्वारा जो 10 परसेंट की कटौती होती है वह भी जीपीएफ के रूप में सरकार के पास ही रहेगा। इस तरह से सरकार पुरानी पेंशन योजना को लागू करके 24 परसेंट तक बचा सकती है। इससे जहां सरकार के पास ज्‍यादा धन रहेगा वहीं कर्मचारियों की भी पुरानी पेंशन बहाली की मांग पूरी हो जायेगी।

यह विचार उत्‍तर प्रदेश माध्‍यमिक शिक्षक संघ चंदेल गुट के प्रदेशीय मंत्री, कालीचरन इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य व लखनऊ खंड शिक्षक एमएलसी प्रत्‍याशी डॉ महेन्‍द्र नाथ राय ने सरकार द्वारा महंगाई भत्‍ते की तीन किस्‍तों को फ्रीज करने के निर्णय पर अपनी प्रतिक्रिया में व्‍यक्‍त किये। डॉ राय ने कहा कि 24 प्रतिशत धनराशि बचाने के लिए अलावा सरकार सेवानिवृत्त की आयु सीमा बढ़ा करके भी एक बहुत बड़े फंड की देनदारी से बच सकती है। उन्‍होंने कहा कि जब कर्मचारी के पास ज्यादा पैसा आएगा तो वह उसमें से अपने सामर्थ्यानुसार अधिक पैसा राहत कोष में दान करेगा जिससे उसको आयकर में भी राहत मिलेगी।

डॉ राय ने कहा कि सरकार का यह फैसला निराशाजनक है, सरकार को इस पर पुनर्विचार करना चाहिए। इस समय सरकारी कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाने का कार्य करना चाहिए न कि घटाने का, इस महामारी से लड़ने का दारोमदार उन्हीं के ऊपर है। अतः सरकार कटौती रोक कर प्रोत्साहित करें और स्वेच्‍छा से सहयोग करने के लिए प्रेरित करे। बिना कर्मचारियों के विचार विमर्श करके कटौती करना, स्वतंत्र मूल्यों का हनन है और स्वेच्‍छारिता का बढ़ावा देना है।

डॉ० महेंद्र नाथ राय ने कहा कि मंहगाई भत्ते की कटौती उचित नही है बल्कि पुरानी पेंशन बहाली से ज्यादा लाभ होगा। केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि 1 जुलाई 2021 तक महंगाई भत्ते की दर में वृद्धि नहीं की जाएगी इस तरह से महंगाई भत्ते की तीन किस्तों पर रोक लगेगी, इसके अलावा अन्य कई राज्यों ने भी कर्मचारियों के वेतन में कटौती की घोषणा की है।

आज कोरोना की महामारी को रोकने के लिए सरकारी कर्मचारी ही अपनी जान को दांव पर लगा कर के सबसे आगे लड़ाई लड़ रहे हैं। महंगाई दर में वृद्धि सरकार द्वारा मूल्य सूचकांक के आधार पर आकलन करके किया जाता है। इस महामारी के दौर में महंगाई और बढ़ने वाली है, महंगाई दर की वृद्धि न होने से कम से कम प्रत्येक सरकारी कर्मचारी का लाखों रुपए का नुकसान होगा जिससे उसको अपने परिवार का भरण पोषण करने में कठिनाई उत्पन्न होगी।

उन्‍होंने कहा कि कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सभी विभागों के कर्मचारियों ने कम से कम अपने 1 दिन का वेतन राहत कोष में प्रदान किया है, इसके अलावा स्वेच्छा से भी उन्होंने अपने सामर्थ्य अनुसार दान किया है, साथ ही साथ गरीब मजदूरों को राशन, खाना तथा अन्य कई प्रकार के सहयोग उनके द्वारा किया जा रहा है। आवश्यकता पड़ने पर कर्मचारी स्वेच्छा से और भी दान राहत कोष में करेंगे ही, सरकारी कर्मचारी सरकार के हर कदम से कदम मिलाकर के भारत को बचाने के लिए काम कर रहे हैं।