निमोकोकल कंज्यूगेट वैक्सीन की ट्रेनिंग के लिए आयोजित की गयी कार्यशाला

लखनऊ। निमोकोकल कंज्यूगेट वैक्सीन (पीसीवी) टीकाकरण दाहिने जांघ में लगाना है, इस टीकाकरण से बच्चे को हल्का बुखार और उसकी शरीर में सूजन भी आ सकती है। इसके लिए कोई अलग से दवा नहीं देनी है। 27, 28 मार्च को लखनऊ में आयोजित राज्यस्तरीय ट्रेनिंग ऑफ़ ट्रेनर्स में कुछ ऐसी टिप्स दी गई। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में निमोकोकल कंज्यूगेट वैक्सीन (पीसीवी) टीकाकरण के संबंध में विस्तारपूर्वक प्रशिक्षण दिया गया।
आपको बता दें कि निमोकोकल बैक्टीरिया से बच्चों में निमोनिया, दिमागी बुखार और अन्य बीमारियां होती है। दुनिया में पांच वर्ष तक के अधिकांश बच्चों की मौत निमोनिया से ही होती है। वर्ष 2010 आंकड़ों के अनुसार विश्व में एक वर्ष से पांच वर्ष के बच्चों की निमोनिया से होने वाली मौतों में 20 मौत भारत में ही होती है।
पीसीवी से रुकेंगी बीमारियां
पीसीवी टीका एक वर्ष तक के बच्चों को तीन बार लगाया जाता है। पहली डोज बच्चे के जन्म के छह सप्ताह पर दी जाती है। जबकि दूसरी डोज 14 सप्ताह और तीसरी बूस्टर डोज नौ माह पूरे होने पर दी जाती है। ऐसी उम्मीद जतायी जा रही है कि पीसीवी टीकाकरण से शिशु मृत्यु दर में कमी आएगी।
राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के मिशन निदेशक, पंकज कुमार की अध्यक्षता में यहां गोमती नगर स्थित एक होटल में आयोजित राज्यस्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला में उन्होंने टीकाकरण अभियान में लगे स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य विभागों की जमकर तारीफ की। उन्होंने कहा कि विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों के सहयोग से ही मीजल्स-रूबेला का टीकाकरण लगभग शतप्रतिशत रहा।
महानिदेशक, परिवार कल्याण डॉ नीना गुप्ता ने कहा कि टीकाकरण एक ड्यूटी नहीं बल्कि यह धर्म का कार्य भी है। उन्होंने जनपदों से आये आधिकरियों से अपील की है कि पीसीवी टीकाकरण भी शत प्रतिशत के नजदीक पहुंचाएं।

जीएमआरआई डॉक्टर वेद ने बताया की टीकाकरण में उत्तर प्रदेश काफी बेहतर परिणाम दे रहा है इसलिए इसकी चर्चा अब राष्ट्रीय स्तर पर भी हो रही है। वहीं राज्य प्रतिरक्षण अधिकारी डॉक्टर एपी चतुर्वेदी ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि उत्तर प्रदेश के टीकाकरण विशेषज्ञ अब दक्षिण अफ्रीकी देशों में बुलाये जा रहे है। प्रशिक्षण के दौरान एसजीपीजीआई की डॉक्टर पियाली भट्टाचार्य ने सातों जनपदों से आये स्वास्थ्य अधिकारियों और विभिन्न संस्था के प्रतिनिधियों को पीसीवी लगाने संबंधी जानकारी विस्तारपूर्वक दी। प्रशिक्षण के दौरान यूएनडीपी के डॉक्टर अहमद अब्बास आगा ने बताया कि सामान्यतः टीकाकरण से पूर्व और इसके दौरान 10 प्रतिशत टीकों की बर्बादी मानी जाती है, लेकिन हाल फिलहाल में उत्तर प्रदेश में मात्र 2 प्रतिशत टीकों के पैकेट बर्बाद हुए हैं। इसकी प्रशंसा राष्ट्रीय स्तर पर हो रही है।
तृतीय चरण में सात और जिले शामिल, हुए कुल 19
भारत सरकार ने पीसीवी टीकाकरण के तृतीय चरण में यूपी के सात जिलों बरेली, पीलीभीत, बदायूं, शाहजहांनपुर, कासगंज, फर्रुखाबाद व कन्नौज को शामिल किया है। जबकि प्रथम और द्वितीय चरण में छह-छह जिलों को शामिल किया गया था, इस तरह से कुल 19 जनपद अब इस टीकाकरण कार्यक्रम में आ गये हैं। वर्ष 2018-19 से अब तक दोनों चरणों के दौरान कुल 12 जनपदों में 13 लाख 49 हजार 555 बच्चों का टीकाकरण किया गया। पीसीवी टीकाकरण प्रथम चरण जून 2017 में शुरू हुआ। जिसमें श्रावस्ती, बलरामपुर, सीतापुर, लखीमपुर खीरी, सिद्धार्थनगर और बहराइच को शामिल किया गया। इसके बाद गत वर्ष मई में द्वितीय चरण शुरू हुआ। जिसमें फ़ैजाबाद, लखनऊ, बाराबंकी, हरदोई, गोंडा और बस्ती में शामिल हुए। वर्तमान में प्रदेश के 12 जनपदों में यह नियमित टीकाकरण के रूप में लगाया जा रहा है।

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